Hindi Gay sex story – मेरी गांड की शादी हो गई-1
मेरी गांड की शादी हो गई-1
लेखक : आपका वही पुराना सनी
गुरुजी प्रणाम ! आपने तो मुझे अपने दिल में जो जगह दी है, मैं बता नहीं सकता कि कितना खुश हूँ मैं !
आपने मेरी एक भी मेहनत को जाया नहीं जाने दिया। यह कोई आसान काम थोड़े ही होता है कि गांड भी मरवानी, पढ़ाई भी करनी, गाण्ड चुदाई की कहानी लिखनी और फिर वक़्त निकाल कर अन्तर्वासना पर आनंद लेना !
हाँ ! पाठकों को और याहू मैसेंजर के मेरे सभी आशिकों को नमस्कार ! अपनी चिकनी गांड में हर लंड को मैं निमंत्रण देता हूँ- आओ मिलकर मस्ती करते हैं !
दोस्तों में शादी कर ली है ,हां शादी
मैंने बी.सी.ए के बाद आगे एम.सी.ए में दाखिला ले लिया है और अब मैंने होस्टल में कमरा ले लिया है। सभी रेगिंग से घबराते हैं लेकिन मुझे कोई डर नहीं लगता ! क्या करवाते है रेगिंग मेँ ! ज्यादा से ज्यादा कपड़े उतारने को कहते हैं ! उतरवा लें ! शर्म और मुझे? था ही मैं चिकना ! लड़कों ने मुझे शुरु से सही नाम “चिकना” दे दिया।
हमारे होस्टल में एक कमरे में तीन लड़कों के रहने की व्यवस्था थी। मुझे जो कमरा मिला, वहाँ अभी मेरे अलावा सिर्फ एक और था तीसरा अभी कोई नहीं था।
मेरे दो सीनियर लड़के मुझे कुछ-कुछ पहचानने लगे कि शायद मैं गाण्डू हूँ।
मैं भी उनके सामने ओवर एक्टिंग में कसर नहीं छोड़ रहा था, रस ले ले कर बातों के जवाब देता हूँ।
एक दिन मुझे दोनों ने अपने कमरे में बुलाया- अबे साले ! तू है क्या ? बता दे ! क्यूँ यहाँ जलवे बिखेरता फिरता है?
मैं कौन हूँ? मैं जो हूँ सर, आपके सामने हूँ !
चल अपनी शर्ट उतार जल्दी !
मैंने अपनी शर्ट उतार दी। नीचे पूरी बाजू की स्कीवी थी जिसमें मेरी छाती उभरी थी।
साले, यह भी उतार !
मैंने जब वो उतारी तो उसके नीचे मैंने काली ब्रा पहन रखी थी।
साले, यह क्या है?
कुछ नहीं ! मुझे शौक है यह सब पहनने का !
और नीचे क्या शौक है तुझे? यह कैसे शौक पाल रखे हैं तूने ? तू चलता भी गाण्ड मटका कर ! चल जरा पैंट उतार दे !
सर यहीं पर?
चल कमरे में चल कर उतार !
चलो !
मुझे लेकर वो अपने कमरे में ले गए।
सर आप किसी और से यह मत बताना !
नहीं ! पहले पैंट तो उतार !
मैंने कौन सी कभी किसी को गांड नहीं थी दिखाई या मरवाई थी ! मैंने नीचे भी पैंटी पहन रखी थी !
असल में मुझे थोड़ा बहुत लग रहा था कि मुझसे यह सब करवाया जा सकता है, लेकिन मैंने यह भी सोचा था कि ज्यादा लड़कों के सामने अपना राज़ नहीं खोलूँगा।
मेरी चिकनी गाण्ड देख कर वो पागल हो गए।
साले घूम जा !
मैं घूमा।
वाह मेरे लाल ! क्या मस्त गाण्ड है तेरी ! उसने आगे बढ़ कर मेरे चिकने कूल्हों पर हाथ फेरा।
मुलायम तो है ही मेरी गाण्ड ! एक बाल तक नहीं है।
लौड़ा दिखा अपना बेटा !
उसका क्या करोगे? मैं सिर्फ मरवाता हूँ !
अच्छा तो तू बौटम है?
येस सर ! पर आपको मजे दिया करूँगा ! पर किसी को मत बताना !
बोले- बेटा, हम हॉस्टल के नहीं हैं ! ना ही यहाँ पढ़ते हैं ! हम प्रोजेक्ट करते हैं, आखिरी सेमस्टर में तू भी प्रोजेक्ट करेगा किसी कंपनी से ! यहाँ हम अब कभी कभी रहते हैं। वार्डन से कह कर रुके हैं, बस कल दोपहर चले जायेंगे। फिर दो महीने बाद आना होगा प्रोजेक्ट जमा करवाने ! कोई बात नहीं तेरे जैसे माल को कोई और मिलेगा !
आज तो यहीं हो ना?
हाँ यहीं हैं ! हमारा तो खड़ा हो गया यार तेरी गांड देख कर ! टाईट हो गया !
दोनों ने अपनी अपनी पैंट उतार दी, उनके अंडरवीयर सच में तंबू बने पड़े थे, मैं उनके करीब गया और पूरे कपड़े उतार दिए। पहले एक के अंदर हाथ घुसा कर उसके लौड़े को दबाया, मसला- उंह ! मस्त लंड है ! मैंने निकाला, सहलाया ! ठीक आकार का था- यह नहीं कह सकता कि बहुत बड़ा !
उनके हाव-भाव से यह जान गया था कि वो पढ़ाकू किस्म के थे, इस काम के इतने माहिर नहीं थे।
मैंने दूसरे का भी पकड़ लिया, उसका भी वैसा था।
मैं झुका और एक का मुँह में लेकर चूसना चालू कर दिया।
वाह यार ! निकल जाएगा मेरा ! मत चूस ! कभी नहीं चुसवाया किसी से !
क्या सर आप भी ? पोस्ट-ग्रेजुएट हो चले अभी तक !
हमने इन कामो में ध्यान नहीं दिया !
मैंने कहा- चूसने दो ना सर !
दूसरे का मुँह में ले लिया और चूसा तो उसकी तो आंखें बंद होने लगी।
चलो सर, आप गांड में घुसा कर पानी निकाल लो !
मैं घोड़ी बनकर सामने से एक का लंड चूसने लगा- डालो सर !
उसने झटका दिया और लंड अंदर !
वो बोला- मस्त है यार !
लेकिन बस सात-आठ मिनट में वो फ़ारिग होकर लुढ़क गया।
मैंने दूसरे का लिया, कुछ मिनट बाद वो भी फारिग हो गया। बोले- बहुत मजा दिया तुमने ! चल अब कमरे में चला जा !
ठीक है सर !
मैं अपने कमरे में गया, वहाँ मेरा रूम-मेट था, बोला- कहाँ रह गया था तू?बस सीनियर ने रोक लिया था !
क्या कहा उन्होंने?
बस ऐसे ही सवाल जवाब करते रहे !
कपड़े नहीं उतरवाए तेरे?
नहीं तो ! क्यूँ ?
साले ! सोचा तू चिकना-चुपड़ा सा है ! क्या पता तुझे नंगा करवाया हो !
आप ऐसी बात कैसे कर रहे हो?
क्यूंकि तू लगता ही वैसा है !
कैसा?
चिकना सा ! वैसे मैं भी तेरा सीनियर हूँ !
ठीक है सर !
मैंने अपने बैग से कपड़े निकाले, सोचा, जब सो जाएगा तब बदल लूँगा ! अगर इसने भी मेरी ब्रा पैंटी देख ली, कहीं यह भी ना जान जाए मुझे !
मैं वैसे ही लेट गया। बड़ी लाईट बंद कर दी, छोटा बल्ब जल रहा था। मैं लेट तो गया लेकिन मुझे कसे कपड़ों में नींद नहीं आती। मुझे लगा कि वो सो गया है। आधे घंटे बाद उठा जल्दी से शर्ट उतारी, ब्रा खोली, अपने मम्मे देख शर्म सी आ गई। मैंने दबाते हुए ढीली टीशर्ट पहन ली और खड़ा हुआ। पैंट के बाद जल्दी से पैंटी उतारी उसकी तरफ पीठ थी। मैंने गांड पर हाथ फेरा तो मुझे लगा कि गांड गीली सी है, शायद उनका माल कहीं लगा था। मैंने तौलिये से साफ़ की, अंडरवीयर पहना, पजामा चढ़ाया, ब्रा-पैंटी बैग में डाली और सोने लगा।
मुझे शक था कि शायद वो सोया नहीं था ! उसका बैड उस दीवार की तरफ था मेरा दूसरी तरफ, एक बैड बीच में था।
थोड़ी देर बाद मैंने आँख खोली, देखा कि वो मुठ मार रहा था। उसका लौड़ा मुझे काफी बड़ा लग रहा था।
फिर उसने पानी निकाला, साफ़ किया, सो गया।
मैं भी सो गया।
अगले दिन मैंने कहा- यार, एक कमरे में रहते हैं, यह बैड छोटे हैं, तीनों बैड मिला लेते हैं ना !
बोला- तीसरा आ गया तब देख लेंगे !
कुछ होगा तो ही तो तीसरा आएगा ! कह कर मैं मुस्कुरा सा दिया।
साले कैसी बातें करता है?
क्यूँ क्या कह दिया मैंने?
लगता तेरी लेनी पड़ेगी !
क्या सर ?
रेगिंग !
ले लो ना सर !
मन नहीं है !
आप भी ले लो मेरी !
क्या ले लूँ?
रेगिंग ! और क्या?
मैंने सोच लिया कि शाम को इसे पटा लूँगा।
हमने बैड सुबह एक साथ जोड़ दिए, मैंने ब्रा-पैंटी पहन ली शाम को और रात को उसके आने से पहले कमरे में कपड़े बदल बैठ गया।
वो मैस से खाना खाकर आया और लेट गया, बत्ती बंद कर दी।
थोड़ी देर बाद मैंने उसकी तरफ बढ़ना शुरु किया।
वो सोया नहीं था, मैं लिपट गया, पीछे से उसको जफ्फी डाल ली।
आगे क्या हुआ अगले भाग में ज़रूर पढ़ना।