हिन्दी चुदाई स्टोरी स्टूडेंट और सर की: 1

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हिन्दी चुदाई स्टोरी: नमस्कार दोस्तों , मैं उत्सव एक छोटे से शहर का रहने वाला लड़का जिसे सेक्स के बारे में कुछ ज्ञान तो नही था पर फिर भी वो हमेशा से मर्दों की तरफ ही आकर्षित रहा । एक लड़के का एक लड़के की तरफ आकर्षित होना मुझे नही पता था कि गलत है या सही है क्युकी तब मैं बहुत छोटा था पर फिर धीरे धीरे मैं बड़ा होने लगा और मुझे पता लगा कि ये गलत है ( जैसा मुझे मेरे आस पास वालो ने बताया ) तो मैंने ये सब के बारे में सोचना छोड़ दिया और अपना मन पढ़ाई में लगा दिया । खैर अब अपनी कहानी पर आते हैं ।

कहानी काफी लंबी और आराम से आगे बढ़ेगी , तो कृपया धैर्य रखें क्युकी ये सच्ची घटना है ना की मन में जो आया वो कर दिया । इस कहानी में कुछ भी सेक्सुअल तीसरे भाग में होगा तो जिनको केवल सेक्स शब्द सोच कर झड़ना हो वो इसे स्किप कर दें ।

साल 2016 :

मैं तब सोलह साल का एक पतला दुबला लड़का था , थोड़ी शर्मीली सी हंसी , बच्चों के जैसे शैतान , पांच फुट छः इंच की हाइट और गोरा रंग । मुझे देखकर कोई नही कह सकता था की मुझे लड़के पसंद हैं ।

जब मैं 10th क्लास में पहुंचा तो बोर्ड्स की चिंता की वजह से मैंने बहुत मेहनत से पढ़ाई शुरू करी पर केमिस्ट्री मुझे कभी समझ नही आती थी इसलिए मैंने सोचा कि कहीं पर कोचिंग कर लू, एक महीने करके केमिस्ट्री समझ के छोड़ दूंगा ।

मेरे घर के ही बगल में एक कोचिंग थी जहा मेरा दोस्त जाता था , उसने मुझे बोला की मैं साथ ही चलूं उसके , मैं तुरंत मान गया क्युकी वो पैसे भी बहुत कम लेते थे और जैसा मैंने सुना था की वो पढ़ाते भी अच्छा थे ।

मैं उनके पास अक्टूबर के महीने में गया तो मैं बाकी बच्चो से काफी पीछे था तो उन्होंने मुझे अलग से आने को कहा । मैं घर के बगल रहता था तो उन्होंने मुझे शाम को बुलाया , मैं रोज़ जाने लगा , मैं हमेशा से पढ़ने में अच्छा था बस कमी थी किसी ऐसे इंसान की जो मुझे गाइड कर सके । और सर उसमे काफी अच्छे थे ।

इन सब बातों में मैं अपने सर के बारे में आपको बताना ही भूल गया , वो उस समय 23 के थे , 5 फुट 8 इंच हाइट , गोरा रंग , हल्की बॉडी बनाई थी उन्होंने शायद वो जिम जाना शुरू ही किए होंगे , उनको बाल बहुत थे शरीर पर , वो गाते और डांस बहुत अच्छा करते थे जो मुझे उनके बर्थडे पर पता लगा जो अक्टूबर में ही था ।

क्युकी मैं पढ़ने में अच्छा था तो सर को मैं काफी पसंद था और वो अपने सभी बच्चो को बहुत मानते थे पर मैंने बहुत ही जल्दी उनके दिल के जगह बना ली थी ।

जब मैं शाम को उनके पास जाता था तो वो अपने सभी खास स्टूडेंट्स के साथ बैठ कर बातें कर रहे होते थे इसलिए बाकी सब भी मुझे जल्द ही जान गए और वहां से मैं सबके साथ घुल मिल गया ।

बर्थडे के दिन जब मैं सर के पास पहुंचा तो मैने देखा वो काली शर्ट जिसकी बाहें कोहनी तक मोड़ी हुई हैं और नीली जींस में थे , पार्टी पहले ही शुरू हो गई थी इसलिए डांस वगेरह करके सर बहुत थक गए थे और उनका शरीर एकदम पसीने में भीग गया था

जैसे ही वो मेरे पास आए मैं वापस से अपने बचपन में चला गया जहां मैं अपने आप को बस लड़की मानता था और जब भी किसी मामा , चाचा या भैया के साथ सोता था तो नींद में होने के बहाने उनके लन्ड को छूता था ।

पर अब मैं वैसे नही था पर शायद सर को उस तरह देख कर मैं अपने आप पर काबू नही कर सका । इतना मैं सोच ही रहा था की अचानक से सर ने मुझे गले लगा लिया और डांस करने के लिए खींच लिया । हम सबने काफी डांस किया मस्ती की , फिर धीरे धीरे सब चले गए और बचे सर और उनके कुछ खास स्टूडेंट्स और उनके दोस्त ।

उन सभी स्टूडेंट्स में एक थे दीपक भैया , वो 19 साल के थे बिहार से , वो मुझे हमेशा छोटे भाई जैसा मानते थे और काफी एडल्ट मजाक भी करते थे । वो सच में एक मर्द थे , उनकी सभी बातें ऐसी होती थी की चूत मिल जाती तो अभी पेल देता या फिर आज पार्टी में कौन सी लड़की हॉट लग रही थी या फिर उनके लन्ड में कितना दम है ।

उनको देख कर मुझे अलग सा अच्छा फील होता था पर अभी तो मेरे मन में केवल सर के बारे में चल रहा था । सर ने अपने सभी दोस्तों के लिए बीयर मंगाई पर सर खुद कभी कुछ नहीं पीते थे इसलिए उन्होंने खाना ऑर्डर किया , अब सर के बाकी दोस्त , कुछ स्टूडेंट्स बीयर पीने बैठ गए ।

मैं और सर उनके बगल में ही बैठ कर खाना खा रहे थे , अचानक मजाक मजाक में सर के दोस्तो ने दीपक भैया से पूछा की उनकी कोई गर्लफ्रेंड है क्या , इस बात पर उन्होंने ने माना कर दिया , तो सब उनके मजे लेने लगे की शायद उनका लन्ड छोटा है है या फिर वो मर्द नही हैं , ये सुनते ही दीपक भैया काफी चिढ़ गए और उन्होंने अपना ट्राउजर नीचे कर दिया और बोले की

” मादरचोद ये लन्ड देखते ही कोई लड़की राजी ही नही होती सब भाग जाती हैं , पटा पाता हु तो केवल भाभियां ।” अब सबके मुंह शर्म से लाल थे और सर का मुंह गुस्से से , कुछ भी हो दीपक भैया उनके स्टूडेंट थे पर वो बदतमीजी कर रहे थे । पर शायद सर की नजर अचानक मेरे ऊपर पड़ी और वो मुझे देख रहे थे ।

दीपक भैया ने जैसे ही पैंट नीचे की मैंने उन्हे पहली बार ऐसे देखा , पसीने में भीगा हुआ शरीर , सीने पर बाल , दाढ़ी भी आ गई थी उनको , वो रोज़ जिम जाते थे तो कंधे छाती पेट सब अपनी शेप में था और फिर मेरी नजर गई उनके लन्ड पर , ढीला था पर काफी मोटा था , काला एकदम , दीपक भैया बहुत गोरे थे पर उनका लन्ड कैसे काला हो सकता था

उन्होंने झांटे भी नही बनाई थी जो मुझे अलग सा फील करा रही थी , क्युकी वो मर्द कैसा जिस पर बाल न हों । ये सब देख कर मैं उधर से नजर हटा ही नही पा रहा था और इधर सर मुझे ही देखते जा रहे थे । अचानक से सर ने दीपक भैया को बहुत तेज़ डांटा , जिससे सब डर गए शायद दीपक भैया भी , इसीलिए उन्होंने तुरंत पैंट ऊपर कर ली और सॉरी बोल कर वहा से चले गए ।

धीरे धीरे सर को देख कर सब सरक लिए । बचा मैं और सर । क्युकी मैं कोचिंग के बगल ही रहता था और सर मुझे शाम को अलग से पढ़ाते थे इसलिए मैं घर लेट ही जाता था । सर इतने गुस्से में थे की उन्होंने कहा तुमको भी जाना हो तो चले जाओ पर मेरी हिम्मत नही हुई इसलिए मैं रुक गया , अब हम आपस में कुछ नही बोल रहे थे पर सर लगातार दीपक भैया और अपने दोस्तो को गाली दे रहे थे और बुरा भला सुना रहे थे

फिर अचानक सर ने बोला ” और तुम क्या रंडियों के जैसे उसके लन्ड को देख रहे थे ” मेरी एकदम से सांसें थम गई और मेरे पेट में अजीब से मरोड़ उठने लगी डर के मारे , मेरे मुंह से कुछ भी शब्द नही निकला पर मैं तुरंत वहा से उठा और निकल आया ।

अगले दिन मैं कोचिंग गया तो सब कुछ नॉर्मल था , मैने एक घंटे सर से क्लास ली और फिर सर ने बोला की अब से तुम भी बाकी बच्चो के साथ आओगे क्युकी तुम उनके बराबर आ चुके को । मैने क्लास खत्म की और तुरंत घर लौट आया जबकि ज्यादातर मैं क्लास खत्म होने के बाद सर के पास बैठता था जब 12th क्लास वाले भी आ जाते थे ।

सर उनसे थोड़ा एडल्ट मजाक भी करते इसलिए सब उनसे काफी खुले हुए थे । पर उस दिन जो सर ने मुझे बोला उसके बाद से मैं बिल्कुल बदल गया । सिर्फ कोचिंग जाता था पढ़ता था, सर से जो डाउट होते वो पूछता फिर सीधा घर , इस बीच कई बार दीपक भैया ने मुझसे पूछा की उस दिन उनके जाने के बाद सर ने क्या बोला पर मैंने कुछ नही बताया उन्हें , इसी बहाने मेरी और दीपक भैया की बात भी आगे बढ़ने लगी ।

धीरे धीरे दिसंबर आ गया और सर भी मुझसे काम भर का ही मतलब रखते थे , अब मैं उनके लिए केवल एक नॉर्मल स्टूडेंट था , जो मुझे बुरा तो लगता था पर कहीं न कहीं उनका मुझे रण्डी कहना मुझे बुरा लग गया था और इसलिए मैंने भी कोई पहल नही की

पहले जब सर बोर्ड पर कोई सवाल लिख कर लौटते थे तो मेरे ही पीछे खड़े होकर मेरे कंधे पर हाथ रख कर मेरी कॉपी में देखते थे की मैं सही कर रहा हु या फिर नही । शायद सर का डर था या फिर मैं चाहता था की वो वैसे ही मुझे छुए रहें मैं कोई न कोई गलती कर देता था जिसे वो बड़े प्यार से समझाते थे पर जैसे ही मैं बाकी बच्चो के साथ पढ़ने आया

तो मुझे पता चला कि मेरे सर से बाकी बच्चे इतना डरते क्यों हैं । वो हर हफ्ते टेस्ट लेते थे और जिसके भी 80% से कम नंबर आते थे वो उसके हाथ पर बेल्ट से मारते थे ।

शायद इसीलिए सर की कोचिंग से आज तक कोई बच्चा फेल नही हुआ था और तो और हर साल हमारे शहर के टॉप 10 बोर्ड रिजल्ट में कम से कम दो बच्चे उनकी कोचिंग से होते थे । पर अब मैं गलतियां कम कर दी थी इसलिए सर भी मुझे कुछ नही कहते थे ।

अब मैं सर के पास केवल पढ़ने जाता था और बाकी लोगों से भी मेरी दोस्ती हो गई थी तो जो खाली टाइम होता था उसमे मैं अपने दोस्तों के साथ कोचिंग के बाहर खड़े होकर बातें करता था ।

कई दिन ऐसे ही बीत गए और एक दिन सर का मुझे कॉल आया ” हां उत्सव, फ्री हो ?” मैने तुरंत हां कर दी और उन्होंने मुझे कोचिंग बुलाया । सर दूसरे शहर के रहने वाले थे इसलिए महीने में एक सैटरडे संडे वो अपने घर जाते थे पर इस बार उनके पापा की तबियत खराब होने की वजह से उन्हें फ्राइडे शाम को ही निकलना था ।

तो उन्होंने मुझसे कहा कि फ्राइडे के टेस्ट लेने के पहले ही वो निकल जायेंगे , हम सब लोग को टेस्ट देना है और मुझे सारे बच्चों की कॉपी अपने साथ ले जानी है जिसे मैं चेक करूंगा क्युकी मेरी मैथ्स अच्छी थी और मैं कई बार अपने दोस्तो को क्लास में मैथ्स भी पढ़ाता था ।

मैं भी मान गया और फ्राइडे टेस्ट के बाद कॉपी घर लेकर आ गया , पर उसमे 80 टेस्ट कॉपी थी जिसे चेक करने मुझे टाइम लग रहा था इसलिए मैं मंडे तक ये काम नही कर पाया ।

सर ने मंडे सुबह को फोन किया और पूछा कॉपी चेक हो गई की नही तो मैने उन्हे बताया कि थोड़ी ही बची हैं तो उन्होंने कहा कि अगर स्कूल जाना जरूरी न हो तो कॉपी लेकर घर पर ही आ जाओ साथ में कर देंगे , मैने सोचा तो ऐसा कुछ खास था नही स्कूल में इसलिए मैंने भी हां कर दिया और नहा धो कर तैयार होकर सर के पास पहुंच गया ।

मैं जैसे ही सर के घर पहुंचा मैने गेट खटखटाया तो सर तौलिए में बाहर निकले उन्होंने मुझे अंदर बुलाया । पर ये सब मुझे सुनाई नही दिया और मैं बस उन्हें ही। देख रहा था ।

हल्की चौड़ी छाती , थोड़े थोड़े बाइसेप्स , चेहरे पर काफी बाल , सीना पूरा बालो से भरा हुआ जो तौलिए के नीचे कही गायब हो जा रहे थे , मैं ये सब ही देख रहा था की सर ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और अन्दर आने को कहा , मैं अंदर चला गया । सर चेंज करके रूम में आए और कॉपी देखने लगे और मैं उनको ।

आज पहली बार मैं वापस से उसी सब चीज में खो गया जो मैं बचपन में सोचता था । मुझे अचानक से ऐसा लगने लगा की मुझे सर पर क्रश आ गया है ,और अब मैं शायद उनसे प्यार भी करने लगा हु , मैं अपने दिमाग में कई सारी चीजें सोचने लगा जैसे सर का लन्ड कैसा होगा , उनकी झांटे कैसी होंगी , वो मेरे साथ कुछ करेंगे या नही ।

फिर अचानक से मुझे सर की आवाज सुनाई दी , वो मुझे कह रहे थे की मैने कॉपी अच्छे से चेक की हैं और आगे भी मैं ही करूंगा । बाकी लोगों को ये बोझ लग सकता था पर कॉपी चेक करते समय मैं एक ही जवाब को 80 बार पढ़ता था तो उससे मुझे कुछ भी याद करने की जरूरत नहीं पड़ती थी बल्कि मुझे वो खुद ब खुद याद हो जाते थे ।

अब हर हफ्ते मैं टेस्ट कॉपी चेक करता था और संडे को सर के पास बैठ कर बातें और जो बची हुई कॉपी चेक करनी होती थी वो करता था , ये करते करते मैं सर के काफी नजदीक आ गया था ।

मैं वैसे तो बनारस का रहने वाला हु पर मेरा परिवार बहुत पहले ही लखनऊ रहने आ गया था पापा की जॉब की वजह से । मैं हमेशा बनारस की गलियों की बात करता था , वहां के घाट , आरती , खाना , और सब भी जिससे सभी को पता था की मैं बनारस का रहने वाला हु ।

एक दिन सर ने मुझे बताया कि उनकी फ्रेंड की शादी हो रही हैं बनारस में और उन्हें वहां जाना है , पर उन्हें उधर का कुछ आइडिया नही है तो क्या मैं उनके साथ चलूंगा । अब मैं तो सर के साथ समय बिताने के समय ढूंढता ही रहता था इसलिए मैंने हां कर दी और मैंने उन्हे मेरे ही घर पर रुकने का ऑफर कर दिया जिसे सर ने भी मान लिया ।

घर से कोई दिक्कत नही थी क्युकी मैं अपने ही घर पर रुकने जा रहा था । मैने समान पैक किया और अगले दिन सुबह सर के पास चला गया । जब मैं वहा पहुंचा तो मैने देखा कि सर के साथ दीपक भैया और और सर के एक दोस्त भी खड़े थे ।

फिर मुझे पता लगा की वो दोनो भी जाने वाले हैं । मेरा पूरा मूड खराब हो चुका था पर क्या कर सकते थे । हम सब कार में बैठे , सर और सर के दोस्त आगे बैठे , मैं और दीपक भैया पीछे ।

हिन्दी चुदाई स्टोरी एक स्टूडेंट की एक टीचर के साथ

सर rear view मिरर से मेरी ही तरफ देखते थे बीच बीच में , फिर मेरी और दीपक भैया की भी बात शुरू हो गई जहा वो अपना फेसबुक मुझे दिखा रहे थे । उसमे वो कई लड़कियों से बात करते थे ।

अचानक से मैंने उनके चैट्स में हमारी की कोचिंग की एक दीदी की चाट देखी तो मैने उनसे बोला आप इनको भी पटा चुके हो तो उन्होंने बताया की वो अभी पटी नही हैं पर वो कोशिश में हैं ।

मैने चैट्स खोल कर उसे पढ़ना शुरू कर दिया जिसने दीपक भैया को भी गर्व महसूस हो रहा था क्युकी वो ऐसे ही थे , थोड़ा शो ऑफ करते थे हर चीज को और बेफिक्र थे । मैं जैसे हो थोड़ा ऊपर गया चैट्स में अचानक मुझे दीपक भैया के लन्ड की नंगी फोटो दिखी जो उन्होंने उन दीदी को भेजी थी ।

आगे अगले पार्ट में।

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