हिन्दी गे सेक्स स्टोरी – पापा ने साड़ी पहनना सिखाया..
हिन्दी गे सेक्स स्टोरी इन हिन्दी फ़ॉन्ट
दोस्तों.. आपने मेरी पिछली कहानी तो पढ़ी होगी… की कैसे मैंने अपने पापा को सिड्यूस किया. अब आगे की कहानी पढ़िए.. अब तक मुझे साड़ी पहनना ढंग से नहीं आता था. एक दिन मैंने पापा को अकेले में पकड़ा. घर के लोग बाहर गए हुए थे. पापा बिस्तर पर लेट कर आराम कर रहे थे. मैंने जाते ही पापा का लिंग पकड़ लिया. पापा अचानक से उठे. इतनी देर में मैंने पापा का पजामा और चड्डी उतार कर लिंग हाथ में ले लिया. वो अभी बैठा हुआ था. मैंने उसे चूसना शुरू कर दिया.पापा मुस्कुराने लगे. थोड़ी देर में पापा का लिंग tight हो गया.
पापा ने पूछा की बेटे आज कोई खास बात है क्या? मैंने कहा पापा.. आप मुझे आज बेटे से बेटी बना दो. पापा ने कहा वो तो तुम हो ही. मैंने कहा “नहीं. आपकी बेटी की अभी तक साड़ी पहनना नहीं आया है. साड़ी के बिना तो भारतीय नारी अधूरी है. आज मुझे सच में साड़ी पहनना सीखना है. अब ये काम तो उसकी माँ ही सिखाती है. आज आप मेरी माँ बन कर अपनी बेटी को ज्ञान प्रदान कीजिये.” पापा कहने लगे की बेटी रात तक का तो इंतज़ार कर लो. मैंने कहा की रात में सब आ जायेंगे. रूम की खटपट सुन कर कोई ऊपर आ गया तो दिक्कत हो जाएगी. पापा ने कहा ” तुम ठीक कहती हो”. चलो आज तुम्हे आपना तजुर्बा अभी देता हूँ. पापा ने भी मेरा लिंग मेरी पैंट से निकला और चूसने लगे. थोड़ी देर तक चूसने के बाद पापा ने अपने और मेरे लिए साड़ी, साया, ब्रा और ब्लाउज निकला.
पापा ने मुझे उनके और अपने कपडे उतारने के लिए कहा. मैंने उनका पजामा और फिर बनियान उतारी. उनकी चड्डी उतारी और उनके लिंग को थोड़ी देर तक चूसा. और मैं एक झटके में नंगा हो गया. हम दोनों का लौरा खड़ा था. पहले पापा मेरी मम्मी बनने के लिए तैयार हो रहे थे. वो पहले औरतों वाली चड्डी पहने.. उसके बाद साए तो सर के ऊपर से डाला. इसके बाद पापा ब्रा की बारी आई. मैंने पापा के ब्रा की हूक पीछे से लगे. पापा के बूब्स इतने सही थे की उन्हें कुछ भरने की जरूरत नहीं थी. फिर एक सुनार सी ब्लाउज पहनी. इसके बाद इतनी सफाई से उन्होंने साड़ी पहनी की कोई कहे नहीं की ये मेरी मम्मी नहीं मेरे पापा हैं. इसके बाद पापा ने मुझे पैंटी पहने. एक बहुत ही छोटी साइज़ की ब्रा निकली और कास कर पहना दी. मैं बहुत पतला दुबला हूँ. तो मेरे लिए उन्होंने टेनिस वाले बोल भर दिए. पहले एक नीले रंग की ब्लाउज पहनाई और उसके बाद मेरे सर के ऊपर से बिलकुल औरोतों की तरह साया पहनाया. फिर साड़ी का एक कोना मेरे साए के अंदर डाला और डालते वक़्त भी मेरा लौदा पकड़ कर हिलाया. फिर एक लपेटा देकर चुन दाल कर वापस खोंस दिया. इसके बाद आँचल का सिरा ढंग से बना कर मेरे कंधे पर डाला. पर मुझसे साड़ी संभल नहीं रही थी तो साड़ी पिन लगा कर साड़ी समेटा. मेरी पतली कमर पर साड़ी देख कर पापा का लिंग हुमचने लगा. पापा ने फिर भी कण्ट्रोल किया और फिर पूरा श्रृंगार किया. लिप ग्लोस , चूड़ी, हार, नथुनी, टोप्स और फिर नाख़ून पोलिश लगाया. मैंने भी पापा का श्रृंगार किया. हम दोनों अति सुन्दर महिलायें लग रहे थे.. बस हमारी साड़ी में से कुछ खड़ा दिख रहा था. पापा ने मुझे कहा की अपने लिंग को अपने साए बाँध लो. उन्होंने भी ऐसा ही किया. इसके बाद हम दोनों हमबिस्तर हो गए. पापा ने मेरे लिप पर किस किया. फिर अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी. ऐसा थोडा देर तक करने के बाद हमने एक दुसरे को चाटना शुरू कर दिया.
चाटते चाटते मेरे पापा, जिसे अब मैं अपनी मम्मी कह कर संबोधित करूंगा, ने मेरा साया उठाया और मेरा लिंग चूसने लगे. इसके बाद हम दोनों ६९ स्थिति में आ गए. मैं मम्मी की लिंग और मम्मी मेरा लिंग चूस रही थी. मम्मी ने चूसते चूसते अपनी गांड आगे पीछे कर रही थी. उनका लिंग मेरे गले में भर आया. ऐसा करने से मैं झरने ही वाला था की मेरे मुंह में उनका वीर्य भर गया. मैं भी तक तक झड गया. मम्मी ने मेरा और मैं मुमी का पूरा वीर्य गटक लिया. हम दोनों थोड़ी देर ऐसे ही लेते रहे . पापा ने कहा की अब वो किसी और को भी हमारे इस खेल में लाना चाहते हैं. मैं चौंक गया. मैं समझ नहीं पाया की पापा क्या कहना छह रहे हैं? उनका मतलब थोड़ी देर में ही समझ में आया जब मेरे चाचा भी साडी में आकर खड़े हो गए और मेरी गांड चाटने लगे.
पापा ने तब बताया की ये उनके घर की परंपरा है की लोग रात में अपना लिंग बदल कर अपने साथी को मजा देते हैं. तुम्हारे दादा जी भी ऐसे ही थे. तुम्हारे सब चाचा साडी पहनना जानते हैं. मैं सोच रहा था की तुम्हे कैसे बताऊँ? तुम्हे कैसा लगेगा.. पर तुमने मेरा काम खुद आसान कर दिया. ये बात मैंने तुम्हारे चाचा को बताई. उन्हें बहुत पसंद आई. तुम्हारे दादा भी तुम्हारी गांड के पीछे हैं. कहो तो तुम्हारी गांड मारने के लिए उन्हें भी बुलाऊँ? मैंने कुछ सोचे बिना ही हाँ कह दी. दादा जी का बड़ा लिंग किसे पसंद नहीं होगा. मेरे कहते ही मेरे दादा मेरी दादी की साडी में आगये. दादी कहने लगी की मुझे पता था की मेरी पोती मेरा नाम रोशन करेगी.
तब चाची ने मुझे बताया की जिस लड़के ने मुझे ये सब सिखाया था वो सब उसने मेरी चाची से सीखा था… और ये चाची का ही कमाल था की उसने मुझे सिखाया.. मेरी दादी और चाची ने बहुत कोशिश की थी की मेरी मम्मी उन दोनों से गांड मरा ले पर मेरी मम्मी मानती नहीं थी. इस पर उन्होंने कसम दिलाई की अगर मैं साड़ी में उनकी गांड मार लूं तो वो चाची या दादी से गांड मराएंगी.. मम्मी ये सुन कर मुस्कुराने लगी.. “मुझे पता था की ये तुम लोगो का ही काम है.” मैंने पिछली बार गांड मराई थी तब तुम्हारे चाची और दादी को बताया था.. उन्हें भी तुम्हारी गांड के किस्से पसंद आये तो मैंने उन्हें आज बुलाया था. घर में सब जा रहे थे तब ही मैंने उन्हें फ़ोन कर के बुला रखा था. मुझे पता था की तुम शुरू करोगे. वरना मैं ही थोड़ी देर में शुरू कर देता.
मुझे लगा की मैं बड़ा बेवक़ूफ़ था,, यहाँ पर सारे मेरे जैसे ही हैं और मैं बाहर जाने की सोच रहा था.
फिर हम सब एक बिस्तर पर लेट गए. मैं दादी का.. दादी मेरी मम्मी का … मम्मी मेरी चाची का और चाची मेरा लिंग चूसने लगी.फिर थोड़ी देर के बाद सब एक दुसरे की गांड चाटने लगे..
थोड़ी देर बाद सबकी गांड नरम हो गयी.. दादी ने मुझे कुतिया बनाया और अपना लिंग मेरी गांड में डाला. डालते ही मुझे स्वर्गीय सुख का आनंद आने लगा. मैंने देखा उधर मेरी चाची मेरी मम्मी पर अपना जौहर दिखा रही थी. मैं भी गांड उठा उठा कर दादी की मदद करने लगा.. दादी बड़ा खुश हो गयी.. उन्हें सदियों बाद कोई कच्ची गांड मिली थी. दादी जल्दी ही झड गयी.. अब मेरी बारी आई. दादी अपना साया साड़ी खुद ही उठा दी. मैं बिना रुके ही उनकी गांड में प्रवेश कर गया. दादी चिल्ला पड़ी. हालाँकि उनको बहुत ही तजुर्बा था लेकिन मेरा लिंग काफी मोटा था. मैं कोई परवाह किये बिना उनकी गांड मरता रहा. उनके ऊपर झुक कर उनके बूब्बे दबाने की कोशिश की फिर अपनी रफ़्तार बहुत ही ज्यादा तेज कर दी. दादी की चिल्लाहट सुन का मम्मी जो अब चाची की गांड मार रही थी रुक गयी. बोली बेटी थोडा आराम कर वरना कोई आ जायेगा. इतने में दरवाजे की घंटी बजी और सब सकते में आ गए. सब मर्दो ने साड़ी पहन रखी थी और कोई इतनी जल्दी साड़ी उतर कर अपने कपडे नहीं पहनने वाला था. हिम्मत कर के मैं ऐसे ही दरवाजे की के होले से देखा और मैं खुश होगया. मैंने दरवाजा खोल दिया और मेरी दादी, चाची और मम्मी की जान आफत में आ गई.
सामने मेरे मामा थे जो एक पाकेट ले कर दरवाजे पर खड़े थे. मेरे मामा का मुझ से शारीरिक सम्बन्ध था जो मैंने अपनी दसवी की परीक्षा की दौरान बनाया था. ये बात किसी और को नहीं मालूम थी की मेरे मामा भी साड़ी पहनने में महारथी हैं. सब मर्दों को साड़ी में पूर्ण श्रृंगार में देखते ही मेरे मामा का खड़ा होने लगा. मैं झट से दरवाजा लगाया और उनकी पैंट उतर कर चूसने लगा. ये देख कर बाकी लोग की जान में जान आई. मैंने कहा की मैं भी किसी और को अपने खेल में शामिल करना चाहता था.. पर समझ नहीं आया की आप मानेंगे या नहीं .. इसीलिए मामा को ही बुला लिया. अब तो हम सब गोला बना कर भी एक दुसरे की गांड मार सकते हैं.. पर पापा ने कहा नहीं, ये नहीं हो सकता.. दादी और चाची के साथ मैं और मामा भी सन्न रह गए.. फिर पापा ने जोड़ा.. जब तक ये मर्दों के ड्रेस में है ये नहीं हो सकता…साली को साड़ी में चोद सकता हूँ मैं.. इतना सुनते ही मामा ने साथ लाया पाकेट फाड़ा और १० जोड़ी साड़ी का सेट दिखाया. अब तो सबने अपने कपडे बदले और नयी साड़ी पहनी. नयी साड़ी की बात ही कुछ और होती है, ये तो मुझे नयी साड़ी पहें की ही पता चली. इसके बाद मैं चाची का लिंग पकड़ लिया. उनका लिंग तो ७ इंच का था.. मेरे मूंह में पूरा नहीं आ रहा था.. थोड़ी देर चूसने के बाद देखा… मामी मेरी मम्मी के साड़ी के साथ खेल रही थी.. उनका सर मेरी मम्मी की साडी में था.. मेरी मम्मी मेरी दादी का चूस रही थी. तभी मेरी साड़ी में हलचल हुई और मैंने देखा मेरी साड़ी, साया उठा कर मेरी पैंटी नीचे करने वाली मेरी मामी है. मामी मेरा लिंग चूसने लगी और दादी मामी का.. फिर हम लोग एक गोल बना कर खड़े हो गए, इस बार मैं अपनी दादी का और दादी मेरी मम्मी की गांड मार रही थी. मेरी मम्मी अपनी साली का और उनकी साली यानी मेरी मामी मेरी चाची की गांड मारने के लिए तैयार थी.क्या नजारा था.. पांच औरतें नयी साड़ीयों में एक दुसरे में सामने के लिए तत्पर हुए जा रही थी.. थोड़ी देर में सब झड गए.. सबने कहा की बहुत मजा आया.. अब हर बार किसी नए लौंडे की गांड मारी जाये. मैंने कहा की आप लोग चिंता न करे.. ये काम मुझ पर छोड़ दे.. मेरे जो लोग ये कहानी पढ़ रहे हैं वो जरूर मुझे मेल कर के अपनी गांड देने आयेंगे. बस कुछ दिन और इंतज़ार कीजिये.