Hindi Gay sex story — रिक्शा वाले से गांड मरवाई
रिक्शा वाले से गांड मरवाई
प्रेषक : अन्कित
दोस्तों मेरा नाम लौड़ा पुजारी और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मेरा असली नाम है अंकित !
मैं अन्तर्वासना का पुजारी हूँ, इस वेबसाइट के सामने अब देसीपापा भी कम है, इसमें छपने वाले बिस्तर के हादसे लोगों के सोये हुए सेक्स को जगा देते हैं।
एक यादगार चुदाई का जिकर करने जा रहा हूँ !
मैं किसी काम से गाजियाबाद गया, तीस चालीस मिनट का सफ़र है ट्रेन से।
वहां पर मैं अपनी बुआ के घर गया था। वहां से निकला, रिक्शा किया, ट्रेन में अभी एक घंटा बाकी था। मैंने पास में पड़ते ठेके से विस्की का हाफ लिया। उसके पास पीने के लिए कोई अहाता नहीं था। पास में खड़ी एक उबले अण्डों वाले की ठेली से गिलास लिया, उससे दो उबले अंडे लिए, एक मोटा पैग बना कर पी लिया। जल्दी में एक और पैग पिया।
जिस रिक्शा वाले के साथ आने जाने की बात करके लाया था उसने कहा- जनाब ट्रेन छूट जाएगी !
मैंने खटाक से बाकी बचा भी पी लिया और उसके रिक्शा पे बैठ गया। हवा से मुझे ज्यादा ही चढ़ गई।
मैं रिक्शा में बैठा बैठा डोलने लगा तो रिक्शा वाले ने मुझे थामा और बोला- आप इस हालत में कहीं नहीं जा पाओगे। बोलो तो जहाँ से आये हो वहीं छोड़ देता हूँ !
मैंने कहा- वहां नहीं जा सकता इस हालत में ! बोला- फिर मुझे अपने घर ले जाओ, सुबह निकल जाऊंगा !
वो बोला- जनाब हम गरीब लोग हैं, एक कमरा है, तीन बन्दे रहते हैं !
कोई बात नहीं, मैं भी आपके बीच लेट जाऊंगा, चलो !
रास्ते से मैंने फुल बोतल खरीद ली, रास्ते से एक तंदूरी लगवा लिया, उसने अपना पउआ पहले खरीद लिया था।
उसके कमरे में पहुँच गए। वहां हमें दो बन्दे मिले, उसने उन्हें मेरे बारे में बताया। मेरे पास कोई कपडा नहीं था, मैंने अपनी पेंट उतार किल्ली पे टांग दी। उनकी नज़र मेरी गोरी चिकनी जांघों में गड़ गई। एक भी बाल नहीं था मेरी टांगों पर !
मैंने टीशर्ट नहीं उतारी।
वो चार ग्लास ले आये। मैंने मोटे मोटे पैग बना दिए, साथ में उनको तंदूरी खाने को दिया। वो खुश थे- साब आप बहुत अच्छे हो !
मुझे ज्यादा होने लगी इसलिए दूसरा पैग अपना नहीं बनाया, उनको पिला दिया। उनको भी नशा होने लगा। वो मेरे साथ घुल-मिल कर बातें करने लगे। मेरी नज़र उनमें से एक पर चली गई सामने वाले पर ! उसकी लुंगी से उसका मोटा लौड़ा दिख रहा था। मेरे साथ सट के बैठे बन्दे ने नोट किया कि मेरा ध्यान कहाँ लगा है।
नशा होने लगा था, मैंने आखिरी पैग फिर मोटा कर दिया और हम पी गए। जिसके साथ में मैं आया था, उसने अपना पउआ निकाला, ब्रांड चेंज की वजह से मैंने नहीं लिया।
साथ वाले ने मेरी जांघ पे हाथ फेरते हुए कहा- बहुत चिकना है तू !
मैंने अपना हाथ उसकी लुंगी में डाल दिया और उसके कच्छे में हाथ डाल उसके लौड़े को पकड़ लिया। सामने वाला हैरान रह गया।
मैं बोला- क्या देख रहा है तेरा लौड़ा देख कर ही मेरी गाण्ड में आग लगी थी।
मैंने शर्ट उतार फेंकी। सब मेरी लड़कियों जैसी छाती देख दंग रह गए। जिसका लौड़ा मेरे हाथ में था, उसने मुझे वहीं लपेट लिया और मसलने लगा। इतने में दूसरा आगे बढ़ आया, मैंने उसकी लुंगी खींच दी। उसने कच्छा नहीं पहना था, उसका लौड़ा आधा खड़ा लटक रहा था। उसको पास खींच मैंने मुँह में भर लिया।
वो आँखें बंद करके आहें भरने लगा- कभी सोचा न था की कोई मेरा चूसेगा।
मुँह में डालते ही तन गया था।
जिसके रिक्शा पे मैं आया था। उसे कहा- तुम भी पास आओ न ! तेरी वजह से आज मुझे लौड़े मिले !
तीनों के लौड़े निकाल अपने मुँह के पास घुटनों के बल बिठा बारी बारी चूसने लगा। हाय क्या लौड़े हैं आपके ! साले जब डालेंगे तब और अच्छा लगेगा !
मैं घोड़ी बन गया। एक ने पीछे से अपना लौड़ा घुसा दिया, मैंने आराम से ले लिया और वो तेज तेज धक्के देने लगा, ज़बरदस्त वार करने लगा। इतने में बाकी के दोनों लौड़े मैंने खूब चूसे। एक ने चोदा, दूसरा चढ़ गया, उसने चोदा, तीसरा चढ़ गया, तीसरा उतरा, पहला फिर चुसवा कर खड़ा !
तीनों ने सारी रात मुझे ठोका, सुबह उठा तो गांड दुःख रही थी, लेकिन मुझे बहुत मजा आया।
सो यह थी मेरी एक नमकीन, हसीं, रंगीन चुदाई !
जल्दी दुबारा एक और मस्त ठुकाई लेकर आऊंगा !
कभी अलविदा मत कहना !!!!!!!!