Gay Hindi sex story – पहली बार गाण मरवाई
Gay Hindi sex story
आज मैं आपको अपना पहली बार गाण मरवाने का अनुभव सुनाता हूँ.
बात तीन साल पुरानी है. मैं एक गे वेबसाईट पर, जो की समलैंगिक लड़को में बहुत लोकप्रिय है, एक योगेन्द्र नाम के लड़के से मिला. बहुत सजीला और बांका लड़का था- उम्र लगभग पच्चीस छब्बीस के करीब, मज़बूत कद-काठी, औसत लम्बाई और खालिस टॉप, अपने आपको लड़को को पेलने का रसिया कहता था. ऊपर से हरियाणा का रहने वाला था, और फ़ौज में नौकरी करता था. अब समझाने की ज़रुरत नहीं की वो कितना तगड़ा और दमदार होगा.
योगेन्द्र मेरे फ्लैट पर मुझसे मिलने आया (उस वक़्त मैं अकेला था. मम्मी पापा और भाई शहर से बाहर गए हुए थे). बांका और सजीला होने के अलावा वो स्मार्ट भी था- बेडरूम में जाते ही उसने मुझे गले लगा लिया- आलतू फालतू की बातों में समय नहीं बर्बाद किया.
“तुम मुझे बहुत पसंद आये… आज रात मैं तुम्हारी बाँहों में बिताऊंगा” और मुझे गले लगा कर मेरे होटों को चूसने लगा. मेरे अन्दर बिजली दौड़ गयी, मैं भी उसकी बाँहों में समा कर उसके होटों से अपने होंट मिला कर चूमने लगा. हमने चूमते-चूमते एक दूसरे को नंगा कर दिया और एक दूसरे के नंगे बदन का मज़ा लेने लगे.
फिर योगेन्द्र बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया और बोला “आओ मेरी बीवी.. मुझे प्यार करो”
उसने मुझे अपनी चौड़ी छाती पर खींच लिया. मैंने उसके सीने से लिपट कर उसके निप्पल चूसे. थोड़ी देर वो यूँ ही चुसवाता रहा फिर बोला ” गुड मेरी जान… अब मेरे लंड को भी प्यार करो..”
मैं सरक कर उसकी जांघों तक आ गया. उसका लौढ़ा क़ुतुब मीनार की तरह तन कर खड़ा था. साइज़ अच्छी थी, लगभग साढ़े साथ इंच, मोटाई भी खूब थी. आखिर हरियाणा का लौढ़ा था!!
इतना मोटा-लम्बा लंड बहुत विरले होते हैं. मैंने आव देखा न ताव, फ़ौरन उसके फड़कते हुए लंड को अपने गरम-गरम मुंह में भर लिया और होटों से दबा कर चूसने लगा.
“अह्ह्ह..हह !”
ये हलकी सी आह योगेन्द्र की थी. मैं मस्त होकर उसका लंड चूसने लगा- बहुत रसीला और मज़ेदार था. योगेन्द्र भी मेरा सर सहलाता हुआ मज़े लेकर अपना हरियाणवी लौढ़ा चुसवा रहा था. मैंने एक चीज़ पर गौर किया- मैं आज से पहले कई ‘टॉप’ लड़को से मिला था. वो सेक्स करते वक़्त, खासकर बड़े लंड वाले प्योर टॉप, अपना लौढ़ा चुसवाते वक़्त बहुत ‘रफ’ हो जाते थे- मेरे सर को अपने लंड पर दबा देते थे, अपना लौढ़ा मुंह में पूरा का पूरा घुसेड़ने के चक्कर में रहते थे, और कई तो अपना लंड चुसवाते कम थे, मुंह ज़्यादा चोदते थे, वो भी बेरहमी से- कस कर सर पकड़ लेते और ज़ोर-ज़ोर से अपना लौढ़ा मेरे मुंह में अन्दर-बाहर करते. इतना की मेरा गला चोक होने लगता. मैं इसीलिए बड़े लंड वाले टॉप लड़को से बहुत घबराता था. लेकिन योगेन्द्र ऐसा नहीं था. टॉप होने के बावजूद, हरियाणा का फौजी होने के बावजूद, बहुत प्यार से अपना लंड चुसवा रहा था, मैं जैसे जैसे चूस रहा था, मुझे चूसने दे रहा था. मैं भी पूरे जोश में आकर, उसका स्वाद लेते हुए, चूस रहा था. उसका लंड तीन चौथाई मेरे मुंह में था. मैं इतने लालच से चूस रहा था मानो जैसे इतना रसीला फिर नहीं मिलेगा.
मैं पूरा मगन होकर चूसने में लगा हुआ था, तभी मुझे हलकी सी आहें सुनायीं दी:
“उफ़…!”
“अह्ह्ह… हहो…!!”
योगेन्द्र ने मेरे मुंह में अपना माल झाड़ दिया. मैंने उसका माल प्रसाद की तरह सारा का सारा पी लिया- लंड का अमृत!
उसने मुझे फिर अपनी बाँहों में भर लिया. “यार तुम लंड बहुत अच्छा चूसते हो…. मज़ा आ गया”
“तुम्हारा लंड है ही इतना मस्त रसीला, की कोइ भी ऐसे ही चूसेगा.” मैंने जवाब दिया.
“चलो, अब मैं तुम्हे चोदूंगा..”
मैं भौंचक रह गया. अभी अभी तो इसने अपना लौढ़ा मेरे मुंह में झाड़ा, और अब चोदने के लिए तैयार था!
उसने साबित कर दिया की वो वाकई में हरियाणा का फौजी ‘स्टड’ था.
मैंने उसे मना किया की मैं चुद्वाता नहीं, मैं सिर्फ चूसता था.
“यार करवा लो… तुम इतना अच्छा चूसते हो… तुम्हारी गांड चोदने में बहुत मज़ा आएगा… तुम्हे लड़की की तरह चोदूंगा… अपनी चूत मुझसे चुदवा लो.”
मैंने बहुत मुश्किल से उसे मना किया.
लेकिन उस रात उसने मुझसे तीन-चार बार अपना लंड चुस्वाया, और हर बार मैंने उसका वीर्य गटका.
उस रात के बाद, बहुत दिनों तक हम में बातचीत नहीं हुई.
फिर कुछ दिनों हमारी बात फिर शुरू हुई. पता चला योगेन्द्र की पोस्टिंग मेरठ हो गयी है. मेरठ मेरे शहर से ज़्यादा दूर नहीं था. हम दोनों ने अपने मोबाइल नंबर अदले बदले, बात चीत फिर शुरू हो गयी.
हम दोनों एस एम् एस से एक दूसरे का हाल चाल लेते, एक दूसरे को मज़ेदार एस एम् एस भेजते.
फिर एक दिन योगेन्द्र का मैसेज आया- वो दिल्ली आने वाला था. हम दोनों ने मिलने का प्रोग्राम बनाया, उसके एक दोस्त के घर, जिसके यहाँ वो रुकने वाला था. उसके दोस्त भी गे था.
लेकिन इस बार योगेन्द्र ने साफ़ बोला की वो मुझे चोदेगा. मैंने हंस कर बात टाल दी- आज से पहले कितने टॉप लड़के मेरी गाण मरना चाहते थे, लेकिन मैं सबको मना कर देता था.
मुझे तो बस उसका रसीला लंड चूसना था और उसे बाँहों में भर कर उसके होंठ चूसने थे.
गाण मरवाने से मुझे परहेज़ सिर्फ इसलिए था क्यूंकि इसमें दर्द बहुत होता है- ‘टॉप’ तो मज़ा लेकर, अपने लौढ़े का पानी गिराकर चल देगा. झेलूँगा तो मैं. मैंने पहले 4-5 बार कोशिश करी थी, वो भी साधारण या छोटी साइज़ का लंड लेने की, लेकिन दर्द बिलकुल असहनीय था.
लेकिन मैं अपने आपको ‘बौटम’ ही समझता था. मेरे अन्दर अगर सहने की ताक़त होती तो मैं गांड भी चुद्वाता, बस दर्द से डरता था. मैं अक्सर गाण मरवाने की कल्पना करता था. गे सेक्स की तस्वीरों में गांड मरवाते लड़को को ध्यान से देखता था, और सोचता था की अगर मैं इसकी जगह होता तो…
एक बार को मैंने सोचा की क्यूँ न योगेन्द्र को अपनी गाण दे दूँ… इतना बांका लड़का मेरी गांड में अपना लंड पेलेगा. लेकिन फिर दर्द का ख्याल आता- और मेरी हिम्मत छूट जाती. इसी उहापोह में था की कुछ याद आया. कुछ साल पहले मैं एक गे लड़के से मिला था जो की डॉक्टर था. उसने मुझे लिग्नोकेन जेली के बारे में बताया था- इसे लगाने से शारर का वो हिस्सा बिलकुल ढीला और सुन्न हो जाता है. लिग्नोकेन बाज़ार में आसानी से मिल जाती है, ‘Xylocaine 2% Jelly’ के नाम से और ज़्यादा महंगी भी नहीं होती.
मैं मौका मिलते ही एक ट्यूब खरीद लाया, और अपने बांके-तगड़े चोदू फौजी से अपनी गाण चुदवाने के सपने देखने लगा. फिर जिस दिन हमने मिलने का प्रोग्राम बनाया था, मैं निश्चित समय पर, शाम को पहुँच गया. Xylocaine की ट्यूब मेरी जेब में थी. योगेन्द्र का दोस्त अपने गे रूम पार्टनर के साथ रहता था, उनका दो कमरे का फ्लैट था. दुआ-सलाम के बाद, योगेन्द्र मुझे दूसरे वाले कमरे में ले गया. दरवाज़ा बंद करते ही हम दोनों शुरू हो गए.
“आओ मेरी जान…” योगेन्द्र ने मुझे अपने सीने से लगा लिया.
हम दोनों ने एक दूसरे के मीठे होटों का रस पिया.
“इस बार मैं तुम्हे चोदूंगा”
” ओ के जानू, चोद लेना, मेरी गाण अभी तुम्हारे लिए ही कुंवारी है. लेकिन मुझे चोदने के बाद अपना पानी मेरे मुंह में गिरना.. मुझे तुम्हारे लौढ़े का रस पीना है.” मैंने फरमाईश करी.
“क्यों नहीं, ज़रूर. मेरे लौढ़े के पानी पर तुम्हारा ही हक है.”
मेरे मन में और जोश आया. “यार, मुंह में पानी गिराने के बाद मेरे ऊपर मूतोगे?” मेरा बहुत मन था की मेरा टॉप मुझे चोदने के बाद मेरे ऊपर मूते. और योगेन्द्र जैसा तगड़ा टॉप अगर मुझे अपनी मूत में नहलाये तो क्या बात थी!
मेरी बात योगेन्द्र को पसंद आई. “बिलकुल, बिलकुल… आज मेरे मूत में नहा भी लेना.”
फिर हम दोनों कपड़े उतारने लगे. कपड़े उतार कर हम फिर एक दूसरे के नंगे बदन से लिपट चूमा चाटी करने लगे.
“आओ जान, मेरा लौढ़ा चूसो…”
मैं उसके लंड का रुख किया. उसका लंड पहले की तरह, अकड़े हुए नाग की तरह खड़ा था. उसका सूपड़ा फूल कर कुप्पा हो गया था.
मैंने झट से उसके लंड को अपने कोमल होटों में दबा लिया और सबकुछ भुला कर चूसने लगा. इतना मस्त मोटा लौढ़ा आज न जाने कितने दिनों के बाद चूसने को मिल रहा था. उसके लंड की महक मेरे मुंह में भर गयी.
“वाह मेरी जान… तुम लंड बहुत अच्छा चूसते हो… चूसते जाओ मेरा लंड… आज रात ये तुम्हारा ही है…” योगेन्द्र हवस भरे लहज़े में बोला.
मैं उसका चूसे जा रहा था. सब तरफ से, चाट-चाट कर, जीभ से सहला सहला कर. मन करा रहा था सारी रात उसकी जांघों से लिपट कर उसके लंड का अमृत पीता रहूँ.
तभी मुझे उसकी मदमाती हुई सिसकारी सुनाई दी: “स..आह्ह्ह….हह… अह्ह्ह्ह…!!”
योगेन्द्र ने ढेर सारा वीर्य मेरे मुंह में गिरा दिया. मैंने सोचा की अब उसका झड़ गया, अब वो मुझे नहीं चोदेगा (मैं अभी भी डर रहा था). लेकिन मैं पहली मुलाकात भूल गया था. मैं भूल गया था की योगेन्द्र महा चोदू लड़का था.
“आओ मेरी जान, अब मैं तुम्हे चोदूंगा” वो अपनी कोने में पड़ी जींस की जेब से कंडोम का पैकेट निकलने लगा. मैं इसके लिए अपने आप को तैयार करके आया था- लिग्नोकेन के अलावा मैं अपनी गाण के बाल भी साफ़ करके आया था ताकि लंड में फंस कर खींचे ना. मैंने अपनी जींस की जेब से Xylocaine की ट्यूब निकल ली.
“ये क्या है?” योगेन्द्र पूछा.
“ये लिग्नोकेन जेल है. इसको लगाने से दर्द नहीं होता और गाण ढीली पड़ जाती है. ”
“अच्छा जी, ऐसी भी चीज़े आती हैं आजकल?… वैसे तुम्हारे जैसे कमसिन और नाज़ुक लड़कों के लिए सही है..” उसने मुस्कुराते हुए कहा.
योगेन्द्र अपने लंड पर कंडोम चढ़ाने लगा. इधर मैंने ट्यूब खोली और उसके नोज़ल से अपनी गांड के अन्दर ढेर सारी उड़ेल ली साथ ही योगेन्द्र के कंडोम चढ़े लंड पर भी मल दी.
“यार, प्लीज़ आराम से करना, मैं पहली बार करवा रहा हूँ, वो भी इतने बड़े लंड से.” मैंने गुज़ारिश की.
“घबराओ मत, आराम से करूँगा. मैंने पहले भी कुंवारी गांड मारी है, मुझे मालूम है की पहली बार दर्द बहुत होता है. घबराओ मत.” उसने समझाया. “एक काम करो… पीठ के बल लेट जाओ और टांगे उठा लो.” उसने पोज़ बताया.
मैं झट से उसी अवस्था में आ गया. “यार ये जेल खुले में जल्दी से सूख जाती है, देर मत करो”
योगेन्द्र ने मेरी टांगे पकड़ ली और मेरे सामने घुटनों के बल खड़ा हो गया. उसने एक हाथ से टटोल कर मेरी मुलायम गोरी गांड का जाएज़ा लिया और उसके छेद पर अपने लौढ़े का सुपाड़ा टिका दिया. मैंने अपने हाथों से अपनी गांड फैला दी, जिससे छेद चौड़ा हो जाये. फिर उसने अपना लंड अन्दर घुसेड़ना शुरू किया. मेरा मुंह खुला और एक आह निकली
“आह्ह्ह..!”
मुझे दर्द तो नहीं हो रहा था मगर उसका लंड अपनी गांड में महसूस हुआ. अभी तक उसके लंड का सुपाड़ा ही अन्दर घुसा था. वो धीरे धीरे पेल रहा था, और मैं उसी अनुपात में सिहर रहा था . धीरे-धीरे योगेन्द्र ने अपना पूरा का पूरा साढ़े साथ इंच का हरियाणवी लौढ़ा घुसेड़ दिया. मैंने उसका लंड अपनी गांड में ले तो लिया, लेकिन मुझसे झेला नहीं जा रहा था. इच्छा हो रही थी की उसका लंड निकल दूँ, लेकिन अब मेरी गाण पर मिस्टर योगेन्द्र फौजी का कब्ज़ा हो चुका था. उसने अपना लंड पूरा का पूरा गाड़ दिया था. मैं सिहरने- तड़पने के अलावा कुछ नहीं कर सकता था. छटपटाते हुए मेरी नज़र मेरा शील भंग करने वाले पर पड़ी- योगेंद्रे मुझे बड़े गौर से छटपटा हुआ देख रहा था. हर टॉप लड़के को अपने बौटम को छटपटा-कराहता देख कर मज़ा आता है. योगेन्द्र को भी आ रहा था.
अब उसने अपना लंड हिलाना शुरू किया. मैं योगेन्द्र का बहुत शुक्रगुज़ार था. वो मुझे धीरे धीरे चोद रहा था. अगर उसकी जगह कोइ और होता तो पगलाए सांड की तरह मुझे भकर-भकर पेलता.
योगेन्द्र अब मेरे ऊपर झुक गया. मैंने अपनी कमर उचका की और टांगे बगल में फैला दिन. योगेन्द्र का चेहरा मेरे चेहरे के पास आता जा रहा था. वो चील की जैसी तेज़, हवस भरी आँखों से मुझे घूर रहा था.
“माय वाइफ.. मेरी जान..”
“मुझे तो तुम्हारी चूत चाहिए”
” अहह… क्या मस्त चूत है तुम्हारी … मेरी जान” वो अपना लौढ़ा मेरी गांड में उसी तरह अन्दर-बाहर हिला रहा था.
“मज़ा आ गया मेरी जान..” इतना कहकर उसने अपने होठ मेरे होठों पर रख दिए. मैंने उसके कंधे थाम लिए. मैं उसके चुम्बन को तरस रहा था. अगर आपका टॉप आपको ठोकते हुए चूमता है तो इसका मतलब वो आपको पसंद करता है.
दो मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के होठ चूसते उसी तरह चुदाई करते रहे. फिर योगेन्द्र ने हलके से सरका कर अपना लंड बाहर निकाला, और कंडोम खींच कर कोने में फेंक दिया. मुझे इतनी राहत मिली की मैं बता नहीं सकता.
“लो, चूसो इसे.” योगेन्द्र ने मेरे चेहरे ऊपर अपना लंड तान दिया.
इससे पहले की मैं उसके लंड को अपने लंड को अपने मुंह में लेता, उसके लंड से वीर्य की तीव्र धार निकली- फक … फक… फक…. मेरा चेहरा, गर्दन और छाती उसके वीर्य से सराबोर हो गयी.
उसका लंड अभी भी वीर्य छिड़क रहा था. मैं झट से उसका लंड अपने मुंह में ले लिया.
“अह्ह्ह्ह…हह…!!” अब योगेन्द्र की आह निकली.
मैं उसका बाकी का वीर्य पी गया.
उसके झड़ने के बाद हम दोनों ने बाथरूम में अपना शरीर और चेहरा धोया और एक दूसरे से लिपट गए. मेरे मन कर रहा था की मैं इसी तरह हमेशा योगेन्द्र को अपनी बाँहों में भर लूँ.
फिर उस रात योगेन्द्र ने मुझे एक बार उसी तरह और चोदा.
फिर उस रात योगेन्द्र ने मेरी एक बार और गाण मारी