Hindi Gay sex story – होली के बहाने
होली के बहाने
लेखक : सनी
गुरु जी को बहुत बहुत प्यार, नमस्कार ! सभी अन्तर्वासना के पाठकों और मेरे आशिकों को जिन्होंने चैट में मेरे से बात की, मेरी नंगी गांड और लड़कियों जैसा जिस्म देखा। लेकिन यह सब अन्तर्वासना की बदौलत हुआ। गुरु जी का धन्यवाद जिन्होंने मेरी पांच की पांच कहानियाँ आप सब के सामने रखीं। कैसे बन गया मैं चुद्दकड़ गांडू से शुरुआत करते हुए मैंने चार कहानियाँ और भेजीं और मुझे बहुत प्यार मिला। अन्तर्वासना की बदौलत मुझे चार मोटे लौड़े भी मिलें हैं। सो दोस्तों यह सनी डिकलवर फिर से आप सबके सामने हाजिर है। लोग मुझे मेल पर मेल कर पूछ रहे हैं कि अगली चुदाई किस से की, लेटेस्ट किसका लौड़ा घुसवाया? सो दोस्तो, सबका इंतज़ार ख़त्म कर रहा हूँ !
इसी होली वाले दिन मैं घर से निकला, अपनी बाईक ली और चल पड़ा होली खेलने बैकवर्ड क्लास वाले लोगों की कालोनी में !
वहां पहुँच बाईक लगाई एक तरफ़ और एक चालीस साल के करीब के एक बंदे के पास जा खड़ा हुआ। उसने भांग पी हुई थी। उस वक़्त मेरे चेहरे पर रंग नहीं लगा था, मैंने जेब से रंग का पैकट निकाल कर खोला और उसके पास जा कर उस पर रंग डाल दिया और होली मुबारक कहा !
उसने पास पड़ी पानी की बाल्टी मेरे ऊपर पलट दी और मेरे कपड़े मेरे जिस्म से चिपक गए। उसकी नज़र मेरे चूचों पर चली गई। वो हैरान सा हुआ- इतनी कोमल वो भी लड़की जैसी ?
फिर उसकी नजर मेरी गांड पर गई- गोलमोल सी गांड !
ऊपर से उसने भांग पी रखी थी। मेरा निशाना सही लगा, वो मेरी तरफ आया, वो रंग लगाने के बहाने मेरा मुआयना करने आया था।
मुझे मालूम था ! उसने पहले मेरे चेहरे पर रंग लगाया और फिर जानबूझ कर मेरी गांड दबा दी। मैंने कुछ नहीं कहा।
होली मुबारक ! होली मुबारक ! कर रंग लगाते हुए उसने जफ्फी डाल हाथ डाल गांड पर रंग लगाने के बहाने लोअर के अन्दर हाथ ले जा कर मेरी गांड दबाई।
विरोध के बजाये मेरे मुँह से हल्की सी सिसकी निकली लड़की जैसी !
उसने भाम्प लिया कि मैं जहाज हूँ, गांडू हूँ, बोला- चल मेरे साथ पास में क्वाटर में रहता हूँ। वहाँ से रंग लेकर आते हैं !
मैं जान गया कि मेरा काम बन गया।
वो मुझे अपनी एक झुग्गी में लेकर गया। वहाँ सच में रंग पड़ा भी हुआ था। उसने पहले मुझे रंग लगाया, फिर दुबारा मेरे ऊपर पानी डाल दिया और बोला- यार तेरे चूचे मस्त हैं !
मैंने हंस कर कहा- अच्छा जी ?
बोला- सच्ची ! और गांड भी ! यार बस एक बार दबाने दे ! सिर्फ ५ मिनट !
मैं उसकी तरफ गया- क्या करोगे दबा कर इनको ?
बोला- बस यार, मुझे कुछ कुछ होता जा रहा है, एक बार, सिर्फ एक बार अपनी टी-शर्ट उतार और लोअर भी, बस तेरी गांड, तेरे मम्मे देखने हैं !
मैंने सोचा कि इन्टरनेट पर तो आराम से वेबकैम पर उतार के दिखाता हूँ क्यूँ ना इसकी मुराद पूरी कर दूँ, लेकिन मैंने जानबूझ कर नखरा दिखाया- छोड़ यार ! चल होली खेलने जाते हैं !
बहनचोद ! गांडू ! कमीने, भाव खाता है ? तुझे देख कर ही जांच लिया था कि तू गांडू है ! ऊपर से तेरे लड़की जैसे मम्मे और गांड देख यकीन हो गया था ! बस पहल नहीं कर पा रहा था।
चल यार, पहले बाहर जाकर होली खेल लें, फिर दिखा दूंगा !
बोला- चल ठीक है !
मुझे लेकर वो अपने दोस्त के घर गया। वहाँ उसको रंग लगाया। वो दारु की बोतल लेकर आया, तीन पेग बनाये। मैंने मना किया, वो बोले- होली है ! दोस्त एक लगा ले ! आप यह कहानी अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
हम वहाँ बीस मिनट रुके और तीन पेग पी लिए। मुझे नशा होने लगा क्यूँकि मैं कभी-कभी ही पीता हूँ। एक बार तो मुझे लगा कि वो अपने दोस्त के घर ही मेरी गांड, मम्मे दबायेगा लेकिन उसने वहाँ कुछ किया ही नहीं, बस वो मुझे पिलाने लाया था ताकि मैं उसकी इच्छा पूरी कर दूँ।
चल चलते हैं !
उसके साथ उसके घर गया, वहाँ अभी तक कोई नहीं आया था। उसने कहा- चल बैठ ! मैं आया !
उसने अपना पजामा खोला, मेरे सामने ही शर्ट उतारी, किल्ली पर टांग दी। उसका कच्छा उभरा हुआ था। उसे देख मुझे कुछ होने लगा और मेरी नज़र बार बार उसके लौड़े पर जा रही थी। मैं उठा और पहले लोअर उतारा, मैं फ्रेंची पहनता हूँ जिससे गाण्ड का चीरा दिखे, उसकी नज़र मेरी गाण्ड पर टिक गई। मैंने अपनी टी-शर्ट भी उतार दी। मेरे मम्मे देख वो पागल सा होने लगा- तुझे लड़की होना चाहिए था मेरे गांडू ! साले !
मैं आगे बढ़ा और अपनी बाहें उसके गले में डाल दी।
उह यार चिकने !
मैं उसकी मर्दानी छाती पर उसके बालों में हाथ फेरने लगा, वो मेरी गांड दबाने में लगा था साथ में मेरा चुचूक मुँह में लेकर चूस रहा था।अह ! मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी, छाने लगी, रुका न गया तो हाथ उसके कच्छे में घुसा दिया।
क्या लौड़ा था दोस्तो ! साढ़े आठ इंच के करीब लंबा और काफी मोटा था !
मेरी गांड पानी छोड़ने लगी, बिना समय गंवाये मैं घुटनों के बल गिर गया और एक पल में पूरा लौड़ा, जो आधा सा सोया हुआ था, मुँह में ले लिया। वो हैरान रह गया, बेचारे का अब तक किसी ने चूसा नहीं था, बोला- हम जैसे गरीब लोगों का कौन चूसता है ?
उसका काला लौड़ा मेरे गुलाबी होंठों में कितना आकर्षक लग रहा था। वो मेरे बालों में हाथ फेरता रहा और मैं मुठ मार मार कर चूसता जा रहा था। जब लौड़ा पूरा खड़ा हो गया तो चूसना मुश्किल होता जा रहा था, मुश्किल से उसका टोपा ही चूसा जा रहा था। मैं लम्बी जुबान निकाल उसका चाटने लगा।
वो बोला- मैं छूटने वाला हूँ ! मुँह में निकाल दूँ?
नहीं !
मैं मुँह से निकाल तेज़ तेज़ उसकी मुठ मरने लगा और उसकी पिचकारी अपने चेहरे पर डलवा ली, कुछ अपने मम्मों पर ! उसके लौड़े से मैं उसके माल से चेहरे की मालिश करने लगा, थोड़ा बहुत चाट कर उसका लौड़ा साफ़ कर दिया।
वो बोला- कभी चुसवाया नहीं था इसलिए जल्दी छूट गया !
उसने मुझे कस कर अपने जिस्म से चिपका लिया।
कोई बात नहीं ! खड़ा करना आता है मुझे !
कुछ पल हम वैसे ही लेटे रहे, वो मेरे चुचूक चुटकी से मसलने लगा। मैं पहले ही गर्म था, दोस्तो क्या मजा आ रहा था ?
आगे पढ़ने के लिए अन्तर्वासना से जुड़े रहो ! गुरुजी का आशीर्वाद सर पर है, उन्होंने अभी तक मेरी हर कहानी आप सबके सामने रखी है।