बस के अंडर लौंडेबाज़ी
हैलो मेरा नाम विशाल है.. मेरी उम्र करीब 24 साल की है.. मैं गुजरात का रहने वाला हूँ.. मुझे काले मोटे लन्ड लेने का बहुत शौक है।
मेरी गाण्ड लड़कियों जैसी बहुत गोल और बड़ी व उठी हुई है।
मैंने अपनी पहली कहानी में बताया था कि कैसे मेरी गाण्ड फ़टी थी।
उस दिन के बाद काफी दिन तक मुझे कोई लौड़ा नहीं मिला।
मेरी गाण्ड में अब कुलबुली मच चुकी थी।
मैं अपनी ऊँगली डाल कर शान्त होने की कोशिश करता था.. लेकिन ऊँगली लन्ड का काम कैसे कर सकती थी।
मुझे अब कोई नए लौड़े की तलाश थी।
उन्हीं दिनों मेरे ऑफिस में सात दिन की छुट्टियाँ पड़ीं.. मैं घर जाने के लिए बस की टिकट लेने गया।
कोलकाता से गुजरात के लिए स्लीपर बस चलती हैं।
छुट्टियों की वजह से ट्रेन में तो टिकट ही नहीं मिल रहा था।
बस में भी बड़ी कम सीटें बची थीं।
स्लीपर बस में एक तरफ सिंगल और दूसरी तरफ दो आदमियों के लिए स्लीपर होते हैं।
जब मैंने बस वाले से एक सिंगल के लिए कहा.. तो वो बोला- सारी सिंगल बर्थ भर चुकी हैं.. सिर्फ़ डबल में ही जगह बची है।
मैं डबल टिकट का खर्चा नहीं करना चाहता था।
इसलिए मैंने बर्थ शेयर करने की सोची।
मैंने बस वाले से ये बात कही तो उसने मुझे एक आदमी से मिलवाया जो मेरी जैसी ही हालत में था और गुजरत ही जाना चाहता था।
वो करीब 27-28 साल का हट्टा-कट्टा आदमी था.. और उसका नाम मुकेश था।
मैंने उससे बात की और हमने एक डबल स्लीपर बर्थ ले ली।
बस को निकलने में अभी देर थी तो हम बातें करने लगे।
उसने मुझे बताया कि वो एक मिल में इंजीनियर का काम करता है।
तभी बस का हॉर्न बजा और हम बस में चढ़ गए।
मैं खिड़की की तरफ़ लेट गया और वो मेरी बाजू में आ कर लेट गया और हमने पर्दा बन्द कर लिया।
अब हम उस बर्थ पर अकेले थे.. मेरे मन में चुदाई के ख्याल आने लगे।
मुझे मुकेश से चुदवाने के ख्याल आने लगे।
मुझे थोड़ी सी नींद आ रही थी.. इसलिए मैं खिड़की की तरफ़ मुँह करके सो गया.. इस तरह मेरी उठी हुई गाण्ड मुकेश की तरफ़ हो गई।
वो भी सोने की तैयारी ही कर रहा था।
मुझे पता नहीं.. कब मेरी आँख लग गई।
करीब 30-40 मिनट के बाद मुझे मेरी गाण्ड में कुछ महसूस होने लगा.. मैं जाग गया।
मैंने देखा कि मुकेश बिल्कुल मुझसे चिपक गया था और उसका मोटा लन्ड मेरी गाण्ड से टकरा रहा था।
शायद वो नींद में ही करवटें बदलता हुआ मुझसे चिपक गया था।
मैं उसका मोटा लन्ड अपनी गाण्ड पर महसूस कर रहा था.. मुझे मजा आने लगा और मैं भी धीरे-धीरे अपनी गाण्ड उसके लन्ड से रगड़ने लगा।
तभी पता नहीं क्यों वो थोड़ा पीछे को हो गया।
शायद वो जाग गया था.. मैंने भी नींद में होने का नाटक करता हुआ फ़िर से उसके लन्ड से अपनी गाण्ड लगा दी।
इस बार उसने कुछ नहीं किया तो मुझमें हिम्म्त आ गई।
फ़िर मुझे अहसास हुआ कि वो भी अपना लन्ड मेरी गाण्ड से रगड़ रहा था।
मैं ऐसे ही सोने का नाटक करता हुआ पड़ा रहा।
अब उसने अपना एक हाथ मेरी गाण्ड पर रख दिया था और धीरे-धीरे सहलाता रहा।
मैंने कुछ नहीं कहा और मजे लेता रहा।
तभी अचानक वो बोला- चल भोसड़ी के.. अब जाग भी जा.. मुझे पता है तू नाटक कर रहा है।
मैं हैरान रह गया और उसकी तरफ़ घूम कर बोला- तुझे कैसे पता..?
वो बोला- तेरे जैसे कई की मैं ले चुका हूँ.. तुझे देखते ही मैं समझ गया था कि तू गान्डू है।
फ़िर वो मेरे गुलाबी होंठों को चूसने लगा।
मैं भी अब मस्ती में आ गया और उसको चूमने लगा।
उसने अपनी पैन्ट निकाल दी और चड्डी में से अपना लन्ड निकाल कर मेरे हाथ में दे दिया।
मैंने देखा कि उसका लन्ड 7-8 इंच का था.. मैं उसे देख कर पागल सा हो गया।
फ़िर उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिए।
मैंने भी अपनी कमीज और पैन्ट निकाल दी। मैंने नीचे हमेशा की तरह ब्रा और पैन्टी पहने हुआ था।
उसे देख कर वो बोला- तू तो एकदम लड़की के जैसा ही लग रहा है।
अब हम 69 की अवस्था में आ गए।
मैं उसका मोटा लन्ड अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
उसने मेरी पैन्टी को सरका कर मेरी गाण्ड चाटना चालू कर दिया।
वो बार-बार अपनी जीभ मेरी गाण्ड के छेद पर रगड़ रहा था।
मैं मजे से उसका लन्ड अपने मुँह मे अन्दर-बाहर कर रहा था।
फ़िर वो उठा और बोला- चलो अब तेरी गाण्ड बजाऊँगा।
तो मैं कुतिया की तरह चार पैरों पर बैठ गया और अपनी गाण्ड उसकी तरफ़ कर दी।
वो बोला- साली कुत्तिया.. आज तो तेरी गाण्ड फ़ाड़ दूँगा.. बहुत दिनों से कोई छेद मिला ही नहीं…
फ़िर उसने बहुत सारा थूक लिया और मेरी गाण्ड के छेद पर लगा दिया।
फ़िर अपना सुपारा मेरी गाण्ड के छेद पर रख कर एक जोर से धक्का मारा.. एक ही धक्के में उसका पूरा लवड़ा मेरी गाण्ड में घुस गया.. मेरे मुँह से ‘आह’ निकल गई।
मैं बोला- आज इस चूतिया गाण्ड को मत छोड़ना.. बहुत दिनों की प्यासी है.. आज इस की प्यास मिटा देना।
वो जोर-जोर से मेरी गाण्ड पर अपने लन्ड से वार करने लगा।
मेरी गाण्ड चुदते देख कर मुझे बहुत मजा आया।
मेरे मुँह से आवाजें आने लगीं,
‘चोद मेरे राजा.. फ़ाड़ दे मेरी गाण्ड.. को.. आह्ह ह्ह्ह ओह्ह्ह इह ओह्ह आह्ह्ह.. और जोर से आह्ह्ह और जोर से…’
मेरी गाण्ड में से ‘फ़च्च.. फ़च्च’ की आवाजें आ रही थी।
मैं ‘आह्ह.. आह्ह.’ चिल्ला रहा था।
लगभग 20 मिनट तक वो कमीना मेरी गाण्ड फ़ाड़ता रहा।
फ़िर उसने अपना लन्ड निकाला और मेरे मुँह में ठूँस दिया।
फ़िर मेरा सिर पकड़ कर जोर-जोर से मेरे मुँह को चोदने लगा।
मुझे इसमें बहुत मजा आया।
फ़िर थोड़ी ही देर में उसने अपना सारा माल मेरे मुँह में ही निकाल दिया।
मुझे उसका नमकीन स्वाद बहुत पसन्द आया।
मैंने उसका लन्ड पूरा चाट कर साफ़ कर दिया।
करीब 10 मिनट बाद उसका लन्ड फ़िर से खड़ा हो गया।
इस बार उसने मुझे नीचे लिटा दिया..फ़िर मेरे पैरों को अपने कन्धे पर रख दिया।
इस तरह उसका लन्ड मेरी गाण्ड के छेद पर टिक गया।
एक बार फ़िर से उसने मेरी चुदाई शुरू कर दी।
करीब 30 मिनट तक चोदने के बाद वो शान्त हुआ।
सुबह तक हम वैसे ही नंगे सोते रहे फ़िर 7 बजे जाग कर कपड़े पहने।
हम अब पहुँचने ही वाले थे।
वो बोला- मेरे साथ चल.. मेरे दो और दोस्त हैं जो गाण्ड मारने का शौक रखते हैं।
मैंने अपने घर पर फोन करके बता दिया कि मैं कल आऊँगा और उसके साथ चल दिया।
उन तीनों ने मिल कर मेरी गाण्ड की कैसी चुदाई की उसकी कहानी मैं आप को अगली बार लिखूँगा।
आपका दोस्त विशाल गान्डू का प्रणाम।