Gay sex stories Hindi – दोस्त के चाचा , भांजा और भाई की गांड मराई 3

कुछ देर बाद होश आया तो मैने उसके सेक्सी होटों के चुम्बन लेकर उसे जगाया। चाचा ने करवट लेकर मुझे अपने ऊपर से हटाया और मुझे अपनी बाहों मे कस कर कानों मे फुस-फुसा कर बोला, “तुमने और तुम्हारे मोटे लम्बे लंड तो कमाल कर दिया, क्या गजब का ताकत है तुम्हारे लंड मे।”
मैने उत्तर दिया, “कमाल तो आपने कर दिया है , आजतक तो मुझे मालूम ही नही था कि आपने लंड को कैसे इस्तेमाल कैसे
करना है। यह तो आपकी मेहरबानी है जो आज मेरे लंड को आपकी गांड की सेवा करने का मौका मिला।”
अबतक मेरा लंड उसकी गांड के बाहर झांटों के जंगल मे रगड़ मार रहा था। चाचा ने अपनी हथेलियों मे मेरे लंड को पकड़ कर
सहलाना शुरु किया। उसके अंगुली मेरे अन्डुओं से खेल रही थी । उसकी अँगुलियों के स्पर्श पाकर मेरा लंड भी जाग गया और एक  अंगडाई लेकर चाचा की गांड पर ठोकर मारने लगा। चाचा ने कस कर मेरा लंड को कैद कर लिया और बोला, “बहुत जान है तुम्हारे लंड मे, देखो फिर से फड़फड़ाने लगा, अब मैं इसको नहीं छोडूँगा।”
Gay sex stories Hindi – दोस्त के चाचा , भांजा और भाई की गांड मराई 2

हम दोनो अगल बगल लेते हुए थे। चाचा ने मुझको चित लेटा दिया, और मेरी टांग पर अपनी टांग चढ़ा चढ़ा कर लंड को हाथ
से उमेथने लगा। साथ ही साथ अपनी कमर हिलाते हुए अपनी झांट और गांड मेरी जांघ पर रगड़ने लगा। उसकी गांड पिछली
चुदाई से अभी तक गीली थी और उसका स्पर्श मुझे पागल बनाए हुए था। अब मुझसे रहा नही गया और करवट लेकर चाचा की तरफ़ मुंह करके लेट गया। उसके लंड को मुंह मे दबा कर चूसते हुए अपनी अंगुली गांड मे घुसा कर सहलाने लगा। वह एक सिसकारी लेकर मुझसे कस कर चिपट गया और जोर जोर से कमर हिलते हुए मेरी अंगुली से चुदवाने लगा। अपने हाथ से मेरे लंड को कस कर जोर जोर से मुठ मार रहा था।मेरा लंड पूरे जोश मे आकर लोहे की तरह सख्त हो गया था। अब चाचा की हद से ज्यादा बेताबी बढ़ गई थी और उसने चित हो कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया। मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गांड पर रखते हुए बोला, “आओ , फिर से हो जाए।”
मैने झट कमर उठा कर धक्का दिया और मेरा लंड उसकी गांड को चीरता हुआ जड़ तक धंस गया। चाचा चिल्ला उठा और बोला, “जीओ , क्या शॉट मारा। अब मेरे सिखाये हुए तरीके से शॉट पर शॉट मारो और फाड़ दो मेरी गांड को।” चाचा का आदेश पा-कर मैं दुने जोश मे आ गया और उसके लंड को पकड़ कर चाचा की गांड मे लंड पेलने लगा। अंगुली की चुदाई से उसकी गांड गीली हो गयी थी और मेरा लंड सटासट अंदर -बाहर हो रहा था। वो भी नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवाब पूरे जोश के साथ दे रहा था।चाचा ने दोनो हाथों से मेरी कमर को पकड़ रखा था और जोर जोर से अपनी गांड मे लंड घुसवा रहा था। वो मुझे इतना उठाता था कि बस लंड का सुपाड़ा अंदर रहता और फिर जोर नीचे खींचता हुई घप से लंड गांड मे घुसवा लेता था । पूरे कमरे मे हमारी सांस और घपा-घप, फच-फच की आवाज़ गूँज रही थी । जब हम दोनो की ताल से ताल मिल गया तब चाचा ने अपने हाथ नीचे लाकर मेरे चूतड़ को पकड़ लिया और कस कस कर दबोचते हुए मज़ा लेने लगा। कुछ देर बाद चाचा ने कहा, “आओ एक नया आसन सिखाता हूँ,”


और मुझे अपने ऊपर से हटा कर किनारे कर दिया। मेरा लंड “पक” की आवाज़ साथ बाहर निकाल आया। मैं चित लेटा हुआ था और मेरा लंड पूरे जोश के साथ सीधा खड़ा था। चाचा उठ कर घुटनों और हथेलियों पर मेरे बगल मे बैठ गया। मैं लंड को हाथ मे पकड़ कर उसके हरकत देखता रहा। चाचा ने मेरा लंड पर से हाथ हटा कर मुझे खींचते  हुए कहा, “ऐसे पड़े पड़े क्या देख रहे हो, चलो अब उठ कर पीछे से मेरी गांड मे अपनी लंड को घुसाओ।” मैं भी उठ कर उसके के पीछे आकर घुटने के बल बैठ गया और लंड को हाथ से पकड़ कर उसकी गांड पर रगड़ने लगा।
क्या मस्त गोल गोल गद्दे दार गांड थी । चाचा ने जांघ को फैला कर अपने चूतड़ ऊपर को उठा दिये जिससे कि उसके सेक्सी गांड साफ़ नज़र आने लगा। उसके का इशारा समझ कर मैने लंड का सुपाड़ा उसकी गांड पर रखा कर धक्का दिया और मेरा लंड उसकी गांड को चीरता हुआ जड़ तक धंस गया।

चाचा ने एक सिसकी भर कर अपनी गांड पीछे करके मेरी जांघ से चिपका दी। मैं भी चाचा की पीठ से चिपक कर लेट गया और बगल से हाथ डाल कर उसके दोनो निप्पल को पकड़ कर मसलने लगा। वो भी मस्ती मे धीरे धीरे चूतड़ को आगे-पीछे करके मज़े लेने लगा। उसके मुलायम चूतड़ मेरी मस्ती को दोगुना कर रहा था। मेरा लंड उसके सेक्सी गांड मे आराम से आगे-पीछे हो रहा था।कुछ देर तक चुदाई का मज़ा लेने के बाद चाचा बोला, ” अब आगे उठा कर शॉट लगाओ, अब रहा नही जाता।” मैं उठ कर सीधा हो गया और चाचा के चूतड़ को दोनो हाथों से कस कर पकड़ कर गांड मे हमला शुरु कर दिया। जैसा कि चाचा ने सिखाया था मैं पूरा लंड धीरे से बाहर निकाल कर जोर से अंदर कर देता। शुरु मे तो मैने धीरे धीरे किया लेकिन जोश बढ़ता गया और धक्को की रफ़्तार बढ़ती गई । धक्का लगाते समय मैं चाचा के चूतड़ को कसके अपनी ओर खींच लेता ताकि शॉट तगड़ा पड़े। चाचा भी उसी रफ़्तार से अपने चूतड़ को आगे-पीछे कर रहा था। हम दोनो की सांसें तेज हो गई थी । चाचा की मस्ती पूरे परवान पर थी । नंगे जिस्म जब आपस मे टकराते तो घप-घप की आवाज़ आती। काफी देर तक मैं ऐसे ही धक्का लगाता रहा। जब हालत बेकाबू होने लगा तब चाचा को फिर से चित लिटा कर उन पर सवार हो गया और चुदाई का दौर चालू रखा। हम दोनो ही पसीने से लथपथ हो गये थे पर कोई भी रुकने का नाम नही ले रहा था। तभी चाचा ने मुझे कस कर जकड लिया और अपनी टांगें मेरे चूतड़ पर रख दिया और कस कर जोर जोर से कमर हिलाते हुए चिपक कर झड गया। उसके झड़ने के बाद मैं भी चाचा के लंड को मसलते हुए झड गया और हाँफते हुए उसके ऊपर लेट गया। हम दोनो की सांसें जोर जोर से चल रही थी और हम दोनो काफी देर तक एक-दूसरे से चिपक कर पड़े रहे।
कुछ देर बाद चाचा बोला, “क्यों बता कैसी लगी हमारी गांड की चुदाई” मैं बोला, ” मेरा मन करता है कि ज़िन्दगी भर इसी तरह से तुम्हारी गांड मे लंड डाले पड़ा रहूँ।”
चाचा बोला”जब तक तुम यहाँ हो, यह गांड तुम्हारी है, जैसे मर्ज़ी हो मज़े लो, अब थोड़ी देर आराम करते है।”
“नही चाचा , कम से कम एक बार और हो जाए।देखो मेरा लंड अभी भी बेकरार है।”
चाचा ने मेरे लंड को पकड़ कर कहा, “यह तो ऐसे रहेगा ही , गांड की खुशबू जो मिल गई है। पर देखो रात के तीन बज गये है, अगर सुबह टाइम से नही उठे तो गोपाल को शक हो जायेगा। अभी तो सारा दिन सामने है और आगे के इतने दिन हमारे है। जी भर कर मस्ती लेना। मेरा कहा मनोगे तो रोज नया स्वाद चखाऊंगा।” चाचा का कहना मान कर मैने भी जिद छोड़ दी और चाचा भी करवट ले कर लेट गया और मुझे अपने से सटा लिया। मैने भी उसके गांड की दरार मे लंड फंसा कर उसके लंड को दोनो हाथों मे पकड़ लिया और चाचा के कंधे को चूमता हुआ लेट गया।

नींद कब आई इसका पता ही नही चला।
सुबह जब अलार्म बजा तो मैने समय देखा, सुबह के सात बज रहे थे । चाचा ने मुस्कुरा कर देखा और एक गरमा -गरम चुम्बन मेरे होंटों पर जड़ दिया। मैने भी चाचा को जकड कर उसके चुम्बन का ज़ोरदार जवाब दिया। फिर चाचा उठ कर अपने रोज के काम मे लग गया। वो बहुत खुश था।

मैं उठ कर नहा धोकर फ़रेश होकर आँगन में बैठ कर नाश्ता करने लगा। तभी गोपाल आ गया और बोला “भैया खेत चलोगे? ” मैने कहा “क्यों नहीं”
रात वाला उसके ककड़ी से चोदने का सीन मेरे आँखों के सामने नाचने लगा। इतने मे सुनील (दोस्त का भाई) बोला “मैं भी तुम्हारे साथ खेत मैं चलूँगा।” और हम तीनो खेत की और चल पड़े ।रास्ते मैं जब हम एक खेत के पास से गुज़र रहे थे तो देखा की उस खेत में ककड़ियां उगी हुई थी । मैने ककड़ियों को देखते हुए गोपाल से कहा “गोपाल देख इस खेत वाले ने तो ककड़ियां उगाई है। और ककड़ियों में काफी गुण होते है”
गोपाल लम्बी सांस भरते हुई बोला “हाँ भैया ककड़ियों से काफी फायदा होता है और कई कामो में इसका उपयोग किया जाता है”
मैं बोला “हाँ इसे कई तरह से उपयोग में लाया जाता है”
इस तरह की बातें करते करते हम लोग अपने खेत में पहुँच गये। वहां जाकर मैं मकान में गया और लुंगी और बनियान पहन कर गोपाल के पास आ गया। गोपाल खेत में काम कर रहा था और सुनील उसके काम में मदद कर रहा था। मैने देखा गोपाल की लुंगी घुटनों के ऊपर थी और सुनील तौलिया और बनियान पहने हुए था। मैं भी लुंगी ऊंची करके (मद्रासी स्टाइल में) उसके साथ काम में मदद करने लगा। जब सुनील झुककर काम करता तो मुझे उसका अंडरवियर दिखाई देता था। हम लोग करीब 1 या 1:30 घंटे काम करते रहे फिर मैंने गोपाल से कहा “गोपाल मैं थोड़ा आराम करना चाहता हूँ ”
गोपाल बोला “ठीक है”
और मैं खेत के मकान में आकर आराम करने लगा। कुछ देर बाद कमरे में सुनील आया और कहने लगा “दीनू भैया आप वहां बैठ जाइए क्योंकि कमरे में झाडू मारनी है।”
मैं कमरे के एक कोने में बैठ गया और वो कमरे में झाडू मारने लगा। झाडू मारते समय जब सुनील झुका तो फिर मुझे उसका अंडरवियर दिखाई देने लगा। और मैं उसकी चुदाई के ख्यालों में खो गया। थोड़ी देर बाद फिर वो बोला “भैया जरा पैर हटा लो झाडू देनी है।” मैं चौंक कर हकीकत की दुनिया मे वापस आया। देखा सुनील कमर पर हाथ रखे मेरे पास खड़ा है। मैं खड़ा हो गया और वो फिर झुक कर झाडू लगाने लगा। मुझे फिर उसका अंडरवियर दिखायी देने लगा। आज से पहले मैने उस पर ध्यान नही दिया था। पर आज की बात ही कुछ और ही थी । रात चाचा से चुदाई की ट्रेनिंग पाकर एक ही रात मे मेरा नजरिया बदल गया था। अब मैं हर लड़के को चुदाई के नजरिया से देखना चाहता था। जब वो झाडू लगा रहा था तो मैं उसके सामने आकर खड़ा हो गया. अब मुझे उसके बनियान से उसकी छाती साफ़ दिखायी दे रही थी । मेरा लंड फन-फना गया। रात वाली चाचा जैसी गांड मेरे दिमाग के सामने घूमने लगी ।तभी सुनील की नज़र मुझ पर पड़ी । मुझे एकटक घूरता पाकर उसने एक दबी से मुसकान दी । अब वो मेरी तरफ़ पीठ करके झाडू लगा रहा था। उसके चूतड़ तो और भी मस्त थे । मैं मन ही मन सोचने लगा कि इसकी गांड मे लंड घुसा कर इसके लंड को मसलते हुए चोदने मे कितना मज़ा आएगा। बेखयाली मे मेरा हाथ मेरे तन्नाये हुए लंड पर पहुँच गया और मैं लुंगी के ऊपर से ही सुपाड़े को मसलने लगा। तभी सुनील अपना काम पूरा करके पलटा और मेरी हरकत देखकर मुंह पर हाथ रखकर हँसता हुआ बाहर चला गया।

थोड़ी देर बाद गोपाल और सुनील हाथ पैर धोकर आये और मुझे कहा “चलो दीनू भैया खाना खा लो। ”
अब हम तीनो खाना खाने बैठ गये। गोपाल मेरे सामने बैठा था और सुनील मेरे बायीं साइड की और बैठा था।सुनील पालथी मारके बैठा था और गोपाल पैर पसारे बैठा था। खाना खाते समय मैने कहा “गोपाल आज खाना तो जायकेदार बना है। ”
गोपाल ने कहा “मैने तुम्हारे लिये खास बनाया है। तुम यहाँ जितने दिन रहोगे गाँव का खाना खा खा और मोटे हो जाओगे।”
मैं हँस पड़ा और कहा “अगर ज्यादा मोटा हो गया तो मुश्किल हो जायेगी।” गोपाल और सुनील हँस पड़ा। थोड़ी देर बाद गोपाल ने कहा “सुनील तुम खाना खा कर खेत में खाद डाल आना। मैं थोड़ा आराम करूंगा।”
हम सब ने खाना खाया .सुनील बरतन धोकर खेत में खाद डालने लगा। मैं और गोपाल चटाई बिछा कर आराम करने लगे।मुझे नींद नहीं आ रही थी । आज मैं गोपाल या सुनील को चोदने का विचार बना रहा था। विचार करते करते कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला। जब मेरी नींद खुली तो शाम के करीब 5 बज रहे थे। मैने देखा कि मेरा मोटा लंड लंड तन कर कड़ा था और लुंगी से बाहर निकाल कर मुझे सलामी दे रहा था। इतने में गोपाल कमरे मैं आया मैं झट से आँखें बंद कर लिया।

थोड़ी देर बाद थोड़ी आँख खोल कर देखा कि गोपाल की नज़र मेरे खड़े हुए मोटे लंड पर टिकी थी । हैरत भरी निगाहों से मेरे बड़े और मोटे लंड को देख रहा था। कुछ देर बाद उसने आवाज़ दे कर कहा “दीनू भैया उठ जाओ अब घर चलना है” मैने कहा “ठीक है” और उठकर बैठ गया. मेरा लंड अब भी लुंगी से बाहर था। गोपाल मेरी और देखते हुए बोला “दीनू  भैया क्या तुमने कोई बुरा सपना देखा था क्या ”
मैंने मुश्किल से कहा “नहीं तो, क्यों क्या हुवा।”
वो बोला “नीचे तो देखो क्या दिख रहा है।” जब मैने नीचे देखा तो मेरा लंड लुंगी से निकला हुआ था। मैंने शरम से  अपना लंड अंडरवियर में छुपा लिया। ऐसा करते सामने गोपाल हँस रहा था। हम करीब 6:30 बजे घर पहुँचे। रास्ते भर कोई भी बात चीत नहीं हुई। घर आकर मैने कहा “मैं बाज़ार होके आता हूँ” और फिर बाज़ार जाकर 1 विशकी की बोत्तल ले आया। जब घर पहुंचा  तो रात के 9 बज रहे थे।मुझे आया देखकर गोपाल ने आवाज़ दी “भैया आकर खाना खा लो”
मैं बोला “गोपाल अभी भूख नहीं हैं थोड़ी देर बाद खा लूँगा ।” फिर मैने पूछा “चाचा और सुनील कहाँ हैं” (क्योंकि चाचा और सुनील ना तो रसोइघर में थे न ही आगन में थे)
गोपाल ने कहा “हमारे रिश्तेदार के यहाँ आज रात भर भजन और कीर्तन हैं इसलिये चाचा और सुनील रिश्तेदार के यहाँ गये हैं और सुबह 5-6 बजे लौटेंगे।”
मैने कहा “ठीक है, अगर आप बुरा ना मानो तो क्या मैं थोड़ी विस्की पी सकता हूँ ”
गोपाल बोला “ठीक है तुम आँगन में बैठो मैं वहीँ खाना लेकर आता हूँ।”
मैं आँगन में बैठ कर विस्की पीने लगा। करीब आधे घंटे बाद गोपाल खाना लेकर आया तब तक मैं 3-4 पेग पी चुका था और मुझे थोड़ा विस्की का नशा होने लगा था।गोपाल और मैं खाना खाने के बाद गोपाल के कमरे में आ गये। मैने पेंट और शर्ट निकाल कर लुंगी और बनियान पहन ली। गोपाल भी ने केवल कुरता पहना हुआ था। जब गोपाल खड़े होकर पानी लाने गया तो मुझे उसके पारदर्शी कुरते से उसके शरीर दिखायी दिया। उसने कुरते के अंदर ना तो बनियान पहना था न ही अंडरवियर पहना था इसलिये उसका जिस्म कुरते से झलक रहा था। जब वो पानी लेकर वापस आया हम बैठ कर बातें करने लगे।
गोपाल : दीनू  क्या तुम शहर में कसरत करते हो ”
दीनू : हाँ गोपाल रोज सुबह उठकर कसरत करता हूँ।
गोपाल : इसलिये तेरा एक एक अंग काफी तगड़ा और तंदरुस्त है। क्या तुम अपने बदन पर तेल लगा कर मालिश करते हो खास तौर पर शरीर के निचले हिस्से पर ”

दीनू : मैं हर रोज़ अपने बदन पर सरसों का तेल लगा कर खूब मालिश करता हूँ।

गोपाल : हाँ आज मैने तुम्हारा शरीर के अलावा अंदर का अंग भी दोपहर को देखा था .वाकई काफी मोटा लंबा और तंदरुस्त है। हर मर्द का इस तरह का नहीं होता है।
पूरे मकान मैं हम दोनो अकेले थे। और इस तरह की बातें कर रहे थे।

मैने भी गोपाल से कहा ” गोपाल आप भी बहुत सुंदर हो और आपका बदन भी सेक्सी है।

गोपाल : दीनू  मुझे ताड़ के झाड पर मत चढाओ। तुमने तो अभी मेरा बदन पूरी तरह देखा ही कहाँ है।
मैने कहा “आपने तो मुझे दिखाया ही नहीं और मेरे शरीर के निचले हिस्से का दर्शन भी कर लिया।”
इतना सुनते ही वो झट बोला “मुझे अच्छी तरह कहाँ तुम्हारा दर्शन हुआ। चलो एक शर्त पर तुम्हे पूरा शरीर दिखा दूंगा अगर तुम मुझे अपना दिखाओगे तो ”

मैं झट से लुंगी से लंड निकाल कर उसे दिखा दिया। गोपाल ने भी अपने वादे के अनुसार कुरता ऊपर करके अपनी गांड दिखा दी और मुस्कुराकर बोला ” खुश हो अब।”
क्या जलीम गांड थी । गांड देखते ही मेरा लंड तन कर फरफरने लगा। कुछ देर तक मेरे लंड की ओर देखने के बाद गोपाल मेरे पास आया और झट से मेरी लुंगी खोल दी। फिर खड़े होकर अपनी कुरता भी उतार दी और नंगा हो गया।फिर मुझे कुर्सी से उठ कर पलंग पर बैठने को कहा। जब मैं पलंग पर बैठ कर गोपाल के मस्त सेक्सी लंड को देख रहा था तो मारे मस्ती के मेरा लंड छत की और मुंह उठाए उसकी गांड को सलामी दे रहा था। गोपाल मेरी जांघों के बीच बैठ कर दोनो हाथों से मेरे लौड़े को सहलाने लगा। कुछ देर उन्हें सहलाने के बाद अचानक उसने अपना सर नीचे झुकाया और अपने सेक्सी होटों से मेरे सुपाड़े को चूम कर उसको मुंह मे भर लिया। मैं एकदम चौंक गया। मैने सपने मे भी नही सोचा था कि ऐसा होगा।

“गोपाल यह क्या कर रहे हो। मेरा लंड तुमने मुंह मे क्यों ले लिया है।”
“चूसने के लिये और किस लिये.तुम आराम से बैठे रहो और बस लंड चुसाई का मज़ा लो। एक बार चूसवा लोगे फिर बार-बार चूसने को कहोगे।”
गोपाल मेरे लंड को लोल्लिपोप की तरह मुंह ले लेकर चूसने लगा।मैं बता नही सकता हूँ कि लंड चूसवाने मे मुझे कितना मज़ा आ रहा था। गोपाल के सेक्सी होंट मेरे लंड को रगड़ रहे थे। फिर गोपाल ने अपना होंट गोल करके मेरा पूरा लंड अपने मुंह मे ले लिया और मेरे अन्डुओं को हथेली से सहलाते हुए सिर ऊपर नीचे करना शुरु कर दिया मानो वो मुंह से ही मेरा लंड को चोद रहा है । धीरे-धीरे मैने भी अपनी कमर हिला कर गोपाल के मुंह को चोदना शुरु कर दिया। मैं तो मानो सातवें आसमान पर था। बेताब तो सुबह से ही था। थोड़ी ही देर मे लगा कि मेरा लंड अब पानी छोड़ देगा। मैं किसी तरह अपने ऊपर काबू करके बोला, ” मेरा पानी छूटने वाला है।” गोपाल ने मेरी बातों का कुछ ध्यान नही दिया बल्कि अपने हाथों से मेरे चूतड़ को जकड कर और तेज़ी से सिर उपर-नीचे करना शुरु कर दिया। मैं भी उसके सिर को कस कर पकड़ कर और तेज़ी से लंड उसके मुंह मे पेलने लगा। कुछ ही देर बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और गोपाल गटागट करके पूरे पानी पी गया। सुबह से काबू मे रखा हुआ मेरा पानी इतना तेज़ी से निकला कि उसके मुंह से बाहर निकल कर उसके ठोड़ी पर फैल गया।
कुछ बूँदें तो तपक कर उसके लंड पर भी जा गिरी । झड़ने के बाद मैंने अपना लंड निकाल कर गोपाल के गालों पर रगड़ दिया। क्या खूबसूरत नज़ारा था। मेरा वीर्य गोपाल के मुंह गाल होंट और सेक्सी लंड पर चमक रहा था।

गोपाल ने अपनी गुलाबी जीभ अपने होंटों पर फिरा कर वहां लगा वीर्य चाटा और फिर अपनी हथेली से अपनी लंड को मसलते हुए पूछा, “क्यों दीनू भैया मज़ा आया लंड चूसवाने मे”
मैं बोला “बहुत मज़ा आया गोपाल , तुमने तो एक दुसरी जन्नत की सैर करवा दी मेरी जान। आज तो मैं तेरा गुलाम हो गया।
कहो क्या हुकम है।”
गोपाल बोला”हुकम क्या, बस अब तुम्हारी बारी है।”

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