Gay story in Hindi font – एक गाण्डू की चुदाई
प्रेषक : दीपक शर्मा
मेरा नाम दीपक है, दिल्ली का रहने वाला हूँ। मैं एक ऐसा लड़का हूँ कि मुझे औरतों की योनि और मर्दों का लिंग दोनों बहुत भाते हैं। मेरे लिंग का आकार 8″ है। मेरी गाण्ड भी बहुत गोल और सेक्सी है।
मैं आपको बताने जा रहा हूँ कि मेरी गाण्ड पहली बार किसने मारी और कैसे बना मैं एक चुदक्कड़ गाण्डू !
तब मैं बी ए में था, हमारे पड़ोस में एक नया परिवार रहने आया। उस परिवार में एक मेरी उम्र का लड़का और उसके माँ बाप थे। उस लड़के का नाम अमन था। बाद में मुझे मम्मी से पता चला कि अमन की मम्मी मेरी दूर की बुआ हैं।
मैं उस समय तक सेक्स से अनजान था। बोर्ड की परीक्षा थी तो पढ़ पढ़ कर मेरा बुरा हाल था। मैं पूरी तरह ऊब चुका था जबकि अमन हमेशा प्रसन्नचित्त रहता। उसके नम्बर भी अच्छे आते थे पर पता नहीं कि वो कैसे हमेशा खुश रहता था। हम दोनों को खेलना भी पसंद नहीं था।
एक दिन जब मैं उसके घर गया तो उसके घर में कोई भी नहीं था। वो टीवी पर कुछ देख रहा था और जैसे ही मैंने उसको आवाज़ दी उसने जल्दी से टीवी बंद कर दिया।
मैंने पूछा- क्या कर रहे थे?
तो उसने कहा- कुछ नहीं।
मुझे कुछ शक हुआ, मैं थोड़ी देर के बाद चला गया। मेरे जाते ही उसने टीवी चालू कर दिया।
मैं अपने घर से खिड़की से सब देख रहा था। वो एक ब्लू फिल्म देख रहा था। मैंने ऐसी मूवी पहली बार देखी थी।
फिर उसने अपना लौड़ा निकाला और उसे आगे पीछे करने लगा। वो सिसकारियाँ भी ले रहा था।
थोड़ी देर के बाद कुछ लसलसा सा पदार्थ उसके लण्ड से निकला और शांत होकए सोफे पर गिर पड़ा।
अगले दिन जब वो मेरे घर आया तो मैंने उससे पूछा- तू कल क्या कर रहा था?
अमन- कुछ नहीं !
मैं- झूठ मत बोल !
अमन- मैं सच कह रहा हूँ !
मैं- मैंने कल खिड़की से सब देख लिया था।
अमन- क्या????
अमन के तो चेहरे का रंग उड़ गया, फिर वो मुस्कुराया और बोला- यही तो मस्ती है।
मेरी समझ में कुछ नहीं आया।
फिर अमन बोला- कल दोपहर को मेरे घर पे आ जियो।
अगले दिन मैं उसके घर गया। उसके घर पर कोई नहीं था।
उसने फिर से वही सीडी लगा दी। कुछ देर देखने के बाद उसका लौड़ा खड़ा हो गया।
अमन बोला- बहुत शरमाता है यार ! अब मर्द है तो लण्ड खड़ा तो होगा ही ना ! तेरा भी तो देख, क्या हाल हो रहा है?
उसके ऐसा कहते हुए मुझे कुछ शर्म सी आ गई।
तभी अमन ने देखा कि लोहा गरम है, वो मेरे पास सरक आया और उसने अपना हाथ मेरी जांघ पर रख दिया।
मैंने उसे तिरछी नजरों से देखा, पर वो सामने फ़िल्म देख रहा था।
पर जैसे ही उसने मेरी जांघ को सहलाया, मेरे तन बदन में जैसे शोला सा भड़क गया। लण्ड और तन्ना उठा। मैंने जान कर अपने लण्ड पर से अपना हाथ हटा दिया।
उसका हाथ पहले तो रुका, फिर धीरे से उसका हाथ मेरे लौड़े पर आ गया।
“चल मसल दे साले !” मेरे मुँह से निकाल गया।
मुझे ज्यादा इन्तज़ार नहीं करना पड़ा। उसका हाथ मेरे लण्ड पर कसता चला गया।
उसने मुझे देखा और बोला- तेरा लण्ड तो गजब कड़क हो रहा है, मेरा देख, कितना बुरा हाल है !
फिर हमने एक दूसरे की मूठ मारी।
अब यही सिलसिला चल पड़ा। हम रोज़ एक दूसरे की मूठ मारते।
ऐसे ही एक दिन हम एक ब्लू मूवी देख रहे थे। वो एक गे मूवी थी।
तभी अमन बहकता हुआ बोला- वो देख यार, वैसा करते हैं, मैं तेरा रस भरा लौड़ा चूस लेता हूँ, चल लेट जा।
मेरे दिल की कली खिल उठी। शायद हम दोनों एक ही राह के राही थे। जो मेरे मन में था, वो भी वही कर रहा था।
तभी अचानक वो बोला- अब उल्टा हो जा, मुझे तो तेरी गाण्ड मारनी है, मादरचोद, पलटी मार, साले को चोद दूंगा।
मेरे तन में एक ठण्डी सी लहर दौड़ गई। मेरी गाण्ड चोदने को कह रहा था वो। भला कैसे मना करता ! मैंने इतने दिनों तक इसी के तो सपने देखे थे।
मैं जल्दी से पलट गया और गाण्ड उभार दी, अपनी टांगें फ़ैला दी।
तभी अमन ने मेरे हेयर-ऑयल की कुछ बूंदें मेरी गाण्ड के छेद पर टपका दी और अपना तनतनाता हुआ लण्ड छेद पर रख दिया। मैं अपनी सांस रोके गाण्ड चुदने का इन्तज़ार करने लगा। तभी उसके नर्म सुपारे का दबाव मेरी गाण्ड के छेद पर बढ़ गया। मैंने अपनी गाण्ड का छेद ढीला कर दिया और उसका लण्ड फ़क की आवाज करता हुआ अन्दर घुस पड़ा।
मेरे दिल को जैसे सुकून मिल गया। मेरे गाण्ड में लण्ड खाने की लालसा में मुझे हुए उस हल्के दर्द का अहसास भी नहीं हुआ। वो मेरी पीठ से लिपट गया और मेरे मुख को जहाँ-तहाँ चूमने लगा। उसका लण्ड का जोर मेरे चूतड़ों पर था। लण्ड गहराई तक घुसा हुआ था। अब उसने धक्के लगाने आरम्भ किये तो मुझे गाण्ड में एक मीठी सी जलन सुलग उठी।
वो दबा कर मेरी गाण्ड मारने लगा और फिर एकाएक मेरी गाण्ड के अन्दर ही सारा माल उगल दिया। उसकी गहरी गहरी सांसें मेरे गले पर लग रही थी। कुछ ही पलों में वो सामान्य स्थिति में आ गया था।
“अब तेरी गाण्ड का मजा तो ले लूँ ! चल बन जा घोड़ी, लण्ड सीधा घुसेड़ दूंगा।” मैंने उत्तेजना में कहा।
वो जल्दी से घोड़ी बन गया और अपने चूतड़ मेरे सम्मुख उघाड़ दिये। साले की चिकनी गाण्ड देख कर मेरा लण्ड फ़ुफ़कारने लगा। मैंने उसकी चूतड़ों की दरार के बीच प्यारे से छेद में लण्ड को सेट करके जोर लगा कर लण्ड को अन्दर घुसेड़ दिया।
वो दर्द से चीख उठा।
मुझे भी उसकी कसी हुई गाण्ड से लण्ड में जलन सी हुई।
“मादरचोद, धीरे कर !”
उसका लण्ड नीचे से तन्नाने लगा था। मैंने उसका लण्ड भी कस कर पकड़ लिया और कभी उसकी मुठ मारता तो कभी उसकी गाण्ड मारता। उसका लण्ड फ़ूलता चला गया। मैं भी पीछे से अपनी कमर चला कर उसे चोद रहा था। मुझे इतनी सुन्दर अनुभूति कभी नही हुई थी। मेरा तन अब मीठी कसक से अकड़ने लगा था, मेरा तन जैसे बेचैन होने लगा था, मुझे मालूम हो गया था कि मेरा वीर्य निकलने वाला है, मैंने थोड़ा झुक कर उसके फ़ूले हुये लण्ड को रगड़ कर मुठ मारा और उसका वीर्य जमीन पर तीर की भांति छूट पड़ा। इधर मेरी सहन शक्ति भी जवाब देने लग गई थी। मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और निकालते निकालते ही मेरे लौड़े ने फ़व्वारा छोड़ दिया।
मैं हांफ़ उठा..। सांसें तेज हो गई थी। वीर्य तो जैसे बाहर निकलता ही जा रहा था।
आह्ह्ह ! इतना सारा माल ! इतना तो कभी नहीं निकला था।
मैं खल्लास हो कर खड़ा हो गया और अपने लण्ड को साफ़ करने लगा। उसकी पीठ और चूतड़ों पर गिरे वीर्य को कपड़े से साफ़ कर दिया। अमन उठा और मेरा हाथ पकड़ कर स्नानागार में ले आया। हम दोनों ने भली भांति स्नान किया और तरोताज़ा होकर बाहर आकर कपड़े बदल लिए।
अब गाण्ड मरने का सिलसिला भी चल पड़ा।
अब हम तक़रीबन साथ रहते। साथ पढ़ते, साथ स्कूल जाते और साथ में मूठ और एक दूसरे की गाण्ड भी मारते।
ऐसे ही एक दिन मेरे घर पे कोई नहीं था। मेरी दादी की तबियत ख़राब होने की वजह से मम्मी गाँव गई हुई थी। शाम के समय पापा टहलने गए हुए थे।
अमन मेरे घर पर ही था। हम पढ़ रहे थे। पापा के जाते ही हम दोनों नंगे हो गए और एक दूसरे की गाण्ड मारने लगे। थोड़ी ही देर के बाद हम शांत हुए और वापिस पढ़ने बैठ गए।
कुछ ही पल में पापा भी आ गए। लेकिन उनका अंदाज़ कुछ बदला बदला सा था। वो हुआ यूँ कि मेरे और अमन को मूठ मारते और गाण्ड मारते हुए मेरे पापा ने देख लिया।
अब आगे क्या हुआ जानने के लिए अगले भाग की प्रतीक्षा करें और इस कहानी पर अपने विचार मेल करें।