Gay Hindi story – प्रचण्ड मुसण्ड लौड़ा-2
प्रेषक : रंगबाज़
पिंकू अब ईशान आदेश देने लगा था और ईशान मानने भी लगा था। ट्रेवल एजेंसी के बाकी लोगों की तरह वो भी उसके लौड़े का गुलाम बन चुका था। पिंकू अपनी आँखें बंद किये, ईशान के बाल सहलाता, लण्ड चुसवाने का आनंद ले रहा था और ईशान भी अपनी आँखें बंद किये, दोनों हाथों से पिंकू का हथौड़े जैसा लंड चूसने का आनन्द ले रहा था।
दोनों आँखें बंद किये आनन्द के सागर में डूबे जा रहे थे।
करीब बीस मिनट तक वो दोनों उसी अवस्था में लगे रहे, फिर ईशान थक गया, उसका जबड़ा दर्द करने लगा।
उसने सुस्ताने के लिए अपना सर अलग कर लिया।
“थक गए क्या?” पिंकू ने पूछा।
“हाँ यार, तुम्हें कितनी देर लगती है झड़ने में?”
“मुझे तो बहुत देर लगती है… एक घण्टा तक लग जाता है।” पिंकू ने गर्व से कहा।
बहुत हैवी-ड्यूटी लौड़ा था।
“थोड़ी देर और चूसो ईशान !” पिंकू ने आग्रह किया।
“यार मेरा जबड़ा दर्द कर रहा है। अब और नहीं कर पाऊँगा।” ईशान ने जवाब दिया।
“गान्ड में लोगे?” पिंकू ने प्रस्ताव रखा।
“बिल्कुल नहीं, मुझे अभी कुछ दिन और जीना है।” ईशान चिल्लाया।
“क्यूँ? इसमें जीने-मरने की बात कहाँ से आ गई?”
“अरे… ये तुम्हारा गधा छाप, इतना बड़ा मेरे अंदर जायेगा तो मेरी गान्ड फटेगी नहीं क्या?” ईशान उससे चुदवाने की बात को लेकर डर गया था।
लेकिन पिंकू अभी सन्तुष्ट नहीं हुआ था। ईशान ने उसका लण्ड इतने प्यार से चूसा था कि उसके अंदर की आग और भड़क गई थी। उसकी हालत अब एक कामातुर गधे की तरह हो गई थी। कैसे न कैसे उसे अपना लौड़ा झाड़ना ही था। लेकिन ईशान राज़ी ही नहीं था।
उसने ईशान को फिर से फुसलाना शुरू किया, “ईशान मेरी बात सुनो… इतना दर्द नहीं होगा जितना तुम सोच रहे हो। एक बार लेकर तो देखो !”
“बिल्कुल नहीं। सवाल ही नहीं होता। जाओ बाथरूम में सड़का मार लो।”
“अच्छा एक बात सुनो, अगर दर्द हुआ तो मैं नहीं करूँगा। बिल्कुल धीरे-धीरे घुसेड़ूँगा। बस एक बार कोशिश तो करो।”
ईशान ने कुछ सोच कर हामी भर दी। जी तो ईशान का भी कर रहा था पर वो डर रहा था पर असल में इतना बड़ा लण्ड देखकर उसकी गाण्ड में खुजली होने लगी थी।
“एक काम करो। मैं तुम्हारी कुर्सी पर बैठ जाता हूँ, तुम मेरे लण्ड पर अपनी गाण्ड टिका कर बैठो। अगर दर्द हुआ तो उठ जाना।” पिंकू ने सुझाव दिया।
ईशान को पिंकू की बात जँच गई।
अगले ही पल ईशान उठा और पिंकू कुर्सी पर अपना खम्बे की तरह खड़ा और खम्बे के ही आकार का लण्ड लेकर बैठ गया। साला हरामी बहुत उतावला हो रहा था, इतना कि उसका लण्ड सलामी देने लगा था। ईशान ने अपनी जींस और चड्डी नीचे खींची, पिंकू ने पहली बार ईशान की गोरी-गोरी, चिकनी गाण्ड के दर्शन किये।
विशाल ने बिल्कुल सही वर्णन किया था।
क्या मस्त गान्ड थी ईशान की !!!
मज़ा आ गया। और बाकी का मज़ा और आगे आने वाला था। ईशान ने अपनी गोरी गोरी, मुलायम, चिकनी गाण्ड का छेद पिंकू के लण्ड सुपारे पर टिकाया और अंदर लेने लगा और लेते-लेते हल्की-हल्की आहें भरने लगा, “आह… अहह… हआ… !!”
शायद बेचारे को दर्द हो रहा था। वैसे दर्द तो लाज़मी था।
ईशान ने किसी तरह आधा लण्ड अपनी गाण्ड में लिया। इसके बाद उसकी गाण्ड चिरने लगी।
“पिंकू बस…!” दर्द के मारे इतना ही कह पाया।
पिंकू ने आगे झुक कर ईशान को देखा। बेचारे की आँखे बाहर थीं और मुँह खुला हुआ था।
“अच्छा और नहीं घुसेड़ूँगा।” पिंकू ने कह तो दिया, लेकिन उससे रहा नहीं जा रहा था। उसका तो मन था कि ईशान की गोरी-गोरी गान्ड में अपना लौड़ा पूरा का पूरा घुसेड़ दे, अंदर तक। इधर हमारे ईशान की गान्ड वाकयी में फट गई थी।
ज़रा सोचिये, अगर आपकी गान्ड में पिंकू जितना बड़ा लण्ड घुस जाये, तो क्या आपकी गान्ड नहीं फटेगी? अरे आप तो डर गए, मेरा मतलब आपकी में नहीं वो तो बस यूँ ही कह दिया।
बेचारे को वो पल याद आ गया जब उसने पहली बार अपनी गान्ड में लण्ड लिया था। उसके दोस्त के बड़े भाई ने उसे पहली बार चोदा था। बड़ा दर्द हुआ था बेचारे को। लेकिन उसके बाद से ईशान पक्का गाण्डू बन गया था। वो अपने दोस्त के बड़े भाई के आगे हाथ जोड़ता था अपनी गान्ड की खुजली शांत करवाने के लिए।
अब पिंकू ने लण्ड हिलाना शुरू किया। अभी तक तो वो सिर्फ अपना लण्ड घुसेड़े, ईशान की प्रतिक्रिया देख रहा था।
अब ईशान ने छटपटाना और चिल्लाना शुरू किया, “अह्ह्ह्ह… आह्ह्ह… !!! पिंकू …… ऊऊह्ह्ह्ह !!”
ईशान चाहता था, पिंकू अपना लण्ड निकाल ले, लेकिन पिंकू समझा कि ईशान चाहता है वो उसे धीरे-धीरे चोदे। वैसे पिंकू अब उसे नहीं छोड़ने वाला था।
शेर के मुँह में खून लग जाये तो वो अपने शिकार को कहीं छोड़ता है भला !!
पिंकू ने उसे जाँघों से पकड़ा हुआ था और अपनी कमर उछाल-उछाल उसे चोद रहा था। कुर्सी खबड़-खबड़ फर्श पर आवाज़ कर रही थी।
ईशान से कुछ बोला ही नहीं जा रहा था, आहें भरे जा रहा था,”उह्ह… आह्ह… उह्ह… आह… उह्ह !!”
ईशान की सिसकारियों ने पिंकू का मज़ा दुगना कर दिया था।
ईशान ने हिम्मत जुटाई और हटने की कोशिश करने लगा। पिंकू ने उसे जाँघों से पकड़ा हुआ था, इसीलिए उसकी पकड़ थोड़ा ढीली थी। किसी तरह ईशान खड़ा हो गया। पिंकू भाँप गया था कि ईशान भागने के चक्कर में है। जैसे ही ईशान उठा, पिंकू उसकी जाँघे पकड़े-पकड़े, उसकी गाण्ड में अपना लौड़ा घुसेड़े, उसके साथ खड़ा हो गया। ईशान भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन उसकी जीन्स उसके टखनों तक सरक आई थी, इसलिये उससे चला भी नहीं जा रहा था, सिर्फ छोटे-छोटे कदम ले पा रहा था। पिंकू अभी भी उसे चोदे जा रहा था, उसी अवस्था में, चलते-चलते।
साला बहुत हरामी सांड था और उसका लौड़ा तो उससे भी ज्यादा हरामी था।
पिंकू को डर लगा कि कहीं इस भागा-दौड़ी में उसका लण्ड बाहर न निकल आये। उसे मालूम था कि अगर एक बार उसका लण्ड निकला तो ईशान फिर नहीं लेने वाला और वो इस सुनहरे मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। वो ईशान को धकेल कर डेस्क के पास ले आया, जिससे वो कहीं भाग न जाये। ईशान ने अपने हाथ डेस्क पर टिका दिए।
ये सब उसने बड़ी कुशलता पूर्वक किया, अब ईशान भाग नहीं सकता था, पिंकू तो वैसे भी चोदने का रसिया था, अभी तक उसने कुल मिला कर 126 अलग-अलग गाण्डें मारी थी। एक सौ सत्ताईसवाँ ईशान था।
पिंकू अभी तक ईशान को मज़े-मज़े, धीरे-धीरे चोद रहा था लेकिन अब उससे रहा नहीं जा रहा। इस ख्याल से कि ईशान को दर्द होगा, वो ईशान को आराम से चोद रहा था और अभी भी उसका लण्ड आधा बाहर था।
लेकिन अब उसके सब्र का बाँध टूट गया, उसने अपना पूरा का पूरा, दस इन्च का, मोटा-गदराया लौड़ा बेरहमी से ईशान की गान्ड में घुसेड़ दिया।
“उई ई ई मम्मी…!!” ईशान ज़ोरों से चीख उठा।
इसकी परवाह किये बिना पिंकू उसकी गाण्ड मारने में लगा हुआ था। उसने उसने मज़बूती से जाँघों से दबोचा हुआ था और गपागप- गपागप अपनी कमर हिलाता चोदे जा रहा था।
इधर हमारा चिकना छोकरा ईशान मार खाते कुत्ते की तरह कूंक रहा था, “उउउउं… आऊँ… उउउं… !!!”
बेचारा ! उसकी आँखों में आँसू आ गए थे। ऐसी शक्ल बना ली थी जैसे कोई उसे यातना दे रहा हो।
“चुप भोसड़ी के… ऊँ न पूँ… चुपचाप चुदवा !” पिंकू उसे हड़काता हुआ बोला। लण्ड चुसवाते समय पिंकू कैसा निरीह बनकर उसके सामने खड़ा था और अब उसको दरोगा की हड़का-हड़का कर चोद रहा था।
ईशान वैसे ही छटपटा-तड़प रहा था, अब तो उसने सर भी झटकना शुरू दिया था। मन ही मन वो उस पल को कोस रहा था जब वो उससे गाण्ड मरवाने को राज़ी हुआ था। आज गोशाईंगँज का गँवार-देहाती लण्ड घुस ही गया ईशान की गोरी-गोरी रसगुल्ले जैसी मुलायम फ़ैज़ाबादी गाण्ड में।
“ईशान मेरी जान…” पिंकू उसकी गाण्ड मारते हुए बोला- बहुत मस्त गाण्ड है तुम्हारी, बहुत दिनों से अरमान था तुम्हें पेलने का ! आज जाकर तुम चुदे।
पिंकू का लण्ड ईशान की मुलायम, चिकनी गान्ड नश्तर की तरह छलनी कर रहा था। ईशान बीच-बीच में अपनी बाँह पीछे बढ़ा कर को पिंकू रोकने की कोशिश करता, लेकिन पिंकू लपक कर उसकी कलाई पकड़ लेता और चोदता रहता। हारकर ईशान अपनी बाँह वापस कर लेता।
बहुत देर बाद जाकर बेचारा कुछ कहने की हिम्मत जुटा पाया, “पिंकू मुझे छोड़ दो… दर्द हो रहा है… !!”
“छोड़ दूँ कि चोद दूँ?” पिंकू व्यंग्य भरे स्वर में बोला।
“छोड़ दे भाई, बहुत दर्द हो रहा है।”
“बस जान… मैं झड़ने वाला हूँ…” पिंकू चरम सीमा पर पहुँचने लगा, उसके शॉट तेज़ होते गए और ईशान की आँहें भी, “अहह ..!!”
“उह्ह्ह… अह्ह.. उह्ह्ह… अहह…!!”
पिंकू अब झड़ने वाला था। चोदते-चोदते रुक गया और अपना लौड़ा गाण्ड से निकाल लिया। उसका मन था कि ईशान के चेहरे पर अपना माल गिराए। वो अपने लण्ड को ईशान के सुन्दर चेहरे पर अपना वीर्य छिड़कते हुए देखना चाहता था।
पिंकू की पकड़ ढीली हो गई। ईशान ने अपने आप को सम्भाला और खड़ा होकर सुस्ताने लगा।
तभी पिंकू बोला, “यार नीचे बैठ जाओ… तुम्हारे चेहरे पर अपना पानी गिराऊँगा… जल्दी करो।”
ईशान मरियल कुत्ते की तरह लग रहा था। उसने ‘न’ में सर हिला दिया। लेकिन अब पिंकू बस झड़ने ही वाला था। उसने ईशान को कन्धों से पकड़ कर ज़मीन पर बैठाने की कोशिश की और अपनी कमर उचका कर लण्ड ऊपर कर दिया कि किसी तरह से उसका लण्ड ईशान के चेहरे से छू जाये और वो उसके चेहरे पर अपना वीर्य गिरा दे।
लेकिन ईशान संभल चुका था, वो नहीं झुका और इस सब चक्कर के बीच पिंकू ने ईशान की टी-शर्ट गन्दी कर दी। उसके लौड़े की पिचकारी इतनी तेज़ थी कि वीर्य की एक-आध धार ईशान की ठोड़ी पर भी आ गिरी।
“ओह्ह…!!”
ये ‘ओह’ पिंकू की थी। अब उसने राहत की साँस ली। ईशान के कंधे पर सर टिकाए हुए। उसके लौड़े से अभी भी वीर्य की एक छोटी सी बूँद टपक रही थी, जो ईशान की नीचे सिमटी जींस पर जा गिरी।
ईशान अपनी टी-शर्ट ख़राब होने से खीज गया था। उसने पिंकू को झटके से अलग किया और बाथरूम की तरफ भागा।
इस सब से ईशान का मूड तो ख़राब हो गया था, लेकिन ये तो शुरुआत थी। आगे जाकर उसने पिंकू से कई बार गाण्ड मरवाई, पिंकू ने अपनी सारी इच्छाएँ ईशान से पूरी कीं। ईशान के चेहरे पर अपना वीर्य गिराना, उसे हर पोज़ में चोदना, उसके मुँह में मुँह डाल कर जीभ लड़ाना और भी न जाने क्या-क्या !
बाकी सबकी तरह ईशान भी गोशाईंगंज के लण्ड का गुलाम हो चुका था।