हिंदी गे सेक्स कहानी: दिल्ली की नौकरी: 8

हिंदी गे सेक्स कहानी अमित और अविनाश के चुदाई की: 2

हिंदी गे सेक्स कहानी: मेरे दोस्तों… आप सब के इतने प्यार का आभार । हालांकि मैं दिल्ली के अनुभव और नहीं लिखना चाहता था पर आप सब की फरमाइश पर मुझे और लिखना पड़ा !! जैसा के आप सब जानते ही हो के मेरा नाम आशु है, में हरियाणा के यमुना नगर का रहने वाला हू!

तो हुआ कुछ यूं के मैं एक लड़के रजत से पिछले सात महीने से फेसबुक पर चैट कर रहा था, पिछली बार दिल्ली से एक मीटिंग अटेंड करने अप्रैल में मैं चंडीगढ़ आया तो उसने मुझे बताया के वो भी चंडीगढ़ मैं ही है और उसने एक होटल लिया हुआ है! मेरी उम्र 34 है और उसकी 24. पर उसे कोई समस्या नहीं थी… उसने कहा के वो टॉप है और मैंने बताया के मैं वर्स हूं. उसने कहा के एक बार मेरे साथ बॉटम बन जाओ… फिर मैं तुम्हारे साथ वर्स हो जाऊंगा अगली बार… जाने क्यों न चाहते हुए भी मैं मान गया था।

खैर… मैं शाम को चंडीगढ़ पहुंचा तो अँधेरा होने लगा था और मुझे सुबह सुबह काम था, तो मैं उससे मिलने चला गया… रूम में उसने बिलकुल अँधेरा किया हुआ था, मुझे कुछ अजीब सा भी लगा पर मुझे भी रौशनी में सेक्स पसंद नहीं, खैर थोड़ी देर इधर उधर की बात करने के बाद उसने मेरे होठ चूसने शुरू कर दिए और पता ही नहीं लगा के वो कब मेरे निप्पल चूसने लगा था…

मदहोश सा कर दिया उसने निप्पल चूस चूस कर, जान गया था वो के ये ही मेरी कमज़ोरी है… और फिर नीचे बिठा कर मेरे मुँह में धीरे धीरे पूरा लंड डाल कर लगभग मुँह चोदने लगा… रजत का लंड सात इंच का था, मोटाई भी काफी थी।, उसके लंड से पेशाब और वीर्य की मिलीजुली गंध आ रही थी।

उसका लंड इतना मोटा था के मेरा पूरा मुँह भर गया, मैं भी अब शायद मस्ती से लंड चूसने लगा। रजत तो जैसे आसमान मे उड़ने लगा, मैं उसके लंड को अपनी जीभ से सहलाता, उसे अपने होठ से दबाता, उसका स्वाद ले-लेकर उसे चूसता, उसका रस पीता… इतने प्यार से शायद उसका लंड आज तक किसी ने नहीं चूसा था। वो मेरे बाल सहलाता अपना लंड चुसवा रहा था, उसका मन तो कर रहा था के वो हमेशा के लिए, इसी तरह मेरे मुँह में अपना लौड़ा घुसेड़े खड़ा रहे।

वो खड़ा, मेरे बाल सहलाता अपना लंड चुसवा रहा था और आनंद से आह भर रहा था- ओह्ह्ह… यह्ह्ह्ह… उसी के साथ मैं उसका लंड लॉलीपॉप की तरह चूस रहा था। इतना मज़ेदार रसीला लंड मुश्किल से मलता है इसीलिए मैं पूरे जोश के साथ चूस रहा था। रजत की मदमाती आह के बीच मेरे चूसने की भी आवाज़ आ रही थी- लप…लप.. लप… थोड़ी देर बाद जब उसने मेरे मुँह से लंड निकाला तो पूरा तैयार था और पूरे चेहरे को भर दिया उसने अपने वीर्य से।

लगभग आधे घंटे तक बाँहों में बाहें डाले निप्पल और होंठ चूसता रहा और फिर मुझे अपने नीचे ले लिया. अब शायद रजत से नहीं रहा जा रहा था, उसका मन चुदाई का हो रहा था। उसका लंड फिर खड़ा हो गया था मुझको पता चल गया के रजत मेरी गांड मारने वाला है।

मैं गिड़गिड़ाया : यार, प्लीज धीरे करना… मुझे ज़्यादा आदत नहीं है। और मेरी टाइट भी इतनी है जैसे सील पैक हो , (यकीन मानो दोस्तों आज भी मेरी इतनी ही टाइट है),

रजत ने अनसुना कर दिया , उसे तो बस अब जल्दी थी के वो अब मेरी गांड में अपना लंड घुसेड़ दे और चोद दे-सीधा हो जा यार… उसने एक-एक करके कहना शुरू किया , बहुत जल्दी में था, उसका लंड बहुत बेताब हो रहा था मेरी गांड में जाने के लिए।

मेरे सीधे होते ही उसने मेरी गांड में ऊँगली डाल दी, मैं चिल्ला उठा, उसने अपने सिरहाने के नीचे से जेल निकाला और धीरे धीरे मेरी गांड मैं डालना शुरू किया, जेल से जल्दी ही दो उँगलियों ने गांड में अपनी जगह बना ली थी, और मुझे दर्द भी पहले से कुछ काम होता महसूस हुआ, मेरी गांड मुलायम और चिकनी हो गई थी।

रजत को मेरी गांड देखकर बहुत अच्छा लगा। मुझे भी उसमें अब कामदेव दिखाई देने लगा था! थोड़ी और जेल लगा कर… उसने जेल अपने लंड पर लगाया

‘टाँगे फैला…’ उसने फिर हुकुम दिया ।

मैंने टाँगे फैला दी,रजत ने छेद पर अपना सुपारा टिकाया और एक धक्का मारा

अह्ह्ह्ह…मेरी चीख निकल गई।

रजत का आधा लंड मेरी गांड में घुस चुका था। कहीं मैं खुद को छुड़ा न लूं इसिलए उसने उसे एक कंधे से मज़बूती से पकड़ लिया और दूसरे हाथ से मुझे कमर से दबोच लिया और फिर एक ज़ोर का झटका मारा।

अहहह… मेरी दर्द भरी चीख निकल गई। लेकिन रजत को उसकी परवाह नहीं थी।

धीरे धीरे पूरा लंड अंदर सरका दिया… सच मानो के मेरी बहुत ज़्यादा टाइट है लेकिन जाने क्या नशा कर दिया उसने, जब अंदर डाल रहा था तो मैं चिल्लाऊं नहीं इसलिए होठ अपने होठो से बाँध दिए मेरे! लगभग 5 -10 मिनट खूब दर्द बर्दाश्त करने के बाद.. मैं उसकी पकड़ से छूटा…

अब रजत ने फिर मुझे दोनों हाथो से मुझे कमर से दबोचा और अपना लंड हिलाने लगा। मेरी हालत ख़राब हो गई, मैंने अभी तक सिर्फ एक दो बार ही चुदवाया था, ज़्यादा आदत नहीं थी मुझे… एक तो मेरा छेद बहुत टाइट था और यही बात रजत को बहुत पसंद आई, टाइट, कोरी, मुलायम गांड!

‘अहह… ऊह… अहह… ऊह्ह… अहह…मैंने सिसकारियां लेनी शुरू की।

‘अह्ह्ह… रजत… अह्ह्ह…प्लीज … धीरे… मुझ से उसके थपेड़े नहीं सहे जा रहे थे।

लेकिन रजत को बहुत मज़ा आ रहा था, वो गपर गपर मेरी गांड चोद रहा था।

‘और झुक…’ उसने लंड हिलाते हुए मुझ को हुकुम दिया लेकिन मैं और चुदवाने के मूड में नहीं था, मैं अब भागने के चक्कर में था, बहुत दर्द हो रहा था मेरी गांड में! रजत ने जबरदस्ती मुझे नीचे दबोच लिया, उसको घुसेड़ने में अब आसानी हो गई।

मैं उसी तरह आह भरता, असहाय चुदवाता रहा ‘अह्ह…ऊह्ह्ह… ऊह्ह्ह… ’

और इधर रजत अपनी कमर हिला हिला कर मुझे चोदे जा रहा था, यह गप-गप की आवाज़ इतनी ज़ोर की थी के अगर आप हमारे नज़दीक होते तो मेरी दर्द की सिसकारियों के बजाये उसे सुन सकते थे। मेरा कराहना तड़पना शायद रजत का मज़ा दुगुना कर रहा था, उसको और जोश चढ़ा और उसने उसी जोश में उसने चुदते हुए मेरे चूतड़ पर एक चपत जड़ दी।

‘अह्ह्ह्ह…मैं बेचारा करहा उठा

हम दोनो को चुदाई करते अब काफी मिनट हो चले थे, अपनी सिसकारियां थाम कर मैं बोला- बस करो रजत… छोड़ दो… बहुत देर हो गई है…

छोड़ रहा हूं … यहहह… ब…स… दो… दो मिनट और… अआह्ह्ह… आने वाला है…यआह… ’ रजत ने हवस भरे मदमाते स्वर में जवाब दिया ।

अब वो झड़ने वाला था। बस एक दो धक्के और फिर रजत अपना लंड मेरी गांड में फुलाता झड़ गया।

चंडीगढ़ में अखंड चटाई की हिंदी गे सेक्स कहानी

उसने हलके से अपना लंड बाहर निकाला, मुझ को कुछ राहत मिली, मैंने रजत का लंड देखा, उसी तरह गुस्साए नाग की तरह तन कर खड़ा था, एक वीर्य की बँदू भी उसके छे द पर और उभर आई थी।

घडी मैं वक़्त देखा तो 11 बज चुके थे, 7 बजे से मैं आया हुआ था और अब तक एक ही बार हुआ था, लेकिन मुझे तो जाना भी था. वापिस जाते हुए उसके पीछे ऑटो पे बैठने में भी दर्द हो रहा था… वापिस आ कर सफाई की तो देखा गांड से खून भी निकला था शायद! ये चंडीगढ़ की विजिट न भूलने जैसी थी ।

आगे अगली रात और क्या क्या हुआ,

कहानी जारी रहेगी!

अभी मैं हरियाणा के यमुना नगर जिले में हूं. आपके पत्रों का इंतज़ार मुझे [email protected] पर रहेगा

आपका आशु

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