Hindi Gay Masti – लाइफगार्ड

Hindi Gay Masti – लाइफगार्ड

उस दिन मैं बहुत बोर हो रहा था. काम पर आने का मन नहीं था, ना जिम जाने का. लेकिन बॉस की फटकर के डर से आना पड़ा. वैसे भी मेरा काम भी ज़िम्मेदारी वाला है- गोवा के अंजुना बीच पर लाइफ गार्ड हूँ. मन मार के आना पड़ा- वही शोर शराबा करते टूरिस्ट, वही अथाह समंदर. इस सब से मैं बोर हो चुका था, हलाकि केरल में मेरा घर भी समंदर से ज्यादा दूर नहीं था, लेकिन वहां की बात हो कुछ और थी- मीलों फैली हरियाली, धान के खेत, नारियल के पेड़ों से घिरे लगून.

खैर.. मैं हमेशा की तरह अपने स्टेशन पर बैठ कर निगरानी करने लगा. मैंने कुछ देर बाद मैंने गौर किया की कम हाईट का लड़का मेरे आसपास घूम रहा था और चोर नज़रों से मुझे देख रहा था. मैं समझ गया की ये मुझे लाइन दे रहा था. वैसे मुझे इस सब की भी आदत हो गयी थी. लोग मेरी personality की वजह से मुझपर बहुत ध्यान देते थे- मेरा कद 6′ 2″ था, उम्र 26 साल. मेरी बॉडी भी अच्छी थी- मैं कॉलेज से ही बराबर जिम जा रहा था, और कई बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिताएं भी जीत चुका था. ख़ास तौर से लड़कियां मेरे आस पास बहुत घूमती थीं, लेकिन मुझे लड़के ज्यादा पसंद थे. बस एक कमी थी- केरल का होने की वजह से मेरा रंग काला था, और बीच पर बैठे बैठे और भी काला हो गया था.

थोड़ी देर बाद वो लड़का मेरे पास खुद आया और बोला “excuse me… दोस्त यहाँ पर toilet कहाँ है?” मैं मुस्कुराया और बोला “यहाँ पर कोइ टॉयलेट नहीं है. वो कैफे दिख रहा है- ‘Happy Hours’? उसके पीछे चले जाओ और हलके हो जाओ.”
“थैंक्स” उसने मुस्कुरा कर जवाब दिया. वैसे ये लड़का मस्त था- गोरा चिट्टा, सुन्दर और चिकना. सिर्फ बिना आस्तीन की टी शर्ट और शॉर्ट्स पहने था. उसकी चिकनी छाती की झलक साफ़ मिल रही थी. होट भी गुलाबी और मुलायम थे. कुल मिला कर मुझे पसंद था. मैंने उसके बारे में और जाना चाहा “आप कहाँ से आये हो?”
वो फिर मुस्कुराया और बोला “चंडीगढ़”. तो लौंडा पंजाबी था. वैसे भी पंजाबी देखने में अच्छे होते हैं- गोरे चिट्टे और सुन्दर. और इस लड़के की मुस्कान भी बहुत प्यारी थी मन कर रहा था अभी चोद दूँ.
अब उसने अगला सवाल किया “और आप कहाँ से हो?”
“केरेला” मैं जवाब दिया और एक बार फिर बीच पर नज़रें दौड़ा कर देखा. हलाकि मुझे ऐसे ड्यूटी पर पब्लिक से बात नहीं करनी चाहिए थी, अगर बॉस देख लेता तो पक्का झाड़ पड़ती. सौभाग्य से आज वो कहीं और था.
वो चौंका और बोला “केरेला.. woww… gods own country!!! फिर आप यहाँ क्या कर रहे हो? केरेला में तो कितने सारे बीच हैं”
मैं मुस्कुराया और बोला “बस यार किस्मत ले आई.. क्या करूँ”. मैंने गौर किया की बातें करते करते वो मेरे शरीर को अपनी नज़रों से टटोल रहा था. बीच बीच में उसकी नज़र मेरे निचले भाग पर भी चली जाती थी. मैं समझ गया की वो भी गे था.
मुझे किसी लड़के की गांड लिए हुए बहुत टाइम हो गया था. इस चिकने लौंडे को देखे कर मेरे अरमान जाग गए. मैंने उसके ठिकाने के बारे में जाने की कोशिश करी.
“आप रुके कहाँ हो?”
” Nirvana Hermitage. यहाँ पास में ही है.” वो मेरे सवालों का बराबर जवाब दे रहा था.
मैंने बात और बढ़ने की कोशिश की. शायद आज इसके रूम में ही इसका काम लगाने को मिल जाये.
“आप अकेले आये हो या किसी के साथ?”
वो थोड़ा सा उदास होकर बोला “अपने दीदी-जीजाजी के साथ. उनके दो बच्चे भी हैं साथ में. वैसे आप भी आस-पास ही रहते हो क्या?”
मैं ज्यादा दूर नहीं रहता था. वैगाटौर बीच के पास गाँव में कमरा किराये पर ले रक्खा था. लेकिन वहां मैं किसी को ला नहीं सकता था- कमरा अपने एक दोस्त के साथ शेयर करता था और वो साला स्ट्रेट था.

मैंने उसे अपनी जगह के बारे में बताया. “कभी शाम को सात बजे के बात आओ, आपको वैगाटौर बीच घुमा दूंगा” उसे चारा फेका, जो उसने झट से दबोच लिया.
“Sure, good idea… लेकिन पहले मैं अपने जीजाजी से पूछूँगा.” फिर झिझकते हुए बोला “आपका सेल नंबर मिल सकता है?”
मैंने उसे अपना नंबर दे दिया जो उसने अपने सेल में सेव कर लिया. उसके चेहरे पर ख़ुशी साफ झलक रही थी. फिर उसने मेरा नाम पूछा.
“I am Neeraj. and you?”
“Im Vikas. nice to meet you!” वो मुस्कुराते हुए बोला.
“Same here”. तभी अचानक उसने बीच पर बने झोंपड़े जैसे shacks पर नज़र दौड़ायी और मुझसे bola “नीरज… लगता है मेरी दीदी मुझे ढूँढ रही हैं. मुझे जाना होगा. पर मैं शाम को ज़रूर आने की कोशिश करूँगा”
साला पट गया था.
“ओके, नो प्रॉब्लम.. लेकिन फ़ोन ज़रूर कर देना आने से पहले”
एक मीठी सी मुस्कान उसके चेहरे पर दौड़ गयी और बोला “ठीक है, ज़रूर. See you later… bye!”
“bye!” और वो पलट कर वापस भीड़ में खो गया.

मैंने किसी तरह अपना दिन बिताया. ड्यूटी टाइम ख़तम होते ही मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की और अपने कमरे पर पहुँच गया. हाथ मुंह धोया और एक सफेद टी शर्ट और शौर्ट्स पहन ली और टीवी देखने लगा. उस पंजाबी मुंडे के बारे में बिलकुल भूल गया. तभी मेरे सेल की घंटी बजी. कोइ लोकल नंबर था. फ़ोन उठाया तो उधर से आवाज़ आई “hello…. is this neeraj?” मैं आवाज़ से पहचान गया. विकास था और मुझसे मिलने के लिए आना चाहता था. मैंने उसे रास्ता समझाया और उस लेने घर के बहार खड़ा हो गया- मेरा भी मन उतावला हो रहा था. इतने समय के बाद मुझे एक चिकने लड़के की गांड मिलने जा रही थी.

लगभग 15 मिनट के बाद विकास एक स्कूटी पर आ गया. मैंने उसकी स्कूटी पार्क करवाई और उसे टहलाने के लिए ले गया. हम लोग बातचीत करते हुए थोड़ी देर बाद वैगाटौर बीच पर पहुँच गए. मैं उसे लेकर समंदर में थोड़ा सा आगे आ गया. वो पानी में इतना आगे आकर डर गया.
मेरी हंसी छूट गयी. मैं बोला ” हा हा हा… डरो मत दोस्त, तुम एक लाइफ गार्ड के साथ हो.”
मैंने उसका हाथ पकड़ रक्खा था. उसने मेरे हाथ पर अपनी पकड़ और मज़बूत कर ली और मेरे करीब आ गया.

अब तक पूरी तरह से अँधेरा हो चुका था, और सिर्फ इक्का-दुक्का लोग ही टहल रहे थे. किस्मत से आज चांदनी रात थी. मौसम बहुत रोमांटिक हो रहा था. हम दोनों थोडी देर उसी तरह एक दूसरे का हाथ पकड़े चुप चाप खड़े रहे. फिर मैंने बात शुरू की.
“विकास.. आप पहली बार गोवा आये हो?”
“हाँ. आप कभी चंडीगढ़ आए हैं?’
“नहीं. ” इतना कहते हो मैं उसके पीछे खड़ा हो गया और उसे कन्धों से पकड़ लिया. मेरे पीछे आ जाने से वो थोड़ा डर गया और मुझसे सट गया. मैं उसे उसी तरह से कन्धों से पकड़ कर खड़ा रहा. वो मुझसे अब इतना सट गया था की मेरा लंड उसकी गांड पर दब गया था. उसकी मुलायम मुलायम गांड का स्पर्श पाकर मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने अपने लंड को उसकी गांड पर थोड़ा और कस कर दबाया और कंधे छोड़ कर उसे कमर से पकड़ लिया. उसने कोइ प्रतिक्रिया नहीं की.
मैं थोड़ी देर ऐसे उसे दबोचे खड़ा रहा. फिर मैंने हलके उसकी शौर्ट्स नीचे खसका दी. और अपने हाथ अन्दर डाल कर उसकी चिकनी चिकनी जांघों को सहलाने लगा. बड़ा मुलायम शरीर था. मन कर रहा उसे इसी पोज़ में खड़े-खड़े चोद दूँ. मेरा लंड भी अब पूरी तरह टाइट खड़ा हो गया था. मैंने झुक कर उसके गले को हल्का सा चूमा. उसने अपना सर मेरे कन्धों पर टिका दिया. मैं अब अपना गाल उसके गाल से सटा दिया और उसकी छाती के निप्पलों को अपनी उँगलियों से हल्का हल्का दबाने लगा. अब वो भी पूरी तरह गरम हो चुका था.

अगले हो क्षण वो मुड़ा और हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर किस करने लगे. उसके बहुत रसीले थे. मैंने दबा दबा के चूसे. साथ ही मैं उसकी गांड को भी अपने पंजों में भर कर दबाने लगा. वो मेरे कन्धों और बाँहों के मसल सहला रहा था. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था. मैं उसे बीच पर ले आया और हम दोनों बाँहों में बाहें डाले चपोरा फोर्ट वाली पहाड़ी की तरफ चल पड़े. वहां बिलकुल एकांत रहता है.

थोड़ा दूर चलने पर हम पत्थरों से घिरे बीच के हिस्से पर आये जो पब्लिक से छुपा रहता है. मैं पहले भी कई बार उस जगह कम लगा चुका था. मैंने विकास को एक पत्थर पर बैठा दिया और अपनी शौर्ट्स और जांघिया नीचे सरका दिया. मेरा 8″ का मोटा लंड विकास के चेहरे पर उछल कर खड़ा हो गया. एक मिनट तक विकास उसे देखता रह गया. फिर उसने मेरे लंड के सुपाड़े को अपने मुलायम होटों से दबा लिया और अपनी जीभ से सहलाने लगा. इतने दिनों बाद कोइ मेरा लंड चूस रहा था. मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और उसका सर पकड़ कर अपना लंड चुसवाने लगा. वो चूस भी बहुत प्यार से रहा था- उसने मेरा लंड अन्दर तक ले लिया था और अपनी जीभ से रगड़-रगड़ कर चूस रहा था.

थोड़ी देर तक मैं उसे अपना लंड चूसते देखता रहा- ऐसे चूस रहा था मानो कितने जन्मों का भूखा हो. उसके गरम गरम मुंह में मुझे अपना लंड देकर बहुत मज़ा आ रहा था. मैंने अपनी आँखें फिर से बंद कर लीं और चेहरा आसमान की तरफ करके आनंद के सागर में गोते लगाने लगा. बीच बीच में उसकी टी शर्ट के अन्दर हाथ डालकर उसकी चिकनी मुलयम छाती को सहलाने लगा. उसके मुलायम मुलायम होट मेरे भूखे लंड को प्यार कर रहे थे. उसकी गीली गीली मलाई जैसी जीभ उससे आलिंगन कर रही थी. मुझे लगा की मैं उसके मुंह में ही ना झड़ जाऊँ.

मैंने अपना लौड़ा बहार निकाल लिया. अब मेरा मन उसे चोदने का था.
“मेरी जान… मज़ा आ गया… अब चलो रेत पर घोड़ा बन जाओ… मैं तुम्हारे अन्दर डालूँगा”
उसने बिना कुछ कहे अपनी शौर्ट्स और जांघिया उतार दीं और बीच की नरम-मुलायम रेत पर घोड़ा बन गया.
मैंने झट से अपनी भी शौर्ट्स उतार दीं. अब हम दोनों ने सिर्फ ऊपर टी शर्ट पहनी हुई थी. मैं उसके पीछे घुटनों के बल खड़ा हो गया. उसकी गांड मेरे लंड से नीची पड़ रही थी.
मैंने उसकी कमर पकड़ उसकी मक्खन जैसी गांड को उचकाया. साले की गांड भी बहुत मुलायम थी. एक मिनट को तो मैं उसे अपने हाथों से दबाता रहा, फिर मेरे मन में ना जाने क्या आया, मैंने झुक कर उसके चूतड़ पर जोर से काट लिया.
उसकी चीख निकल गयी
“आह्ह्ह्ह….!!!! नीरज… क्या कर रहे हो?” वो उचकते हुए बोला.
“सॉरी यार… तुम्हारी गांड इतनी मुलायम है… मुझसे रहा नहीं गया. चलो अब झुक जाओ.”
वो झुक तो गया लेकिन मुड़ कर मेरी ओर देखने लगा- कहीं मैं फिर से उसे ना काट लूँ.
मैंने फिर से उसकी गांड उचकाई और हाथों से छेद को चौड़ा किया. फिर अपने लंड पर थूक कर उसे गीला किया ताकि आसानी से अन्दर चला जाये और लंड का सुपाडा टिका कर धक्का मारा. उसकी हलकी सी आह निकल गयी.
“उफ्फ्फ…!!”
शायद उसने इतना बड़ा पहले कभी नहीं लिया था.
मैंने उसकी जांघो को दबोच कर उसे चोदना शुरू किया. अभी तक मैंने अपना लंड आधा ही घुसेड़ा था और वो ऐसे चिल्ला रहा जैसे किसी ने उसकी गांड में हथौड़ा पेल दिया हो..
” उह्ह्ह….!!”
” उह… अह्ह्ह…!!!”
वो अपना सर भी झटक रहा था. उसे छटपटाता देख कर मुझे और मज़ा आने लगा. मैंने अपना लंड पूरा घुसेड़ दिया और घुसेड़ कर थोड़ी देर वैसे ही रुका रहा और उसका तड़पना देखता रहा.
मैंने जैसे ही लंड पूरा घुसेड़ा, विकास एक जोर की सिसकारी के साथ उछल सा गया.
“आ..अह..!!”
मुझे लगा की ये भाग जायेगा मैंने झुक कर उसके कंधे पकड़ लिए और अपना सारा भर उसके ऊपर डाल दिया. वो पट से नीचे गिर गया.
मैंने उसके कान में हलके से पूछा “you like it?”
वो सिस्कारियों के बीच बोला “इह.. अह… no.. its hurting me.. मैंने इतना बड़ा कम ही लिया है.”
मैं हल्का सा मुस्कुरा दिया. मेरे लिए ये कोइ नयी बात नहीं थी. मेरा लंड लम्बाई में 8 इंच का था. लेकिन उसकी मोटाई उसकी लम्बाई के हिसाब से कहीं ज्यादा थी. इसिलए चुदते हुए लोगों को ज्यादा दर्द होता था.
खैर मैंने अब सीधा होकर उसे ढंग से पेलना शुरू किया. वो जोर जोर से सिस्कारियां ले रहा था. मैं बेफिक्र होकर उसे अपनी कमर हिला हिला कर चोद रहा था. इतने वक़्त इस बीच पर कोइ नहीं होता. साले की गांड मक्खन की तरह मुलायम और टाइट थी. मेरे भूखे लंड को उसके अन्दर बड़ा मज़ा आ रहा था.
मैं उसके मुलायम चूतड़ों पर कभी कभी एक चपत भी लगा देता था.

फिर मैंने सोचा क्यूँ ना पोज़ बदला जाये. मैंने अपना लंड बहार निकला. विकास को लगा की मैं झड़ चुका. उसके चेहरे पर राहत की लहर दौड़ गयी. मैं हंसा और बोला “पीठ के बल लेट जाओ… मैं अभी झड़ा नहीं.”
बेचारा परेशान हो गया. “oh god… अब बस करो .. मुझसे और नहीं होगा..”
मैंने मनाने की कोशिश करी.. “Dude..बस थोड़ी देर और… फिर छोड़ दूंगा” मैं इतने चिकने माल को जाने नहीं देना चाहता था. मैंने उसे रेत पर घसीटा और पीठ के बल लिटा कर उसकी टाँगे अपने कंधे पर रख ली. साथ ही उसकी टी शर्ट भी खींच के उतार दी. अब उसकी गांड पूरी तरह चौड़ी हो गयी. मैंने फिर अपना लंड घुसेड़ा और हलके हलके हिलाने लगा. बेचारे के चेहरे के हाव-भाव देखने लायक थे. उसने सहारे के लिए मेरी बाहें पकड़ रक्खी थीं.
उसके मुंह से पहले की तरह आहें निकल रहीं थी, लेकिन मैं मस्त होकर उसे चोदे जा रहा था. मेरा काला काला लंड उसकी गोरी चिकनी गांड के मज़े लूट रहा था. बीच बीच में झुक कर उसकी निप्पल को को दबा देता था और होट भी चूस लेता था. करीब 10 मिनट तक मैं उसे सटासट चोदता रहा, फिर मैं झड़ने को हो गया. मैंने अपना लंड बहार निकला, उसकी टांगों को अपने कन्धों से हटा दिया और अपना लंड हाथ से हिलाते हुए उसकी छाती पर आ गया. वो उठने ही वाला था की मैंने अपने
दूसरे हाथ से उसके बाल दबोच का उसके सर को पकड़ लिया और अपना लंड तक ले आया. अगले सेकंड एक हलकी सी आह भरी:
“अहह…!”
मैंने अपना माल उसके चेहरे पर छिड़क दिया.
मैंने अब ठंडी सांस ली और उसके ऊपर से उठ गया. विकास ने अपना मुंह पोंछा और जल्दी जल्दी हमने कपडे पहने. फिर मैं विकास को वापस ले गया.
लौटते समय विकास बहुत चुप चुप था. शायद उसके लिए अच्छा अनुभव नहीं था. मैंने चांदनी रात में बीच पर पहली पार सेक्स किया था. मेरे लिया रोमांटिक अनुभव था. लेकिन झड़ने के बाद मुझे भी ख़राब लग रहा था- उस वक़्त जोश में होश खो बैठा था.
लेकिन मुझे आश्चर्य तब हुआ जब अगले दिन विकास का फिर फ़ोन आया. वो अभी गोवा में दो दिन और था. और उन दोनों दिन मैंने उस चिकने छोरे को मन भर के चोदा.
अभी भी कभी कदार उसका फ़ोन आ जाता है.

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