समलैंगिक पुरुष सेक्स कहानी – सेटजी
समलैंगिक पुरुष सेक्स कहानी
बिहार में पटना के पास एक गाओं है जिस का नाम खगौल है. मैं उसी खगौल का रहने वाला हूँ. बचपन में ही मेरे माता पिता चल बसे थे और मेरे चाचा चाची ने मुझे पाल पॉस कर बड़ा किया. पाँच साल पहले मेरी चाची भी चल बेसिन. उनके मरने के घाम में मेरे चाचा बहुत दुखी रहने लगे और उनके मरने का सदमा बर्दास्त नहीं कर पाए और मेरी चाची के मरने के दो महीने बाद वो भी संसार से गुज़र गये.
मेरे चाचा चाची के कोई औलाद नहीं थी और मैं ही उनका अकेला वेराइस हुआ. उस समाया मेरी आयु लगभग 20 साल की थी.
मेरे चाचा के पास अपना मकान था जिसमें हम सब लोग रहते थे. इस मकान के अलावा उनके पास करीब बीस गटते ज़मिंभी थी. अपने चाचा के मरने के बाद मैं उस में खेती करने लगा और अब भी करता हूँ.
मेरे मकान के पास एक जनरल मर्चेंट की दूकान है. मुझे सुनने में आया की उस का मालिक उसे बेंच कर बॉमबे जेया रहा है. मैं ने सोंचा की अगर यह दूकान मुझे मिलजाए तो मेरी खेती के अलावा और भी आमदनी हो जाएगी. इस लिए मैं ने दूकान के मालिक से बात की की मैं इसे खरीदना चाहता हूँ. दूकान के मालिक ने पचास हज़ार रुपये माया सामान के माँगे. मेरे पास उस समय देने के लिए सिर्फ़ चालीस हज़ार रुपये थे. मैने दूकानदार से चालीस हज़ार रुपये में बेंचने के लिए कहा पर वो तैयार नहीं हुआ. उसने कहा की तुम्हें पैंतालीस हज़ार में दे दूँगा मगर इस से कम नहीं लूँगा. अगर लेना है तो ले लो नहीं तो मैं किसी और से बात करूँ.
मैने कहा की मैं लेने के लिए तैयार हूँ मगर एक महीने का समय पूरा रुपये देने के लिए चाहिए. इस पर वो तैयार हो गया और उसने कहा की अगर तुम एक महीने में पुर पैंतालीस हज़ार रुपये नहीं दे दो गे तो मैं इसे किसी और को बेंच दूँगा.
मैं समझता था की मेरे बहुत से जान पहचान के लोग हैं उन से माँगने से मुझे पाँच हज़ार रुपये जो कम पद रहे थे मिल जाएँगे पर कोई भी रुपये देने को तैयार नहीं हुआ.
इत्तेफ़ाक़ से मुझे एक शादी में पटना जाना पड़ा. वहाँ एक सेटजी कॅल्कटा से आए हुए थे. सब लोग उनकी बड़ी तारीफ़ कर रहे थे. कह रहे थे की बड़े दानी आदमी हैं, इसी शादी में उन्हों ने एक लाख रुपये दिए.
सेठ जी के बारे में यह सब सुनकर मैने सोंचा की जब वो इतने भले और दानी हैं तो मुझे भी पाँच हज़ार रुपये शायद उधार दे दें.
एक जगह जब वो अकेले थे तो मैं डरते डरते उनके पास गया और उन्हें अपनी परेशानी बताई. वो बोले तुम मेरे पास यहीं पटलिपुत्रा होटेल में आजाना मई तुम्हें पाँच हज़ार क्या दस हज़ार रुपये दे दूँगा. उन्हों ने कहा की शादी के अलावा वो यहाँ और काम से भी आए हैं और करीब दस दिन यहाँ रहेंगे. मैं खुशी खुशी अपने घर लौट आया और दूसरे दिन शाम को उनके होटेल में पहुँचा.
सेठ जी मुझसे मिले और मुझे देख कर बहुत खुश हुए. मेरे लिए कोका-कोला मँगाया और मेरे घर के बारे में पूंच्छने लगे. मैं मान ही मान सोंच रहा था की सेटजी मानव के रूप में देवता हैं.
फिर सेटजी बोले देखो पाँच दस हज़ार मेरे लिए कुच्छ भी माने नहीं रखते हैं. मेरी लाखों रुपये महीने की आमदनी है. पर मेरा एक बुरा शौक है. मुझे गांद मारने की बुरी आदत पद गई है जो मुझ से अपनी गांद मरवाता है मैं उसी को ही रुपये देता हूँ. अगर तुम मुझ से अपनी गांद मरवालो तो मैं तुम्हें रुपये डेडूँगा.मैने सोंचा की और कोई तो रुपये उधार भी देने को तैयार नहीं है सेटजी से गांद मरवाने से रुपये तो मिल जायेंगे और किसी को पता भी नहीं चलेगा की मैं ने अपनी गांद मरवाई है.
मैने सेठ जी से कहा मान लीजिए मैं अपनी गांद भी मावा लून और आप रुपये ना दें तो. इस पर सेटजी बोले की हर बार गांद मारने से पहले मैं तुम्हें एक हज़ार रुपये दे दूँगा. सेटजी ने अपनी जेब से एक हज़ार रुपये निकाले और मुझे दिखा कर बोले की तुम आज ही गांद मरवालो और यह रुपये ले लो. कल फिर आना कल फिर तुम्हारी गांद मारूँगा और एक हज़ार रुपये दे दूँगा
मैने सेटजी से कहा की मैं ने आज तक किसी से गांद नहीं मरवाई है. मगर रुपये की मजबूरी है.
सेठ जी बोले तुम सोंच लो कोई ज़बरदस्ती की बात तो है नहीं. वैसे घबराने की कोई बात नहीं है मैं ऐसे तुम्हारी गांद मारूँगा की तुम्हें कोई ख़ास दर्द नहीं होगा पर पहली बार गांद मरवाने में कुच्छ दर्द तो होगा ही. मैने कहा सेटजी लाओ एक हज़ार रुपये और तुम मेरी गांद आज ही मार लो.
सेटजी ने मुझे एक हज़ार रुपये दे दिए और बोले की अब अपने कपड़े उतार के नंगे हो जाओ. मैने वो रुपये अपनी जेब में रख लिए और फिर अपने सब कपड़े उतार कर नंगा हो गया. सेटजी ने भी अपने सब कपड़े उतार दिए फिर मेरी गांद में खूब क्रीम लगाई और अपने लंड पर भी खूब क्रीम पोती फिर धीरे धीरे कर के अपना लंड मेरी गांद में पूरी तरह से घुसेर दिया और फिर मेरी गांद मारने लगे और हाथ बढ़ा कर मेरा लौदा भी पकड़ कर मेरा मुट्त् मारने लगे जिससे मुझे भी अच्च्छा लगने लगा. थोड़ी देर बाद वो मेरी गांद में खलास हो गये. फिर बातरूम में जाकर मैं ने अपनी गांद और लंड को सॉफ किया और फिर कपड़े पहन कर जाने लगा. सेटजी बोले खाना खा कर जाओ. फिर उन्हों ने खाना मँगाया और हम दोनों ने खाना खाया.
खाना खाकर मैं लौटने लगा तो सेटजी ने पूंच्छा की कल आओगे की मैं दूसरा इंतेज़ां करूँ. मैने कहा मुझे रुपये की सख़्त ज़रूरत है मैं ज़रूर आऊंगा.
दूसरे दिन शाम को मैं फिर गया. सेटजी मेरे इंतज़ार में बैठे थे. मुझे देख कर बोले आओ आओ मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था.
सेटजी फिर बोले शराब पीते हो.
मैने कहा की कभी कभी.
सेटजी बोले आज मैं तुम्हें ऐसी शराब पिलाऊँगा जैसी तुमने कभी नहीं पी होगी.
फिर सेटजी ने बैरे को बुलाया और किसी विस्की को लाने के लिए कहा. बैरा दो ग्लास और एक एक पेग विस्की और सोडा और पानी और बरफ दे गया. एक एक पेग पीने के बाद सेटजी ने एक एक पेग और मँगाया. सेटजी बोले की शराब पी कर तुम्हें गांद मरवाने में ज़्यादा मज़ा आएगा. शराब पीकर सेटजी ने मुझे अपने पास खींच लिया और मेरा चुम्मा लेने लगे. नशे में मैने भी सेटजी का चुम्मा लिया और सेटजी ने फिर अपनी धोती और अंडरवेर उतार दिया और मेरा मुँह अपने लॉड पर रखने लगे. मैने कहा सेटजी यह क्या कर रहे हो मैं आपका लौदा नहीं चूसूंगा. मेरी आप से सिर्फ़ गांद मरवाने की बात हुई थी आप सिर्फ़ मेरी गांद ही मारिए.
सेटजी बोले आज तुम मेरा लौदा भी चूस लो मैं तुम्हें इसके लिए और रुपये दूँगा और उन्हों ने पाँच सौ रुपये पकड़ा दिए. मैने कहा की पाँच सौ रुपये में मैं लंड नहीं चूसूंगा. सेटजी बोले अच्च्छा इसके भी एक हज़ार रुपये लेलो और पाँच सौ रुपये मुझे और देने लगे. मैने सोंचा की जब गांद ही मरवाली है तो हज़ार रुपये में लंड भी चूसने में क्या हरजा है. पाँच हज़ार रुपये जल्दी से पूरे हो जाएंगे.
मैने हज़ार रुपये ले लिए और सेटजी का लंड चूसने लगा. सेटजी को भी मज़ा आने लगा और वो अपना लंड मेरे मुँह में अंदर बाहर करने लगे और थोड़ी देर बाद मेरे मुँह में ही झार गये. उनका वीरया जब मेरे मुँह में झारा तो मुझे बड़ी घिन लगी पर ग़रीबी जो ना कराए वो तोड़ा है. फिर मैने बातरूम जाकर अपना मुँह अच्च्ची तरह धोया और फिर सेटजी से पूंच्छा की अब मैं चलूं?
सेटजी बोले अभी कैसे? अभी तो तुम्हें अपनी गांद मरवानी है.
मैने कहा ठीक है.
सेटजी ने फिर खाना मँगाया और हम दोनों ने खाया. उसके थोड़ी देर बाद सेटजी ने मुझे फिर एक हज़ार रुपये दिए और मुझसे नंगे होने के लिए कहा. रुपये लेकर मैने अपने कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया. फिर सेटजी भी कपड़े उतार कर नंगे हो गये. सेटजी का लंड तब तक फिर खड़ा हो गया था और सेटजी ने तेल लगा कर अच्च्ची तरह मेरी गांद मारी. अब मेरे पास टीन हज़ार रुपये हो गये और सिर्फ़ दो हज़ार और चाहिए थे.
जब मैं चलने लगा तो सेटजी ने पूंच्छा की कल फिर आओगे ना?
मैने कहा अभी दो हज़ार रुपये का और इंतेज़ां करना है इस लिए कल फिर अवंगा. दूसरे दिन फिर मैं गया. पर उस दिन सेटजी ने शराब तो पिलाई पर लंड नहीं चुस्वाया. सेटजी बोले की अगर लंड चुस्वाया तो तुम्हारे पाँच हज़ार पुर हो जायेंगे और तुम आना बंद कर दो गे. मैं सुनकर चुप रहा. सेटजी ने खाना खाने के बाद मेरी गांद मारी और मुझे एक हज़ार रुपये दे दिए. अब मेरे पास चार हज़ार रुपये हो गये. सेटजी से मैने कहा की कल फिर आऊंगा और अपने घर लौट आया.
दूसरे दिन जब मैं गया तो सेटजी मेरा इंतज़ार कर रहे थे. बोले आज तो तुम्हारे पुर पाँच हज़ार हो जायेंगे. आओ आज अच्च्ची तरह से खुशी मनाेँ. सेटजी ने शराब मंगाई और हम दोनों ने पी. फिर सेटजी ने मुझे अपने पास खींचा और मेरा चुम्मा लेने लगे फिर उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसेर दी और मेरा लंड अपने हाथ में लेकर पकड़ लिया और मेरा सरका मारने लगे. मुझे भी अपना लंड पकड़ा दिया और सरका मारने के लिए बोले. मैं भी उनका सरका मारने लगा. फिर सेटजी ने मेरा मुँह अपने लंड पे रख दिया और चूसने के लिए कहा और साथ ही साथ मेरा सरका मारते रहे. मैं उनके हाथ में झार गया और वो मेरे मुँह में.
फिर खाना खाने के बाद रोज़ की तरह सेटजी ने मेरी गांद मारी और मुझे दो हज़ार रुपये दे दिए. अब मेरे पास पाँच हज़ार के बजाए च्छे हज़ार रुपये हो गये. रुपये ले कर मैं चला आया. सेटजी ने पूंच्छा की अब कल आओगे की नहीं? मैने कहा की अगर आना हुआ तो कल आजाऊंगा.
दूसरे दिन मैंने जनरल स्टोर वेल को पैंतालीस हज़ार रुपये दे दिए और दूकान की रिजिस्ट्री अपने नाम करा ली और दूकान उस से लेली.
दूकान लेने के बाद मैने सोंचा की जब सेटजी से गांद मरवा ही चुका हूँ तो जब तक सेटजी हैं रोज़ गांद मरवाने में नुकसान ही क्या है. यही सोंच कर मैं दूसरे दिन भी सेटजी के पास चला गया. सेटजी मुझे देख कर बोले की मैं जानता था की तुम आओगे. फिर जीतने भी दिन सेटजी पटना में रहे मैं रोज़ उनके पास जेया कर अपनी गांद मरवाता रहा और सेटजी का लंड भी चूस्टा रहा. सेटजी से मुझे करीब पंद्रह हज़ार रुपये मिले.
सेटजी कॅल्कटा वापस चले गये और मुझे अपना पता देगाए और मेरा पता लेगाए. कह गये की अगर कॅल्कटा आना तो मिलना और अगर मैं पटना आया तो फिर मिलूँगा.