Gay sex stories Hindi – दोस्त के चाचा , भांजा और भाई की गांड मराई 4

मैंने कहा “क्या मतलब, मैं कुछ समझा नही”

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गोपाल बोला “मतलब यह कि अब तुम मेरी गांड चाटो।” यह कह कर गोपाल खड़ा हो गया और अपनी गांड मेरे चेहरे के पास ले आया। मेरे होंट उसकी गांड के छेद को छूने लगा। गोपाल अपनी गांड मेरे नाक पर रगड़ने लगा। मैने भी उसके चूतड़ को दोनो हाथों से पकड़ लिया और उसकी गांड सहलाते हुए उसकी सेक्सी गांड को चूमने लगा।

मैं दीवानों की तरह उसकी गांड और उसके चारों तरफ़ के इलाके को चूमने लगा। बीच-बीच मे मैं अपनी जीभ निकाल कर उसके छेद को भी चाट लेता। गोपाल मस्ती से भर कर सिसकियाँ लेते हुए अब गांड को फ़ैलते हुये बोला, “अह्हह्हह! जीभ से चाटो ना। अब और मत तड़पओ । मेरी गांड को चाटो।डाल दो अपनी जीभ मेरी गांड के अंदर । अंदर डाल कर जीभ से चोदो।” अब तक उसके नशीली गांड की खुशबू ने मुझे बुरी तरह से पागल बना दिया था। मैने उसकी गांड पर से मुंह उठाये बिना उसे खींच कर पलंग पर लिटा दिया.फिर उसे पलट कर उसकी जाँघों को फैला कर अपने दोनो कंधो पर रख लिया और फिर आगे बढ़ कर उसकी गांड को अपनी जीभ से चाटना शुरु कर दिया। गोपाल मस्ती से बडबडाने लगा और अपने चूतड़ को और आगे खिसका कर अपनी गांड को मेरे मुंह से बिलकुल सटा दिया। अब गोपाल के चूतड़ पलंग से बाहर हवा मे झूल रहे थे और उसके मखमली जाँघों का पूरा दबाव मेरे कंधो पर था। मैने अपनी जीभ पूरी की पूरी उसकी गांड मे डाल दी और गांड के अंदर जीभ से सहलाने लगा। गोपाल मस्ती से तिलमिला उठा और अपने चूतड़ उठा उठा कर अपनी गांड मेरी जीभ पर दबाने लगा। “क्या मज़ा आ रहा है।अब अपनी जीभ को अंदर -बाहर करो ना”

मुझे भी पूरा जोश आ गया और गोपाल की गांड मे जल्दी जल्दी जीभ अंदर -बाहर करते हुए उसे चोदने लगा। गोपाल अभी भी जोर-जोर से कमर उठा कर मेरे मुंह को चोद रहा था। मुझे भी इस चुदाई से मज़ा आने लगा। मैने अपनी जीभ कड़ी करके सिर आगे पीछे करके गोपाल की गांड को चोदने लगा। उसका मज़ा दोगुना हो गया। अपने चूतड़ को जोर-जोर से उठाते हुए बोला, “और जोर से भैया और जोर से, !” वो अब झड़ने वाला था। वो जोर जोर से चिल्लाते हुए अपनी गांड मेरे पूरे चेहरे पर रगड़ रहा था।

मैं भी पूरी तेज़ी से जीभ लप-लपा कर उसकी गांड पूरी तरह से चाट रहा था। बीच बीच मैं अपनी जीभ को उसकी गांड मे पूरी तरह अंदर डाल कर अंदर बाहर करने लगा।  गोपाल का बाँध टूट गया और मेरे चेहरे को अपनी जाँघों मे जकड़ कर उसने अपनी गांड को मेरे मुंह से चिपका दिया।
कुछ देर बाद उसका पानी बहने लगा और मैं उसका लंड अपने  मुंह मे दबा कर उसका अमृत -रस पीने लगा। मेरा लंड फिर से लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया था। मैं उठ कर खड़ा हो गया और अपने लंड को हाथ से सहलाते हुए गोपाल को पलंग पर सीधा लिटा कर उसके ऊपर चढ़ने लगा। उसने मुझे रोकते हुए कहा, “ऐसे नही “और उठ कर बैठ गया। मेरे हाथ हटा कर दोनो हाथों से मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाते हुए लंड के सुपाड़े को चूमने लगा। उसके मुंह की गर्माहट पाकर मेरा लौड़ा और भी जोश मे आ गया। मैं सोच रहा था इतनी छोटी सी गांड के छेद मे मेरा लंड कैसे जाएगा। मैं बोला, “गोपाल इतना मोटा लंड तेरी गांड मे कैसे जाएगा ” गोपाल बोला, “हाँ पीछे से चोदना इतना आसान नही है। तुम्हें पूरा जोर लगाना होगा।” इतना कह कर गोपाल ढेर सारा थूक मेरे लंड पर लगा दिया और पूरे लंड की मालिश करने लगा। “पर गोपाल गांड मे लंड के लिये ज्यादा जोर क्यों लगाना पड़ेगा”
गोपाल बोला वो इसलिये कि गांड का छेद टाइट होता है । गांड पानी भी नही छोडती इसलिए घर्षण ज्यादा होता है और लंड को ज्यादा ताकत लगानी पड़ती है।  पर मज़ा बहुत है. मरवाने वाले को भी और मारने वाले को भी आता है। इसलिए गांड मारने के पहले पूरी तैयारी करनी पड़ती है।” मैने कहा “क्या तैयारी करनी पड़ती है”” गोपाल मुस्कुरा कर पलंग से उतरा और अपने चूतड़ को लहराते हुए ड्रेसिंग टेबल से वेसलीन की शीशी उठा लाया ।ढक्कन खोल कर ढेर सारा वेसलीन अपने हाथों मे ले लिया और मेरे लौड़े की मालिश करने लगा। अब मेरा लौड़ा रोशनी मे चमकने लगा। फिर मुझे डिब्बी दे दी और बोला, “अब मैं झुकता हूँ और तुम मेरे गांड मे वेसलीन लगा दो। और वो पलंग पर पेट के बल लेट गया और अपने घुटनों के बल होकर अपने चूतड़ हवा मे उठा दिया। देखने लयक नज़ारा था। उसके गोल मतोल चूतड़ मेरी आँखों के सामने लहरा रहे थे । मुझसे रहा नही गया और झुक कर चूतड़ को मुंह मे भर कर कस कर काट लिया। गोपाल की चीख निकाल गई । फिर मैने ढेर सारा वेसलीन लेकर उसकी गांड की दरार मे लगा दिया।गोपाल बोला, “अरे मेरे भोले , ऊपर से लगाने से नही होगा। अंगुली से लेकर अंदर भी लगाओ और अपनी अंगुली पेल पेल कर पहले गांड के छेद को ढीला करो।” मैने अपनी बीच वाली अंगुली पर वेसलीन लगा कर उसके गांड मे घुसाने की कोशिश की।

पहली बार जब नही घुसी तो दूसरे हाथ से छेद फैला कर दोबारा कोशिश की तो मेरी अंगुली थोड़ी सी घुस गई । मैने थोड़ा बाहर निकाल कर फिर झटका दे कर डाला तो घपक से पूरी अंगुली धंस गई । गोपाल ने एकदम से अपने चूतड़ सिकोड़ लिया जिससे की अंगुली फिर बाहर निकाल गई ।गोपाल बोला “इसी तरह अंगुली अंदर -बाहर करते रहो कुछ देर तक।” मैं उसके कहे मुताबिक अंगुली जल्दी से अंदर -बाहर करने लगा। मुझे इसमें बड़ा मज़ा आ रहा था। वो भी कमर हिला-हिला कर मज़ा ले रहा था। कुछ देर बाद गोपाल बोला, “चलो आ जाओ मोरचे पर और मारो गांड अपने गोपाल की ।” मैं उठ कर घुटने का बल बैठ गया और लंड को पकड़ कर गोपाल की गांड के छेद पर रख दिया। गोपाल ने थोड़ा पीछे होकर लंड को निशाने पर रखा। फिर मैने उसके चूतड़ को दोनो हाथों से पकड़ कर धक्का लगाया। गोपाल की गांड की छेद बहुत टाइट था। मैं बोला, “गोपाल मेरा लंड तेरी गांड में नही घुस रहा है।” गोपाल ने तब अपने दोनो हाथों से अपने चूतड़ को खींच कर गांड की छेद को फैला दिया और दोबारा जोर लगाने को कहा। इस बार मैने थोडा और जोर लगाया और मेरा सुपाड़ा उसके गांड की छेद मे चला गया। गोपाल की कसी गांड ने मेरे सुपाड़े को जकड लिया। मुझे बड़ा मज़ा आया। मैने दोबारा धक्का दिया तो उसके गांड को चीरता हुआ मेरा आधा लंड गोपाल की गांड मे दाखिल हो गया। गोपाल जोर से चीखा उठा, “उईइ , दुखता है ।” पर मैने उसके चीख पर कोई ध्यान नही दिया और लंड थोडा पीछे खींच कर ज़ोरदार शॉट लगाया। मेरा 9″ का लौड़ा उसके गांड को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर दाखिल हो गया। गोपाल फिर चीख उठा। वो बार बार अपनी कमर को हिला हिला कर मेरे लंड को बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था। मैने आगे को झुक कर उसके लंड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगा। लंड अभी भी पूरा का पूरा उसकी गांड के अंदर था।

कुछ देर बाद गोपाल की गांड मे लंड डाले डाले उसके लंड को सहलाता रहा।जब गोपाल कुछ नार्मल हुए तो अपने चूतड़ हिला कर बोला, “चलो अब ठीक है।” उसके सिगनल पकड़ मैने दोबारा सीधे होकर उसके चूतड़ पकड़ कर धीरे-धीरे कमर हिला कर लंड अंदर -बाहर करना शुरु कर दिया। गोपाल की गांड बहुत ही टाइट था। इसे चोदने मे बड़ा मज़ा आ रहा था। अब गोपाल भी अपना दर्द भूल कर सिसकियाँ भरते हुए मज़ा लेने लगा। उसने अपनी एक अंगुली अपनी गांड मे डाल कर कमर हिलना शुरु कर दिया। गोपाल की मस्ती देखकर मैं भी जोश मे आ गया और धीरे-धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। मेरा लंड अब पूरी तेज़ी से उसके गांड मे अंदर -बाहर हो रहा था। गोपाल भी पूरी तेज़ी से कमर आगे पीछे करके मेरे लंड का मज़ा ले रहा था। लंड ऐसे अंदर -बाहर हो रहा था मानो इंजिन का  पिस्टन। पूरी कमरे मे चुदाई का थप थप की आवाज़ गूँज रही थी । जब गोपाल के थरकते हुए चूतड़ से मेरी जांघें टकराती  तो लगता कोई तबलची तबले पर थाप दे रहा हो। गोपाल पूरे जोश मे पूरी तेज़ी से गांड मे अंगुली अंदर -बाहर करता हुआ सिसकियाँ भर रहा था। हम दोनो ही पसीने पसीने हो गए थे पर कोई भी रुकने का नाम नही ले रहा था। पूरा का पूरा लंड बाहर खींच कर झटके से अंदर डालता तो उसके चीख निकल जाती। मेरा लावा अब निकालने वाला था। उधर गोपाल भी हाथ से लंड को मसल कर अपनी मंजिल के पास था। तभी मैने एक झटके से लंड निकला और उसकी गांड मे जड़ तक धंस दिया। गोपाल इसके लिये तैयार नही था, इसलिए उसके अंगुली भी गांड मे ही रहा गया था जिससे उसकी गांड टाइट लग रहा था। मैं गोपाल के बदन को पूरी तरह अपनी बाहों मे समेत कर दनादन शॉट लगाने लगा। वो भी संभल कर जोर जोर से अह्हह उह्हह्ह करता हुआ चूतड़ आगे-पीछे करके अपनी गांड मे मेरा लंड लेने लगा। हम दोनो की सांस फूल रही थी । आखिर मेरा ज्वालामुखी फूट पड़ा और मैं उसकी पीठ से चिपक कर गांड मे झड गया। गोपाल भी चीखता हुआ झड गया। हम दोनो उसी तरह से चिपके हुए पलंग पर लेट गए और थकान की वजह से सो गये।

उस रात मैने गोपाल की गांड कम से कम चार बार और मारी।

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