Hindi Gay sex story – करके देखते हैं
करके देखते हैं
प्रेषक : विवेक
दोस्तो, यह मेरी प्रथम आपबीती और अनुभव है क्योंकि इससे पहले मुझे सेक्स का कोई न तो अनुभव था न कोई किताब या कहानी पढ़ी थी। बस दो या तीन कहानियाँ अपने दोस्त राम के साथ छुप कर ज़रूर पढ़ी थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था कि कोई इच्छा हो या मन करता हो कुछ करने का, क्योंकि मैं कुछ जानता ही नहीं था।
एक बार टेस्ट के दिनों में जब मैं पढ़ाई कर रहा था तो जीव-विज्ञान के टेस्ट कठिन होने के कारण राम और मैंने साथ-साथ रात में पढ़ने का सोचा और मैंने राम से कहा कि वो मेरे घर पर रात को आठ बजे तक आ जाये, खाना खाकर फिर रात भर पढ़ाई करते रहेंगे और पाठ भी आसानी से एक दूसरे को समझा लेंगे।
मेरे घर पर मेरा कमरा घर से बाहर एक ओर था और वहाँ न तो घर वाले आते थे और न ही कोई आवाज़ आती थी। वह तैयार हो गया और रात आठ बजे मेरे कमरे पर आ गया। मैं पहले ही खाना खा कर बनियान-पजामा पहन कर पढ़ रहा था। मैंने देखा कि वो भी पजामा और कुर्ता पहने था। उसने आते ही अपना कुर्ता उतार कर खूँटी पर टांग दिया और बनियान-पजामे में मेरे सामने मेज़ की दूसरी ओर कुर्सी पर बैठ गया और हम दोनों एक साथ एक एक पाठ दोहराने लगे।
रात करीब एक बजे जब स्त्री पुरुष के जनन-अंगों वाला पाठ आया और उसमें जनन अंगों की फोटो वाला पेज आया तो कुछ रात की खुमारी और कुछ सेक्स अंगों की फोटो देख कर हम दोनों उत्तेजित होने लगे, हालांकि हम दोनों ही उस पाठ को पहले भी कई बार पढ़ चुके थे।
अचानक राम बोला कि उसे सू-सू आ रही है और वह उठने लगा तो मेरी नज़र अचानक उसके पजामे की तरफ गई तो देखा कि उसका लंड पूरा तना हुआ पजामे को तम्बू की तरह ताने हुए था। मुझे यह देख कर हंसी आ गई और वो शरमा कर बोला- धत, क्या देख रहा है? क्या तेरा भी ऐसे ही हो रहा है?
तो मैं भी उठा तो देखा कि मेरा भी वही हाल था और मै भी शरमा गया। फिर वह पेशाब करने चला गया और उसके आने के बाद मैं भी पेशाब करने चला गया। फिर वापस आने पर दोनों उसी चैप्टर को याद करने लगे लेकिन अब हम दोनों का ही मन नहीं लग रहा था और दोनों ही का दिमाग कहीं और भटक रहा था।
दस मिनट के बाद राम बोला- अब पढ़ने में मन नहीं लग रहा है क्योंकि मेरा लंड फिर से कड़ा होने लगा है, लगता है यह पाठ पूरा नहीं कर पाऊंगा। यार तू बता मैं क्या करूँ?
मैंने कहा- यार मेरा भी यही हाल है !
और कुर्सी से उठ कर उसे दिखाया।
राम ने कुछ सोचा और उठ कर बोला- यार चल एक दूसरे को नंगा करके लंड मिलाते हैं किसका कैसा है !
यह कहते हुए उसने अपना कुरता और पजामा दोनों उतार कर कच्छा भी उतार दिया और ऊपर से नीचे तक पूरा नंगा हो गया। उसका लंड काले रंग का सीधा ऊपर को तना था और करीब ७ इंच लम्बा और थोड़ा मोटा आगे से नुकीला लेकिन खाल से ढका हुआ था।
यह देख कर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए। मेरा लंड भी लगभग उसी के बराबर लेकिन गोरा था क्योंकि मेरे शरीर का रंग गोरा और उसका सावला था। मेरा लंड भी खड़ा था। यह देख कर हम दोनों पता नहीं कैसे अपने आप एक दूसरे से चिपक गए जिससे दोनों के लंड आपस में टकराने लगे और हम दोनों को जाने कैसी मजेदार अनुभूति होने लगी।
दो मिनट के बाद हम दोनों एक दूसरे का लंड हाथों में पकड़ कर सहलाने लगे जिससे लंड के आगे की चमड़ी अपने आप पीछे हो गई और लंड खुल गए। हम लोगों को बहुत मज़ा आ रहा था। दोनों ने दो-तीन कहानियाँ मस्तराम की पढ़ी थी, अतः ऐसा करते हुए हम दोनों बिस्तर पर पहले बैठ गए फिर अपने आप ही लेट गए अगल बगल और जोरों से एक दूसरे को चाटने लगे और लंड से लंड को धक्के देकर टकराने लगे।
बड़ा ही मज़ा आ रहा था। हम लोगों को न तो गांड मारना और न ही गांड मरवाना आता था लेकिन इसी प्रकार मज़ा लेते हुए राम बोला- यार मस्तराम की कहानी में जो पढ़ा है उसे करके देखते हैं।
मैं बोला- ठीक है !
और यह सुनकर राम ने पूछा- क्या तेल है?
क्योंकि कहानी में तेल चुपड़ कर ही लंड को गांड के छेद में घुसेड़ते हैं।
मेरे पास तेल नहीं था लेकिन चेहरे पर क्रीम लगाने का शौक होने के कारण क्रीम की शीशी थी। वो मैंने अलमारी में से निकाल कर उसको दे दी।
राम ने कहा- यार किसी से कहना नहीं ! नहीं तो बहुत हँसी भी बनेगी और लोग चिड़ाएंगे भी !
तो मैंने कहा- हम दोनों में कोई नहीं बताएगा ! बस अब देर मत करो और मस्तराम की कहानी का प्रैक्टिकल शुरू करते हैं। अब यह बता पहले तू कोशिश करेगा या मैं करूँ ?
तो राम ने कहा- यार तू ही कर !
मैंने उसे बिस्तर पर पेट के बल लिटाया और उसकी जांघों के बीच उसके पैर फैला कर इस तरह बैठ गया कि मेरे लंड के सुपाड़े और उसकी गांड के छेद दोनों लगभग एक सीध में आ गये। फिर मैंने शीशी में से क्रीम निकाल कर ऊँगली से अपने लंड के सुपाड़े और पीछे भी लगाई और थोड़ी क्रीम ऊँगली से उसकी गांड के छेद के ऊपर लगा दी। फिर थोड़ा आगे बढ़ कर अपना सुपाड़ा उसकी गांड के छेद पर रख कर जोर लगाया कि लंड अंदर घुसे। लेकिन वो तो जरा भी अंदर नहीं गया तो राम बोला- चूतिया ! खूब जोर से धक्का पेल ! तभी तो अंदर जायेगा ! मैं अपने हाथों से दोनों चूतड़ पकड़ कर फैला रहा हूँ, तू जोर से ताकत लगा कर घुसेड़ दे !
मैंने आव देखा न ताव ! और पूरी ताकत से धक्का मारा तो एक चीख तो राम के मुँह से निकली- हाई दय्या रे मर गया ! निकाल जल्दी से निकाल ! साले मैं मर जाऊँगा !
और वह मेरा लंड अपनी गांड में से बाहर निकलने को छटपटाने लगा। मेरा आधे से ज्यादा लंड उसकी गांड में घुस चुका था। दूसरी चीख हलकी सी मेरे मुँह से निकली क्योंकि पहली बार मेरे लंड से खाल पूरी तरह हट कर बिलकुल पीछे हो गई थी और लंड राम की गांड की दोनों फांकों के बीच बहुत टाइट फंसा था।राम के छटपटाने से मेरा संतुलन भी बिगड़ गया था जिससे मैं उसकी पीठ पर गिर गया था और राम मेरे वजन के कारण हिल भी नहीं पा रहा था। मैं थोड़ी देर उसी प्रकार लेटा रहा और सोच रहा था कि क्या करूँ, अपना लंड बाहर निकालूँ या दूसरा धक्का मारकर पूरा अंदर कर दूँ !
इस प्रकार चार-पाँच मिनट बीत गए तो राम का छटपटाना बंद हो गया और वो शांति से लेटा था। फिर राम खुद बोला- यार जब प्रैक्टिकल करना है तो पूरा ही कर लेते हैं ! जो होगा देखा जायेगा ! तू लंड पूरा घुसेड़ दे लेकिन अबकी बार एक धक्के में पूरा घुस जाये क्योंकि तीसरा धक्का खाने की ताकत नहीं है मेरे में !
मैंने शरीर की पूरी ताकत अपने कूल्हों में इकठ्ठा करके जो धक्का मारा तो एक ओर तो मेरा पूरा लंड उसकी गांड में जड़ तक बैठ गया और दूसरी ओर राम तो चीख कर रोने लगा- यार, मैं तो मर गया ! मेरी गांड भी फट गई होगी। अब मैं कल कैसे स्कूल जाऊंगा?
उधर मेरे लंड में भी बहुत दर्द हो रहा था लेकिन अब तो जो होना था वो हो चुका था और मै उसके ऊपर लेटा था चुपचाप !
थोड़ी देर बाद जब दोनों को शांति हुई तो मैं कहानी में पढ़े अनुसार धीरे धीरे धक्के लगाने लगा तो हम दोनों को तीन चार मिनट के बाद मज़ा आने लगा। मेरे धक्कों की स्पीड धीरे धीरे अपने आप बढ़ती चली गई और राम भी नीचे से अपने चूतडों को ऊपर उठा उठा कर मेरे धक्कों को बढ़ाने लगा और उसके मुँह से अपने आप निकलने लगा- यार मेरी जान चोद दे, फाड़ दे मेरी गांड ! बड़ा मज़ा आ रहा है ! आज तक इतना मज़ा कभी नहीं आया !
और मैं भी पूरी स्पीड से धक्के लगाता हुआ बोल रहा था- ले मेरी जान पूरा लंड पी लिया अब और लम्बा कैसे करूँ?
इस प्रकार बातें करते स्पीड बढ़ती गई और अचानक मेरे लंड से गरम गरम लावा सा निकलने लगा और मुझे लगा कि मैं किसी तरह राम की गांड में खुद घुस जाऊँ।
फिर मैं पस्त हो कर राम की पीठ पर लेट गया और राम भी पस्त हो गया था। मेरा लंड भी अपने आप सिकुड़ कर छोटा होकर राम की गांड से फिसल कर बाहर आ गया और उसकी गांड के बाहर गीला गीला सा मेरे लंड से टपकने लगा था।
थोड़ी देर बाद मैं उसके ऊपर से उठा तो देखा कि उसकी गांड में से सफ़ेद और लाल तरल निकल रहा था। मैंने कहानी के हिसाब से समझ लिया कि लाल तो गांड के फटने से निकला खून और सफ़ेद मेरे लंड से निकला वीर्य है जिससे राम की गांड लबालब भरी हुई थी, क्योंकि मैं जीवन में पहली बार झड़ा था इसलिए वीर्य बहुत ज्यादा मात्रा में निकला था। लेकिन आनंद जो आज पहली बार गांड मारने में आया उसे मैं कभी भूल नहीं सकता था और सोच लिया कि अब रोज़ राम की या जो मिल जाये उसकी मारूंगा ज़रूर !
मैंने झाड़-पौंछ करने वाला कपड़ा लिया और राम की गांड को धीरे धीरे साफ किया। अब राम धीरे से उठा तो उसे दर्द हो रहा था, लेकिन वो बहुत खुश था कि गांड मरवाने में इतना मज़ा आता है तो अब अलग अलग आकार के लंड खोज खोज कर गांड मरवाऊंगा।
दोस्तो, उसके बाद थोड़ी देर हम लोग सेक्स की ही बात करते रहे और मै राम का लंड सहलाता रहा जिससे वो पूरी तरह से खड़ा हो गया तो मैंने खुद राम से कहा- यार, गांड मारने में बहुत मज़ा आया और मैं अब रोज़ नई नई गांड मारूँगा ! अब तुम मेरी गांड मारो जिससे मुझे उसका भी स्वाद मिल जाये।
यह कह कर मैं पेट के बल बिस्तर पर लेट गया और
दोस्तो बार बार वैसी ही कहानी दोहराने से क्या फायदा !
जिस तरह मैंने उसकी गांड मारी और फाड़ी और जितना दर्द मुझे अपने लंड में अनुभव हुआ उतना ही राम को भी हुआ और मेरी भी गांड फट गई और बहुत दर्द हुआ।
लेकिन दोस्तो, बहुत मज़ा आया और सोच लिया कि गांड मारना और मरवाना दोनों में बहुत मज़ा आता है और यदि लंड और गांड बदलती रहे तो कहना ही क्या !
पहले तो हम लोग आपस में ही यह खेल खेलते रहे लेकिन फिर हम लोगों ने अपना दायरा बढ़ाया और बहुत से लोगों को शामिल करके तब तक मज़ा लेते रहे जब तक पढ़ाई पूरी करके अपने अपने व्यापार में लग गए और शादी न हो गई।
बल्कि शादी के बाद भी जब मौका मिलता अपने दायरे के लोग आपस में मारने-मराने का गेम खेलते रहते थे जो आज भी जारी है।
दोस्तों बहुत से किस्से हैं ! आगे भी लिखता रहूँगा।