Hindi Gay sex story – गे रेप स्टोरी ४
Hindi Gay sex story – गे रेप स्टोरी ४
लड़कों ने महसूस किया अनिल पर असर हो गया है। फिर भी, पहलवान ने असर डालने के लिए गरज़ के अनिल को धमकी दी “अगर किसी से कुछ भी कहा, बहनचोद, तो तेरी गाँड फाड़ दूँगा।“ अनिल को गाली? अनिल को धमकी? इतने पर तो अनिल में ज्वालामुखी का विस्फ़ोट होना चाहिए था, आसमान गिर पड़ना चाहिए था, बोलने वाले का क़त्ल हो जाना चाहिए था। लेकिन कुछ नहीं हुआ। अनिल ने जैसे सुना ही नहीं, समझा ही नहीं। वो अपनी ख़ुमारी में डूबा वहीं ट्रक में रेत पर लेटने लगा।
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लड़कों की समझ में आ गया कि अनिल बदल गया है। अब गुस्से धमकी की ज़रूरत नहीं थी। पहलवान ने लेटते हुए अनिल का सिर अपनी गोद में रख लिया। अनिल अपनी बगल में होकर उससे लिपट गया। बाकी लड़कों के हाथ अनिल के बदन को फिर सहलाने लगे, प्यार से थपकियाँ देने लगें। पहलवान अब उसे प्यार से समझा रहा था। “सब बड़े होते हैं, सब यही करते हैं, मज़ा आता है, इसलिए करते हैं, अपने मन से करते हैं, ख़ुद सीखते हैं। कोई क्या करता है, इससे तुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है, तुझे नहीं करना तो मत कर। मर ऐसे ही सूखा सूखा। हम करते हैं तो हमें क्यों धमकाता है, हमारी शि क़ा य त क्यों क रे गा।“ और जिस्म के सहलाने में, उन चार जोड़ी हाथों की प्यार भरी थपकियों के बीच अनिल ने पाया कि उसका लंड फिर से खड़ा हो गया है जिसको अब उसने छुपाने की कोई क़ोशिश नहीं की, और उसने पाया कि जिस पहलवान दोस्त की गोद में उसका सिर रखा हुआ है उसका मोटा लंबा लंड भी खड़ा हो रहा है, जिससे दूर होने होने की अनिल ने कोई कोशिश नहीं की। और अनिल को नींद आ गई।
ट्रक ने उन्हें उतारा तो वो अपने अपने स्कूल के बस्ते ले कर अपने घर चले गए। पहलवान ने आख़िरी बार अनिल से बहुत प्यार से, मिन्नते माँगते ग़ुज़ारिश की, “किसी से कहना मत, यार”। अनिल ने उसकी बात मानते हुए हाँ में सर हिला कर उसको आश्वासन दिया।
अनिल ने कभी किसी से कुछ नहीं बताया। और फिर ये उन पाँचों का पर्सनल ग्रुप सीक्रेट बन गया। वो आपस में इस बात पर अनिल का दोस्ताना मज़ाक़ बनाते, उसकी खिंचाई करते, लेकिन अब अनिल को कुछ बुरा नहीं लगता था, वो एहसानमंद सा था अपने दोस्तों का जिन्होंने उसके जिस्म में मस्ती की इस गंगा को खोजा था। दोस्त उसे अपने से लिपटा लेते थे, उसके जिस्म को सहलाते थे, कपड़ों के ऊपर से, कभी कपड़ों के अंदर हाथ डाल के, कभी निप्पल दबाते, कभी जाँघे, झाँटे, पुट्ठे दबाते, अनिल ने उनको कभी नहीं रोका। और वो साथ में या अकेले जब भी अनिल को पाते तो उसका लंड खोल कर उसका मुट्ठ भी मार देते थे। अनिल ने उनको कभी नहीं रोका था। अनिल तड़पता था कि कब मौक़ा मिले और कब कोई उसका मुट्ठ मारे। अनिल ने भी कुछ बार अपना मुट्ठ मारा था लेकिन उसको वो मज़ा नहीं आया था जो चार जोड़ी हाथों के बीच जबरदस्ती मुट्ठ मारे जाने पे आया था। और अब तो जब उसका मूड करता, वो ख़ुद मौक़ा निकाल कर उनमें से किसी के पास जाता। शायद उनकी समझ में भी आ गया था कि अनिल क्या चाहता है, फिर भी वो उसकी इच्छा पूरी कर देते थे।
अनिल को ग़ुस्सा आना एकदम बंद हो गया था। उसने किसी की भी शिक़ायत करना एकदम बंद कर दिया था। अब उसके सामने कैसी भी बातें की जा सकती थीं, और उससे अनिल को वो विरल ज्ञान हासिल हो रहा था जिसको किसी स्कूल की किताब में नहीं पढ़ाया जाता था। अनिल बस पढ़ाई करने में लगा रहता था और पढ़ाई के अलावा वो कभी कभी उन चार लड़कों से अपना बदन सहलवा लेता था और मुट्ठ मरवा लेता था। और फिर तो वो अनिल का जिस्म सहलाते हुए, अनिल का मुट्ठ मारते हुए अपना लंड खोल के अपना मुट्ठ भी मार लेते थे। सब बड़े हुए थे, सबके लंड अलग अलग लंबाई, मोटाई, आकार और आकृति में बढ़े थे, किसी का ज़्यादा निकलता था किसी का कम। किसी का जल्दी निकलता था किसी का देर से। और ये सब उस 13-14 की उम्र से अब 19 की उम्र तक जारी था। लेकिन उनके बीच में इसके अलावा कोई समलिंगी गतिविधि नहीं हुई थी, कभी किसी ने अनिल से अपना लंड पकड़ने को, हिलाने को, चूसने को नहीं कहा था, कभी किसी ने अनिल का लंड नहीं चूसा था, कभी किसी ने नंगे होकर अनिल के नंगे जिस्म से अपना जिस्म नहीं रगड़ा था, कभी किसी ने अनिल कि गाँड नहीं मारी थी, न छुई थी, न अपनी गाँड मरवाई थी, न अनिल को छुआई थी। समाज ने जो बंधन सबके मन में बिठा रहे हैं वो सब उन सभी के मन में बसे हुए थे, जिनका वो सम्मान करते थे। बस कुछ बंधन एक घटना पर आक्रोश में टूट गए थे, लेकिन किसी ने उस दिशा में आगे बढ़ने की कोई क़ोशिश नहीं की थी।
लेकिन उन बंधनों के टूटने ने अनिल को जो बेपनाह मस्ती दी थी, उससे अनिल के ही मन में उस दिशा में आगे खोज करने का बैठ गया था। वो चाहता था कि कोई उसके साथ कुछ और करे, कोई अपना लंड उसको छूने दे, कोई अपना मुट्ठ उसे मारने दे, और जाने क्या-क्या करे नंगा होकर अनिल के नंगे बदन के साथ। लेकिन अनिल यह सब कभी बोल नहीं पाया था, कर नहीं पाया था। और इस बात की कुंठा को उसने पढ़ाई में निकाला था जिससे उसके हमेशा अच्छे नंबर आए थे और अब इंजीनियरिंग में सिलेक्शन हुआ था।
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और आज अनिल की बरसों की तमन्ना पूरी हुई थी जब उन पाँचों के अलावा किसी छटे व्यक्ति ने, मैंने उसे सेक्स का सुख दिया था। मेरे हाथ उसके नंगे चिकने जिस्म पर फिसल रहे थे। उसका लंड फिर से टन्ना गया था। मेरा लंड अभी तक टन्नाया हुआ था, उसका सिर मेरे लंड से चिपका हुआ था। उसने फिर से अपने होंठों में मेरी पैंट अंडीज़ के ऊपर से मेर लंड पकड़ लिया। मैंने उसके सिर को हटा कर अपनी पैंट की ज़िप खोल दी, और अपने छ इंच के मोटे कड़े लंड को बाहर निकाल लिया। उसकी साँसे भारी हो गई थीं, वो किसी बौराए व्यक्ति की तरह मेरे लंड को देख रहा था। मैं अपने लंड को उसके होंठों की ओर बढ़ाए। उसका मुँह थोड़ा खुला। मैंने अपना लंड उसके मुँह पर चिपका दिया। वो अपने आप ही अपने मुँह पर लगे लंड को चाटने चूसने लगा। और फिर उसका मुँह और खुला और मेरा लंड उसके मुँह में घुसने लगा। मैंने अपनी शर्ट बनियान उतार दी। मैंने अपनी बैल्ट पैंट खोल के नीचें खिसकाई और फिर अनिल ने अपने आप ही मेरी पैंट और अंडीज़ को पूरा नीचे उतार दिया। अब मैं भी उसकी तरह मादरजात नंगा था। मैं भी सोफ़े पर लेट गया और उससे लिपट गया। 69 मे। मैं उसका लंड चूसने लगा, और वो मेरा। उसका फिर कुछ ही देर में निकल गया और उस समय मैंने अपना लंड उसके गले तक ठूस दिया। उसकी साँस बंद हो गई, वो झटपटा रहा था, लेकिन उसने अलग होने की क़ोशिश नहीं की। फिर जब उसका निकल गया, तो मैंने अपने लंड को उसके गले से निकाल लिया। उसने जल्दी जल्दी खूब सारी साँसे लीं। मैंने रुमाल से उसका निकला माल साफ़ किया। और फिर मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकाल लिया और उसको उल्टा कर दिया। मैं उसकी गाँड को चाटने लगा, उसमें अपनी थूक भरी उँगली डालने लगा, क्या टाइट गाँड दी, हर छल्ले का उभार उँगली को महसूस पा रहा था। और कुछ ही देर में मेरी उँगली उसकी गाँड में अंदर तक जाने लगी। वो तड़प रहा था, लेकिन फिर उसकी तड़प मस्ती में बदल गई और वो मेरी उँगली को ही अपने कूल्हे हिला कर ठसके देने लगा। अब मैं उसके पीछे सीधा लेट गया और अपने लंड को उसकी गाँड पे टिका कर ठसका मारा। तमन्ना से मेरा बदन कसमसा उठा था और पानी टपका रहा था। कोई दिक़्कत नहीं हुई और थोड़ी देर में ही मेरा लंड उसकी कुँवारी, गर्म, मुलायम, टाइट, गाँड में पूरा पैबस्त हो चुका था। वो कभी कभी काँप जाता था जो दर्द से नहीं बल्की उसकी अपनी तमन्नाओं से था। मैंने अपने हाथों से उसके बदन को मसलना, और अपने लंड से उसकी गाँड में ठसके मारना शुरु किया। उसकी आहें, कराहें सिसकियाँ निकल रही थीं, उसकी 5-6 बरसों की तमन्ना पूरी हो रही थी। और फिर उसका जिस्म काँपने लगा और उसने कहा “मेरा निकल रहा है” वाऊ, थोड़ी ही देर में ये तीसरी बार था उसका। मैंने फट से रुमाल उसके हाथ में दिया, और उसने रुमाल को अपने लंड से लगा लिया। मुझे उसकी गाँड के भीतर उसका माल निकलने के झटके महसूस हुए, और उसने अपनों कूल्हों से ठसके मारना शुरु किया जो वो तो उसके लंड पर मार रहा था, लेकिन उनका असर मेरे लंड पर हो रहा था, और मेरा भी माल निकलने लगा, निकलता रहा, निकलता रहा। मैंने उसको दबोंच लिया, और मेरे मुँह से निकल रहा था “आई लव यू, अनिल, आई लव यू।”
हम काफ़ी देर तक ही लिपटे पड़े रहे, एक दूसरे को चूमते सहलाते रहे। फिर हम दोनों जा के साथ में नंगे नहाए। फिर मैं उसको उसकी काउंसलिंग के कॉलेज ले गया।
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वो दो दिन रहा, और दो दिनों में उसकी काउंसलिंग, बाहर खाने-पीने-घूमने, एक फ़िल्म देखने के अलावा जब भी हम फ़्लैट पर रहे, हम नंगे ही रहे, हमने न जाने कितना बार सेक्स किया, हर तरह से, और सेक्स के अलावा भी हम नंगे एक दूसरे से लिपटे लेटे बैठे रहते थे, टीवी या गाने चलते रहते थे, हम एक दूसरे को चूमते, चाटते सहलाते रहते थे।