Gay sex story Hindi font – ट्रेन में अंकल की गांड मराई

हाय . मैं फिर से हाजिर हूं।मैं आपके समक्ष एक नई कहानी बताता हूँ जब कि मै बिलासपुर से तिरुवन्तमपुरम ट्रेन मैं यात्रा कर रहा था। इस अंकल की गांड मराई तो बड़ी ही साधारण सी थी।

मै 22 वर्षीय युवक हूँ । ये अंकल रायपुर से ट्रेन में चढ़े थे। वो अपनी 2 वर्ष के बेटे के साथ इस कम्पार्टमैंन्ट में चढ गए। उसकी सीट बिलकुल मेरे साथ की थी। ये सीट मात्र दो जनों के लिये पर्याप्त थी , मतलब आप समझ सकते है।

अब होना क्या था मैंने उसके बेटे को अपने गोद में लिया और खूब प्यार करने लगा। फिर अंकल ने कहा कि मैं कपड़े बदल कर आता हूँ तो तब तक मैं उसके बेटे का ख्याल रखूं। जब वो कपड़े बदलकर आये तब मैंने देखा उसके बनियान थोड़ी पारदर्शी थी। मैं उसको देखता रह गया। थोड़ी देर बाद मुझे जब होश आया तो मैंने उसका पूरा परिचय लिया. तब मैंने जाना कि वो चैनई मैं रहते है और उसके पत्नी रायपुर के किसी बैंक में काम करती हैं और छुट्टी के वक्त वो चैन्नई आते थे।

तब मैंने तुरंत सोच लिया कि ये शायद लड़कों के साथ सेक्स नहीं करते होगे। अचानक उसके बेटे ने मेरे लिप्स को किस किया जिसका मैंने भी उसे प्यार से उत्तर दिया। और वो हम दोनो के किस को बड़े गौर से देख रहे थे।

जब सोने का वक्त आया तो मैंने देखा उसका बेटा मेरे साथ सोने की ज़िद कर रहा है.अंकल ने मुझे अपना बेटा मुझे दे दिया। मैं उपर सो रहा था और अंकल नीचे सो रहे थे। पर मैं कहाँ सो पा रहा था. उसके मस्त जवानी को देख देख कर मैं उसके दो साल के बेटे को किस पे किस किये जा रहा था। तब आधे घन्टे बाद अंकल उठकर अपने बेटे को उठा रहे थे कि  मैं थोड़ा सा उदास होने का नाटक करने लगा। मैंने कहा कि प्लीज अपने बेटे को मेरे पास सोने दे। तो उसने तुरंत मुझे अपना बेटा दे दिया ।

वैसे मैं उस कम्पार्टमेन्ट के बारे मैं बता दूं। वैसे तो हमारे बगल वाला खाली था। और हम ए सी में यात्रा कर रहे थे तो उसमें परदे लगे होते हैं जिससे कोई हमें देख नहीं सकता था।

मैंने उससे बातचीत शुरू कर दी.

“अब तक शादी नहीं की तुमने?” उसने पूछा.

“मुझे लड़कियों में इंटरेस्ट नहीं है”मैंने साफ़ साफ़ बता दिया.सुनकर उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी.बोले”इंटरेस्ट ना होते हुए भी कभी कभी करनी पड़ जाती है”

“जैसे आपने कर ली ?”मैंने बेधड़क पूछ लिया.उसका बेटा मेरी जांघ पर सर रखकर सो रहा था.उसके सर पर हाथ फेरने के बहाने से अंकल मेरे लंड को टच करने की कोशिश लगे..मैंने मुस्कुराते हुए उसका हाथ पकड के सही ठिकाने पर रख दिया.वो थोड़ी हिम्मत करके मेरा लंड मसलने लगे.वो खड़ा होता जा रहा था.मैंने उसकी छाती पर हाथ फेरना शुरू किया.मैं उसके निप्पल को फ़ील कर रहा था, तो उसने धीरे से कहा दिया “चलो अब बेटे से प्यार खतम हो गया हो तो उसके बाप को प्यार करो। “

मैंने पहले उसके माथे पर किस किया फिर मैंने उसके कानों को फिर नाक को फिर उसके गालों को मैंने अच्छी तरह से चाटा और फिर उसके मुलायम से होठ को किस करने लगा। वो थोड़े गरम हो गए थे।

मैंने उससे कहा “तुम सो जाओ”
उसने कहा- क्यूं ?
मैंने कहा “तुम पहले लेट जाओ फिर देखो मेरा जादू।”

वो तुरंत मुस्कुराया और लेट गया। मैं तुरंत बाथरूम गया और अपना चड्डी निकाल कर मैं सिर्फ़ अपना लोवर पहनकर वापस आया। वो मेरा बेसब्री से इन्तज़ार कर रहा था। मैं उसकी आंखो में प्यास देख सकता था। मैं अन्दर बैठ गया और मैंने परदा गिरा दिया ताकि हमें कोई ना देख सके। मै अब धीरे से उसके निप्पलों को मसल रहा था।

वो बेचारा ज़ोर जोर से चिल्लाना चाहता था पर वो चिल्ला ना सका और अपने आवाज़ पे उसने कन्ट्रोल किया। मैंने धीरे से उसके पायजामे के अन्दर हाथ डालकर उसका लंड हाथ में ले लिया और उसका बनियान उतार दिया । उसने कहा कि मुझे नंगा कर दो। तो ये बात सुनकर मैं और गरम हो गया। मैंने बड़े आराम से उसके पायजामे को उतारा और उसके लंड और उसके लिप्स के साथ प्यार करता रहा।

मैंने भी अपने कपड़े उतारे. मैं सिरफ़ बनियान और अपने लोवर में था। और वो सिरफ़ अपने पायजामे और अंडरवियर में था। मैं उसके निप्पलों के साथ 15 मिनट तक प्यार करता रहा। फिर मैंने अपना हाथ उसके पाजामें के अन्दर डालकर उसके गांड को अंडरवियर के बाहर से सहला रहा था। वो मुझे पागलो की तरह देख रहा था। फिर उसने मेरे लिप्स को प्यार से काटा जिस्से मैं और मेरा नटराज पेन्सिल और गरम हो गये। मैंने अपना हाथो से उसका नाड़ा खोला और उसके अंडरवियर को थोड़ा नीचे कर दिया और अब मैं उसे धीरे धीरे उसके गांड के अन्दर अपनी अंगुली घुसा रहा था। उसकी  गांड तो पहले से तैयार थी।

अब मैंने अपनी दो अंगुली से उसके गांड को टटोला तो उसकी  सांसे तेज़ हो गयी .मुझे वो नज़ारा देखने में बड़ा मज़ा आ रहा था। मैं अचानक तीन अंगुली उसके छेद में ज़ोर ज़ोर से अन्दर बाहर करने लगा.

Gay sex story Hindi font – ट्रेन में अंकल की गांड मराई हाय . मैं फिर से हाजिर हूं।मैं आपके समक्ष एक नई कहानी बताता हूँ जब कि मै बिलासपुर से तिरुवन्तमपुरम ट्रेन मैं यात्रा कर रहा था।

अब तो वो बेकाबू हो गया था। वो मेरा साथ देने लगा था। मैं उसे किस भी कर रहा था और एक हाथ से उसके लंड को मसल रहा था और दूसरा हाथ उसकी गांड में ज़ोर ज़ोर से घुसा रहा था। ठीक पांच मिनट के बाद उसने अपना ज्यूस बाहर निकाला और मैं उसके सामने उसे चाटने लगा तो उसने कहा – ऐसा तो मेरी पत्नी भी नहीं करती है।

मैंने कहा “प्लीज इस वक्त अपने पत्नी को मत याद करो”
वो थोड़ा मुस्कुराया . मैंने उसे कहा “अब मेरा क्या होगा? ”
तो उसने कहा – चलो बाथरूम मे चलें।

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