Gay sex stories Hindi – दोस्त के चाचा , भांजा और भाई की गांड मराई 5

Click here to read the earlier part of this Gay sex stories Hindi – दोस्त के चाचा , भांजा और भाई की गांड मराई 4

सुबह करीब 10 बजे सुनील ने मुझे उठा कर चाय दी और कहा “दीनू भैया फ्रेश हो कर नहा धो लो मैं नाश्ता बनाता हूँ।”
मैंने घर में केवल उसे देखकर कहा “चाचा और गोपाल कहाँ गये? ”
वो बोला “वे तो कब के खेत चले गये है। यहाँ आवाज़ होगी इसलिये चाचा रात की नीद खेत में ही पूरी करेगा और वे लोग शाम से पहले लौटने वाले नहीं है।”
और मैं फ्रेश होकर नहा धो कर नाश्ता करने लगा। सुनील अपने काम में लग गया। मैं कमरे में आकर किताब पढने लगा। मुझे कहीं बाहर जाना नहीं था इसलिये मैं केवल तौलिअ और बनियान में था।

करीब एक घंटे बाद सुनील अपना काम निपटा कर कमरे में बिस्तर ठीक कर आया और मुझसे बोला “भैया आप उधर कुर्सी पर बैठ जाओ मुझे बिस्तर ठीक करना है।”
मैं उठ कर कुर्सी पर बैठ गया वो बिस्तर ठीक करने लगा।चादर पर पड़े मेरे लंड और गोपाल की गांड के धब्बे रात की कहानी सुना रहे थे । सुनील झुक कर निशान वाला जगह को सूंघ रहा था। मेरी तो ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे रहा गई । थोड़ी देर बाद सुनील उठ गया और मेरी तरफ़ देखते हुए मुस्कुरा दिया । फिर मेरे पास आया और आँख मार कर बोला, “लगता है रात गोपाल के साथ जम कर खेल खेला है।” मैं हिम्मत करके बोला, “क्या मतलब”
वो मुझसे सटते हुए बोला, “इतने भोले मत बनो। जानबूझकर अनजान बन रहे हो। क्या मैं अच्छा नहीं लगता तुम्हे ”
मैंने कुछ नहीं कहा और केवल मुसकरा दिया. मैने गौर से देखा उसको। मस्त लौंडा था।
सांवला से रनग, चरहरा बदन। उठा हुए मस्त सीना ..

वो बात करते करते मुझसे एक दम सत गया और उसका तना तना लंड मेरी नंगा छाती से छूने लगा।

सांवला से रनग, चरहरा बदन। उठा हुए मस्त सीना ..वो बात करते करते मुझसे एक दम सत गया और उसका तना तना लंड मेरी नंगा छाती से छूने लगा।

यह सब देखकर मेरा लंड जोश मे फ़रफ़रा उठा। मैने सोचा कि इसे ज्यादा अच्छा मौका फिर नही मिलने वाला। साला खुद ही तो मेरे आया हुए है। मैने हिम्मत करके उसे कमर से पकड़ लिया और अपनी पास खींच कर अपने से चिपका लिया और बोला, “चल सुनील थोड़ा सा खेल तेरे साथ भी हो जाये,”
वो एकदम से घबड़ा गया और अपने को छुड़ाने की कोशिश करने लगा। पर मैं उसे कस कर पकड़े हुए चूमने की कोशिश करने लगा। वो मुझसे दुर हटने की कोशिश करता जा रहा था पर वो बेबस था। इसी दौरान मेरा तौलिअ खुल गया और मेरा 9″ का फ़नफ़नता हुआ लौड़ा आज़ाद हो गया। मैंने कहा “देखो मजे लेना हैं तो चलो बिस्तर पर” और उसे अपने बाहों में उठा कर बिस्तर पर लिटा कर अपना लंड उसका गांड मे दबाते हुए मैने अपनी एक टांग उसका टांग पर चढ़ा दिया और उसे दबोच लिया।

दोनो हाथों से निप्पल को पकड़ कर मसलते हुए बोला, “नखड़े क्यों दिखाता है.. खुदा ने हुसन दिया है क्या मार ही डालेगा, अरे हमे नही देगा तो क्या अचार डालेगा.. चल आजा और प्यार से अपनी मस्त जवानी का मज़ा लेते है।” कहते हुए उसके बनियान को उतार दिया। फिर एक हाथ को नीचे ले जाकर उसकी लुंगी के अंदर घुसा दिया और उसका चिकनी चिकनी जाँघों को सहलाने लगा। धीरे धीरे हाथ उसकी गांड पर ले गया। पर वो तो दोनो चूतडों को कस कर दबाये हुए था। मैं उसकी गांड को ऊपर से कस कस कर मसलने लगा और अंगुली को किसी तरह गांड के अंदर डाल दिया। अंगुली अंदर होते ही वो कस कर छटपटाने और बाहर निकालने के लिये कमर हिलने लगा। इससे उसका अंडरवियर नीचे हो गया। मैने कमर पीछे करके अपने लंड को नंगे चूतड़ की दरार मे लगा दिया। क्या फुले फुले चूतड़ थे । अपना दूसरा हाथ भी उसका लंड पर से हटा कर उसके चूतड़ को पकड़ लिया और अपना लंड उसकी गांड की दरार मे रख कर उसकी गांड को मैं अंगुली से चोदते हुए गांड की दरार मे लंड थोड़ा थोड़ा धंस रहा था। कुछ ही देर मे वो ढीला पर गया और जाँघों को ढीला कर के कमर हिला हिला कर आगे और पीछे की चुदाई का मज़ा लेने लगा। “क्यों जान मज़ा आ रहा है” मैने धक्का लगते हुए पूछा।
“हाँ भैया मज़ा आ रहा।”
उसने जांघें फ़ैला दी जिससे कि मेरी अंगुली आसानी से अंदर-बाहर होने लगा। फिर उसने अपना हाथ पीछे करके मेरे लंड को पकड़ लिया और उसका मोटाई को नाप कर बोला, “ओह इतना मोटा लंड। चलो मुझे सीधा होने दो,” कहते हुए वो चित लेट गया।

अब हम दोनों अगल बगल लेटे हुए थे। मैने अपनी टांग उसकी टांग पर चढ़ा लिया और ६९ होकर अपने लंड को उसके चेहरे पर रगड़ते हुए उसका लंड को चूसने कगा। पत्थर जैसा सख्त था उसका लंड। एक हाथ से उसका लंड मसल रहा था और दूसरे हाथ की अंगुली से उसकी गांड चोद रहा था। वो भी लगातार मेरे लंड को पकड़ कर चूस रहा था। जब हम दोनो पूरी जोश मे आ गये तब सुनील बोला, “अब मत तडपाओ भैया चोद दो मुझे अब।”
मैने झटपट उसका अंडरवियर उतार कर उसकी गांड को पूरा नंगा कर दिया।फिर मैने उसका टांगें अपनी कंधो पर रखी और उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी गांड के मुंह पर रख लिया और बोला, “आओ , शुरु हो जाओ।” मैने कमर आगे करके ज़ोरदार धक्का दिया और मेरा आधा लंड दनदनता हुआ उसकी गांड मे धंस गया। वो चिल्ला उठा। “आहिस्ता भैया आहिस्ता दर्द हो रहा है” और उसने अपनी गांड को सिकोड़ लिया जिससे मेरा लंड उसकी गांड से बाहर निकाल आया। मैने उसका सख्त लंड पकड़ कर मसलते हुए फ़िर अपना लंड उसकी गांड पर रखकर एक और शॉट लगाया तो मेरा सुपड़ा उसकी गांड में घुस गया. कुछ देर तक मैने कुछ हरकत नहीं की और उसके होंटों को अपने होंटों में लेकर चूसने लगा। उसका आँखों से अब भी आंसू निकल रहे थे. थोड़ी देर बाद वो थोड़ा शांत हुआ और अब मैंने दूसरा शॉट लगाया तो मेरा बचा हुआ लौड़ा भी जड़ तक उसकी गांड मे धंस गया। मारे दर्द के उसकी चीख निकल गयी और बोला,  “बड़ा ज़ालिम है तेरा लौरा। किसी कुंवारे छोकरे को इस तरह चोदोगे तो वो मर जाएगा। संभल कर चोदना।”मैं उसका निप्पलों को पकड़ कर मसलते हुए धीरे-धीरे लंड गांड के अंदर -बाहर करने लगा। गांड तो इसकी भी टाइट थी…

Comments