Gay sex story in Hindi – नए माली से भी गाण्ड मरवाई
Gay sex story in Hindi – नए माली से भी गाण्ड मरवाई
जैसे मैंने सबको बताया था कि मैंने अपने घर आने वाले माली को भी अपने रंग में रंग रखा था, उसका लण्ड मैंने तब देखा था जब छत पर खड़ा था साथ के खाली प्लाट में माली मूत रहा था। ऊपर से उसका काला लण्ड, लाल सुपारा देख मैं पागल हो गया था, उसका लण्ड खाने की मैंने धार ली थी, मेहनत करके मैंने उसको पटा लिया था, उसके लण्ड से मजे करता था क्यूंकि उसके कारण हफ्ते में दो बार घर में ही मेरी चुदाई पक्की होती थी।
एक दिन जब उसने मुझे चोदते हुए बताया कि चार महीनों के लिए वो अपने गाँव में बिहार जा रहा है तो मुझे उदास देख बोला- साब, आपकी गाण्ड इतनी प्यारी है, वैसे भी आप कौन सा सिर्फ मेरे साथ करते हो, कई लण्ड हैं आपके पास !
“यार, फिर भी मुझे हफ्ते में दो बार तेरे से चुदने की आदत है !”
खैर वो चला गया, उसने अपनी जगह किसी और माली को काम दिलवा दिया। मैं ही घर में था, जिस दिन नया माली आ गया, बोला- नमस्ते साब ! मैं आपका नया माली !
मैंने ठिठौली करते हुए कहा- मेरा माली या फिर बगीचे का माली?
वो चुप सा हो गया, उसकी नज़र मेरी चिकनी जांघों पर गई क्योंकि मैंने निकर सी पहन रखी थी।
वो काम करने लगा। जब वो जाने लगा तो आवाज़ लगाई- साब !
मैंने टीशर्ट भी उतार दी थी, मेरा चिकना बदन है, उसी हालत में बाहर निकला- क्या हुआ?
वो बोला- जा रहा हूँ।
हाँ ! तो ठीक है। उसकी नज़र मेरे बदन पर थी।
तो मैं चलता हूँ ! उसकी नज़रों में मेरा बदन छा चुका था। जब वो गेट बंद कर रहा था, फिर देखा मैंने अपने होंठ तो चबाते हुये जुबान को होंठों पर फेरा और नशीली नजर से उसको देखा।
वो चला गया पर एक बात पक्की हो गई कि उसको मेरे प्रति शक ज़रूर हो गया था कि मैं गाण्डू किस्म का हूँ। वैसे माली हफ्ते में दो बार ही आता था लेकिन वो अगले दिन जब आया तो मैं समझ गया।
हमारे घर में छत पर भी किनारे किनारे काफी गमले रखे हैं, मैंने कहा- माली, छत वाले गमले भी हैं, गर्मी होती जा रही है, जब आते हो उनको भी पानी देकर जाया करो। जब बाहर का काम हो जाए तो अंदर आ जाना, छत पर चलेंगे।
थोड़ी ही देर में उसने आवाज़ लगाई, मैंने लोअर उतार दिया, सिर्फ फ्रेंची पहन रखी थी। जिन जिन लोगों ने मुझे वेबकैम पर देखा है वो जानते हैं कि मैं कैसा दिखता हूँ, उसकी आँखें फटी रह गई, मैं अपनी गाण्ड मटकाता हुआ सीढ़ियों पर चढ़ने लगा।
वो मेरे पीछे था, ताला खोलने के लिए मैं झुक गया, गाण्ड पीछे धकेल दी घोड़ी जैसे, जानबूझ कर ताला नहीं खोल रहा था।
वो पीछे खड़ा था, मैंने गाण्ड को उसके लण्ड वाली जगह रगड़ा, वो मेरी गाण्ड पर हाथ फेरते हुआ बोला- तुझसे नहीं खुलेगा, नीचे ही चलकर पानी डाल दूँगा।
“नहीं ! ताला खुल गया, ऊपर वाले कमरे में ही पानी डाल दे।”
मेरे चूतड़ों को दबाते हुए बोला- चल ठीक है !
कमरे में घुसते ही मैं उसके संग चिपक गया, वहीं पड़े बिस्तर पर मुझे लेकर गिर गया। उसने अपने कपड़े उतारे, उसका लण्ड देख मेरी गाण्ड में कुछ होने लगा। कितना बड़ा लण्ड था काला नाग जैसा !
“पसंद आया? घोड़ी बन जा मेरी जान !”
“रुक तो !” मैंने उसका लण्ड मुँह में भर कर चूसा, वो पागल होने लगा।
“हाय मेरी रानी ! पहली बार कोई मेरा लण्ड चूस रहा है ! तुझे मैं अपनी बीवी की तरह रखूँगा ! मेरी हो जा जानेमन !”
उसका पहली बार था इसलिए मुँह में झड़ने लगा, उसने लण्ड बाहर नहीं निकलने दिया, मुझे उसका माल पीना पड़ा। थोड़ी देर बाद वो दुबारा तैयार हो गया और इस बार उसने मेरी गाण्ड को फाड़ ही दिया।
एक घंटा लगा उसको दुबारा माल निकालने में ! मुझे बहुत मजा आया/
उस दिन के बाद माली मुझे रोज़ चोदने आने लगा सिर्फ शनिवार, इतवार को छोड़ कर !
यह थी मेरी एक मस्त चुदाई ! जल्दी नया काण्ड करूँगा तो आपके सामने लाऊँगा।