हिंदी गे सेक्स कहानी अमित और अविनाश के चुदाई की: 1
हिंदी गे सेक्स कहानी: यह मेरा पहला प्रयास है. यह घटना आज से ४ साल पहले की है जब मैं २३ साल का था और नौकरी करने दिल्ली आया था. मेरा नाम अविनाश है.मेरे स्टैट्स ५.११ ७० किलोग्राम गोरा रंग हेयरी बदन और लंड ७” का तथा मैं झांटे रखता था.
मैंने नौकरी ज्वाइन करने के साथ ही रहने के लिए फ्लैट ढूंढना शुरू किया. कई सरे ब्रोकर्स और कई सरे फ्लैट देखे. उन्ही में से एक फ्लैट देखने के दौरान मेरी मुलाकात अमित से हुई जो देखने में बहुत हैंडसम था. बात चीत में भी बहुत अच्छा था. उसके स्टैट्स ६’ ७० किलोग्राम हेयरी क्यूँ कि शर्ट के अन्दर से बाल झांक रहे थे और रंग वीटइश गोरा था. उसी फ्लैट देखने के दौरान हम लोगों ने डीसाइड किया कि हम दोनों साथ रहेंगे क्यूंकि थोड़े पैसे बचेंगे.हम साथ साथ रहने लगे… यह हमारे आगे के रिश्तों कि शुरुआत थी.
धीरे धीरे हमारी दोस्ती बढ़ने लगी.अमित और मैं साथ साथ घूमते . पिक्चर देखते डिनर करते और अच्छे दोस्त बन गए.अब हमारे बीच बहुत सी बाते शेयर होने लगी. हम लोग अब अपनी सेक्स लाइफ भी थोड़ी बहुत डिसकस कर लेते थे और एक दूसरे के सामने हम तने हुए बॉक्सर में भी घूम लेते थे क्यूंकि रात में लंड को आजदी दे देते थे…
एक दिन मैं अपने कमरे में रात को करीब ११ बजे पोर्न देखते हुए मुठ मार रहा था मुझे लगा मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया था पर शायद कुण्डी ठीक से नहीं लगी थी… अमित ने दरवाज़ा को धक्का दिया और दरवाज़ा खुल गया. मैं उस समय पूरे शबाब पे था मेरे वीर्य कि पिचकारी छूट रही थी और मैं सिस्कारिया भर रहा था…
अमित मुझे देखता रहा. उसने न दरवाज़ा बंद किया न वोह वहां से गया न उसने कुछ बोला. उसने सिर्फ मेरे वीर्य को कपडे पर गिरते हुए देखा फिर अचानक उसने अपना बॉक्सर नीचे गिरा कर अपने ८” के लंडको आजाद कर बिस्तर के उस तरफ जिस तरफ कपडा पड़ा था आया और बिना कुछ बोले मुठ मरने लगा…
करीब १० मिनट में उसकी पिचकारी छूटने लगीऔर उसका शरीर अकड़ने लगा. उसका काफी सारा वीर्य उस कपडे पर मेरे वीर्य के साथ मिल गया. यह पहला मौका था कि मैं उसके ८” के लंड को इतने करीब से और पूरे एक्शन में देखा था… मैं उस पर थोडा नाराज़ भी हुआ कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था और मेरी प्राइवेसी कि रेस्पेक्ट करनी चाहिए थी. उसने माफ़ी मांगी और चला गया अपने रूम में…
इस घटना के बाद हम लोगों के बीच शर्म कि दीवार थोड़ी कम हो गयी थी क्यूंकि हम दोनों एक दूसरे को एक दम नंगे देख चुके थे और वोह करते हुए देख चुके थे जो कोई लड़का दूसरे के सामने नहीं करता. हमे पता था किसके बदन पर किस जगह कौन सा तिल है और झांटो में बाल है कि नहीं इत्यादि…
अब हम घर में और फ्री हो के घूमते थे बिना बनियान के और गाहे बगाहे एक दूसरे को कंधो कमर और चूत्तडो पर छु भी लेते थे.
कुछ दिनों बाद अमित को ठरक चढ़ गयी कि हम दोनों एक साथ पोर्न देखेंगे और साथ साथ मुठ मरेंगे. मैंने बहुत मना किया पर वोह माना नही. वोह अपनी जिद्द पर अडा रहा… फिर मुझे अपने कमरे में ले गया और उसके लैपटॉप पे हम साथ साथ उसके सिलेक्टेड पोर्न का मज़ा लेने लगे. हम लोगों कि टी शर्ट्स उतर चुकी थी.
एक दुसरे के बदन कि गंध आने लगी थी… पोर्न देखते देखते हम लोगों के लंड तनने लगे थे. फिर उसने पूछा कि गे पोर्न देखोगे? मैंने मना नहीं किया यह शायद मेरी पहली स्वीकृति थी उसके लिए… और हम फिर गे पोर्न देखने लगे और सच बताऊ तो दोनों को अच्छा लग रहा था…
काफी देर बाद अमित का ने कहा अब रहा नहीं जा रहा चलो साथ साथ मुठ मार लेते है. फिर एकाएक बोल पड़ा कि क्यूँ न एक दुसरे को मुठ मरवाए .मैंने थोडा मन किया पर अब वोह स्थिति नहीं थी कि वोह मानता.
उसने अपना बॉक्सर उतारा और साथ में मेरा भी खींच दिया. वोह बिस्तर से उतर कर खड़ा हो गया और बोला अवि मुझे मुठ मरवा प्लीज… मैं सामने से उसके लंड को पकड़ कर हिलाने लगा पर उसमे स्पीड नहीं आ रही थी ..उसने कहा पीछे आ जा और मुठ मरवा. अब मैं अमित के पीछे से लंड को तेज़ी से हिलाने लगा.
मेरा लंड उसके चुतडो पर रगड़ खाने लगा और उसकी पीठ मेरी छाती से चिपक रही थी उसके बदन कि खुशबू मुझे अच्छी लग रही थी. करीब १० मिनट हिलाने के बाद वोह सिसकारी भरते हुए बोला अविविविविवी… मेरा निकलने वाला है और बोलते ही उसकी वीर्य कि पहली पिचकारी छूट गयी जो काफी दूर जा कर ज़मीन पर गिरी.
फिर छोटी-छोटी कई पिचकारी निकली और आखरी पिचकारी मेरी उंगलियों पे निकली जिसे मैं उसके पीठ पर पोछ दिया… झड़ने के बाद वोह काफी रिलैक्स्ड और खुश था. फिर बोला अब मैं तुझे मुठ मरवाता हूँ और यह कह कर वोह मेरे पीछे आ गया और मेरे खड़े लंड को दाहिने हाथ से पकड़ लिया और बाएं हाथ से मेरी छाती पकड़ी…
हिंदी गे सेक्स कहानी दो ठर्की और प्यारे रूममेट्स की
वोह मुझे से थोडा लम्बा था तो उसका मुह मेरी गर्दन तक पहुँच पा रहा था… उसने मेरे लंड के स्किन को आगे पीछे करना शुरू किया मेरा सुपाडा खोला और उसे दबाया और फिर मेरा लंड हिलाना शुरू किया. धीरे धीरे मेरा तनाव बढ़ने लगा. मैं अमि अमि… अमि अमि… बोलने लगा… उसने मेरी गर्दन पर किस करना शुरू किया और बाये हाथ से मेरे निप्पल्स(चूचियाँ ) को मसलने लगा.
मैं अपने एक्साइटमेंट के चरम पे था और मेरी पिचकारी छुटने लगी. अमित अब भी मुझे किस कर रहा था और वोह देख रहा था कि निप्पल्स(चूचियाँ ) मसलने पर मैं बेकाबू हो रहा था. अब मैं झड चुका था. और निप्पल्स(चूचियाँ ) के मसलने कि वजह से मैं अमित कि गिरफ्त में आ गया था.
उसने मुझे बाँहों में भर लिया और मुझे धीरे धीरे किस करने लगा… वोह मुझे अवि बुला रहा था और मैं उसे अमि बुला रहा था… पर हम दोनों एक दूसरे से अलग नहीं हो रहे थे और किस्सिंग बहुत तेज हो चुकी थी. थोड़ी देर बाद हम अलग हुए उसने मेरे आर्म पिट को चाटा किये, झांटे स्मेल कि और मेरे निप्पल्स(चूचियों ) को फिर चूसा… उस दिन शर्म कि सारी दीवार ख़त्म हो गयी…
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अविनाश([email protected])