हिन्दी चुदाई स्टोरी स्टूडेंट और सर की: 2
चुदाई सेक्स कहानी: मेरे तो पूरे शरीर में करंट सा लग गया । क्युकी उनका लन्ड बहुत ही खूबसूरत था, ढीले होने पर तो वो काला लग रहा था पर जैसे ही वो खड़ा हुआ उसने अपने रंग बदल लिया था काफी गोरा लग रहा था और मोटा भी
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उनके सुपाड़े के ऊपर अभी भी स्किन थी जिसमे से उनका टोपा हल्का सा बाहर निकल कर चमक रहा था । मैं तो एकदम शांत हो गया और एकटक उसे ही देख रहा था जिसे दीपक भैया ने देखा और मजाक में मेरे हाथ से फोन लेकर मुझे आंख मार दी ।
अब मेरा मन गाड़ी में लग ही नहीं रहा था बस मन कर रहा था की दीपक भैया की पैंट सरका कर एक बार उनका लन्ड देख लू और शायद उसके साथ कुछ कर भी पाऊं, पर मैंने दीपक भैया को देखा तो वो जैसे काफी खुश थे की उनकी मर्दानगी का अब मैं सबूत भी हु ।
ये सब करते करते ही हम बनारस पहुंच गए । मेरे घर पर मेरे चाचा , दादी दादा रहते हैं , मैं जैसे ही घर पहुंचा तो तुरंत दादी से लिपट गया और उनसे बातें करने लग गया , सर लोग भी बाहर बरामदे में बैठ कर चाय पानी करने लगे
आज तक सर मुझे केवल दूसरे शहर में किराए के घर में रहता हुआ एक लड़का समझ रहे थे पर आज उन्हे समझ में आया की मैं एक अच्छे घर से हु और मजबूरी के कारण मुझे बाहर रहना पड़ रहा है । सब काफी खुश थे , फिर सर अपनी दोस्त से मिलने चले गए और मैं और दीपक भैया घर पर ही थी
तब भर में चाचा ने बोला की तुम लोग आराम कर लो शाम को गंगा आरती देखने चलेंगे , अब जो लोग बनारस गए हैं और गंगा आरती देखी है उन्हे पता होगा कि अगर आपको अपने जीवन से आधे घंटे गायब करने हैं तो आप बनारस आरती में चले जाइए ।
उधर उस आधे घंटे आपको कुछ भी होश नही रहता है और आप एक नई दुनिया में रहते हो । मैं तुरंत दीपक भैया को ऊपर कमरे में ले गया कहा उन्होंने एक निक्कर पहना और टी शर्ट उतार कर बिस्तर पर धड़ाम से गिर पड़े और सो पांच मिनट में ही सो गए ।
मैने भी कपड़े चेंज किए और उनके बगल जाकर लेट गया , ऊपर कमरे में एक ही तख्त था और एक ही रजाई रखी थी इसलिए मैं उनके बगल लेट कर ही तुरंत रजाई ओढ़ ली और आंख बंद करके लेट गया
अब मेरे दिमाग में केवल दीपक भैया का लन्ड घूम रहा था पर मुझे उनके लन्ड के बारे में सोचने पर भी ऐसा लग रहा था जैसा मैं सर को धोखा दे रहा हु । मैं यही सब सोच रहा था की अचानक दीपक भैया रजाई में आ गए और बोले ” बेहंचोद दिन में भी कितना ठंडा है बे तेरा शहर ?”
मैं चुप चाप आंख बंद किए लेटा रहा तो वो भी अपने सर को अपने हाथ के ऊपर रख कर सो गए । मैं सो नही रहा था पर जब अब हम एक ही रजाई में इतने पास थे की अगर मैं करवट भी लेना चाहु तो उनको बिना छुए नही ले सकता इस परिस्थिति में तो मुझे और उत्तेजना फील हो रही थी ।
मैं फिर से अपने बचपन के दिन में पहुंच गया जहा मैं जब भी अपने किसी चाचा , मामा या भैया के साथ सोता था तो उनके लन्ड को ऊपर से जरूर छूता था
अचानक मैं दीपक भैया को दो बार बुलाया पर जब उन्होंने कुछ नही बोला तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैने उनके बनयान पर हाथ रख कर उनका पेट सहलाना शुरू कर दिया ।
उनका कोई रिस्पॉन्स नही था पर फिर मेरी भी हिम्मत बढ़ गई और मैने उनके निक्कर के ऊपर से उनके लन्ड पर हाथ रख दिया । मैने ये काम बहुत बार किया था पर आज तक मैंने अपनी आंखो से नंगा लन्ड नही देखा था केवल मोबाइल में ही देखा था और वो समय 2016 का है और आप एक 16 के लड़के हो वो भी जिसे गे सेक्स देखना पसंद है तो भूल जाओ ।
पर आज मैं अपने काबू में नहीं था और केवल उन भैया को देखते हुए आराम आराम से उनका लन्ड छू रहा था ।
अचानक से भैया ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी निक्कर के अंदर डाल लिया और उसे निक्कर के ऊपर से ही रगड़ने लगे । मेरा तो जैसे हाथ ही कट गया हो । मैं अपने हाथ पर उनके लन्ड के अलावा कुछ भी महसूस नहीं कर पा रहा था पर वो लगातार अपने लन्ड को हिला रहे थे मेरे हाथ से ।
पर भैया अभी भी आंखें बंद करे हुए थे और लगातार मेरा हाथ अपने लन्ड पर रगड़ रहे थे । उनके लन्ड में कुछ तो अलग था । वो ढीला होता था तो 2 इंच का हो जाता था जिसे देख कर कोई भी उन्हे छोटी लुल्ली वाला ही कहेगा पर जब वो खड़ा होता था तो एकदम टाइट 7 इंच का होता था 3 इंच की मोटाई के साथ ।
वो सबसे बड़ा लन्ड नही था जो मैने पकड़ा था पर वो केवल 19 साल के थे , जब वो 24-25 के हो जायेंगे तो उनके लन्ड का हाल सोचिए । अब मैं इन्ही फालतू की बातों में उलझा था की अचानक उन्होंने अपना निक्कर नीचे खींच दिया और मेरे सर को अपने लन्ड की तरफ दबाने लगे ।
मेरा मन तो बहुत कर रहा था की अभी उनके सुपाड़े को चमड़ी को पीछे खींच कर उनका लन्ड अपने मुंह में ले लूं पर डर ये था की भैया की आंखें अभी भी बंद थी । पर वो दबा ही इतनी तेज रहे थी की मैं रुक नही पाया और खुद उनके लन्ड के टोंटी के पास जाकर अपना सर रोक दिया ।
रजाई के अंदर अंधेरा था इसलिए मुझे कुछ नही पता की उनका लन्ड कैसा था और किस हालत में था मैने बस मुंह खोला और मैने उसे मुंह में ले लिया । ये होते ही भैया ने मेरा सर अपने लन्ड पर दबा दिया और मेरे गले तक लन्ड उतार दिया ।
अब शायद सबको लग रहा होगा की किसी के गले में पहली बार लन्ड जायेगा तो उसे खांसी आएगी या फिर उल्टी होगी पर शायद मैं बचपन से ही ऐसा था , मैं दुनिया के लिए लड़का था पर अंदर से मैं एक लड़की ही था इसीलिए मुझे आज जो भी मिल रहा था मैं उसे झेलने के लिए तैयार था ।
अब भैया का लन्ड मेरे गले में था और उनका हाथ मेरे सर को और नीचे दबा रहा था । भैया नीचे से झटका दे रहे थे शायद इस उम्मीद में की एक बार मैं गू गू की आवाज करते हुए उनसे रहम मागूंगा पर मैं इतने साल की भड़ास एक लन्ड पर निकलने को तैयार था इसीलिए मैं उसे पूरा अंदर ले रहा था और वो उसे और अंदर डाल रहे थे ।
पूरा लन्ड दिन भर के सफर की वजह से कसैला था ऊपर से भैया ने जितने बार भी मूता था अपना लुंड साफ नही किया था इसलिए उससे मूत की भी गंध आ रही थी पर उनके लन्ड पर कुछ अलग सा टेस्ट था जो केवल सुपाड़े से आ रहा था ।
वो खट्टा था चिपचिपा था और शायद भैया की मर्दानगी का सबूत भी था । मैं बेझिझक उस लन्ड को अपना बनाना चाह रहा था पर फिर अचानक से भैया ने बोला ” प्रतीक्षा तेरी मां की चूत बहन की लौड़ी चूस इसे अच्छे से , आज तेरी मां चोद दूंगा रण्डी ” ।
मुझे भैया से कोई उम्मीद नहीं थी ना प्यार था पर फिर भी मुझे काफी बुरा लगा क्युकी जिंदगी में पहली बार किसी ने मुझे लन्ड का स्वाद चखाया और उसे ये तक पता नहीं की उसका लन्ड मैं चूस रहा हु न की उनकी गर्लफ्रेंड जिसको उन्होंने अपने लन्ड की फोटो भेजी थी ।
इतना कुछ होने के बाद अब भैया केवल धक्के लगा रहे थे और मैने लन्ड को मुंह में पकड़ रखा था । मेरा सारा इंटरेस्ट खतम हो गया था पर भैया ने मुझे इतने जोर से पकड़ रखा था की मैं हिल भी नहीं सकता था ।
अचानक से भैया ने मेरा सर दो इंच नीचे की तरफ दबाया और अपना लन्ड चार इंच ऊपर की तरफ । उनका लन्ड सीधे मेरे गले में लगा और उसमे से कुछ अजीब सा निकला जिसकी महक कुछ ऐसी थी जैसे किसी ने कई दिन से कपड़ा गीला करके धूप में न डाला हो
स्वाद कुछ नही था बस बहुत गाढ़ा था और कई बार निकल रहा था भैया के लन्ड से । मुझे वो बहुत खराब लगा पीने में पर भैया ने पकड़ के ही ऐसे रखा था की मैं हिल नही पाया ।
फिर भैया दो मिनट तक वैसे ही झटके लगाते रहे और फिर रुक गए । मैने भी रजाई से में निकाला बाथरूम में गया , उल्टी करने की कोशिश की थोड़ा बहुत जो गले की दीवारों पर चिपका था वो तो बाहर निकला पर बाकी अंदर जा चुका था ।
मैने अपना चेहरा शीशे में देखा तो मेरे पूरे होठ और उसके नीचे दाढ़ी पर थूक लगी हुई थी , मैने उसे धोया और मैं बाहर आ गया । मैं जैसे ही बाहर आया तो मैंने देखा कि सर हमारे कमरे में कुर्सी पर बैठे हैं
ये देखते ही शायद मैं मर गया था क्यों कि जो भी मैने पिछले 20 मिनट में किया उस समय मैं रजाई के अंदर था , मुझे नही पता था की बाहर कौन है , शायद सर पहले से वहां थे और उन्होंने वो सब देखा , अब मैं क्या मुंह दिखाऊंगा
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सर ने सही कहा था मैं रण्डी हु , और भी बहुत कुछ मेरे दिमाग मे चल रहा था और मैं सर को देख कर घबराया जा रहा था । फिर सर ने ही बोला की तू भी यही पर है ? मुझे लगा ये सांड अकेले ही सो रहा था । मुझे थोड़ी जान आई पर सर ये मुझे ऐसे क्यों दिखा रहे हैं जैसे उन्होंने सच में कुछ न देखा हो ?
मेरे दिमाग में बहुत सारी बातें चल रही थी पर उसमे से सबसे ऊपर यही थी कि सर अब मेरे बारे में क्या सोचेंगे ? ये सोच कर ही मैं अंदर ही अंदर मरता जा रहा था । फिर सर कमरे से चले गए और मैं भैया के ही बगल में लेट गया और सोचते सोचते सो गया ।
बाकी की कहानी अगले भाग में
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में आपको चुदता ही मिलूंगा , पर आगे के कहानी के लिए मेरे रण्डी बनने से पहले का सफर जानना जरूरी था । आपके सुझाव महत्वपूर्ण होंगे कृपया उन्हे मेरे साथ साझा करें । धन्यवाद ।