गे सेक्सी कहानी मेरे दोस्त से ज़ोरदार चुदाई की

गे सेक्सी कहानी: मेरी पिछली कहानी में आपने पढ़ा था कि कैसे मेरे एक दोस्त ने मेरी गांड मारी थी, अब आगे | मैं एक बार फिर अपने बारे में बता देता हूं | मेरा नाम अभिषेक (परिवर्तित) है | कहानी के समय मैं 19 साल का हूं | मैं एकदम इतना कमसीन जवान लड़का था | मेरी हाइट 5 फुट 4 इंच है ना ज्यादा मोटा हूं, ना ज्यादा दुबला पतला हूं | रंग दूध जैसा गोरा है |
19 का हूं पर चेहरे से बच्चा ही दिखता हूं | इसलिए जो मेरी उम्र से बड़े उम्र के लड़के थे , उनकी नजर हमेशा से मुझ पर थी | कोई भी जवान लड़का जो मुझे देखता और उसे मैं यदि थोड़ा भी इशारा कर दूं वह मेरी गांड मारने के लिए तैयार हो तैयार हो जाए |
हेमंत से चुदाई के बाद मेरी तो चाल ही बदल गई थी और मुझे लंड का चस्का लग गया था | अब मैं उन लड़कों के बारे में सोचने लगा, जो मुझे अच्छे लगते थे या मुझमें दिलचस्पी दिखाते थे | उन्हीं में से एक था आशीष | वह एक हष्ट पुष्ट लड़का था पहलवानों जैसा शरीर काले बाल 18 – 19 साल के गबरु जवान मर्द जैसा शरीर एकदम गबरु जाट |
बचपन से ही मुझसे ज्यादा हाइट का था और पहलवान जैसी बॉडी का था | वह मौका मिलने पर मेरे गालों पर मुझे किस किया करता था पर कभी आगे बात नहीं बड़ी | 1 दिन फेसबुक पर चैट करते करते उसने मुझसे पूछा कि तुम इंदौर में कहां रहते हो ? तो मैंने बता दिया | उसने कहा कि मुझे 1 दिन के लिए परीक्षा देने इंदौर आना है, तो क्या मैं तुम्हारे रूम पर रह सकता हूं ?
मैंने भी हां कह दिया उसने रिप्लाई किया कि “फिर तो वहां सब कुछ हो जाएगा” | समझदार को इशारा काफी होता है मैं इशारा समझ गया उस दिन से मैं आशीष का ल** के बारे में सोच कर बहुत उत्तेजित हो जाता था | हेमंत ने मेरी गांड तो मारी थी पर मुझे संतुष्ट नहीं कर पाया था | उसका बहुत जल्दी झड़ गया था | मुझे दर्द ही हो रहा था और वह झड़ गया था |
मैं ठीक से मजा भी नहीं ले पाया था, मैं आशीष की परीक्षा वाले दिन का इंतजार करने लगा | और वह दिन आ भी गया वह हमारे रूम पर आया वह मेरे रूम पर आया हम इधर उधर की बातें करने लगे | रूम पर मेरे थे रूम पाटनर भी थे , इसलिए हमें दिन में कोई चांस नहीं मिल पाया | सुबह होते ही वह परीक्षा देने चला गया | परीक्षा देकर लौटा तब रूप पर मैं अकेला ही था, वह भी समझ गया कि यही मौका है |
वह मेरे बगल में आकर लेट गया | मैं मोबाइल चलाने लगा | गर्मी के दिन थे, मुझे हल्की-हल्की नींद आ रही थी और अचानक कमरे में सन्नाटा छा गया | उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया | वह पहले ही लंड बाहर निकाल चुका था | मुझे पता ही नहीं चला कि कब उसने अपना पेंट खीसका दिया था |
मैं उसके लंड को सहलाने लगा यह बहुत बड़ा था कम से कम 6 इंच का होगा और मेरी कलाई बराबर मोटा था | मैं तो बस उसे देखता ही रह गया | मैंने उसकी आंखों में देखा | उसने मुझे देखकर कहा कि जाट का लंड है | कैसा लगा तुझे ? मैंने भी कह दिया कि “बहुत अच्छा लगा” |
मैं उसकी पहलवानों जैसी बॉडी को टच करने लगा उसके शर्ट के अंदर हाथ डालने लगा | उसने मुझे अपना पूरा शर्ट नहीं उतारने दिया बस पेंट को घुटनो तक नीचे करके शर्ट और बनियान थोड़ा ऊपर कर लिया |
उसने धीरे से मेरे भी पेंट घुटनों तक नीचे कर दी और मेरी गांड से खेलने लगा | उसने मुझे करवट लिटा दी और मुझसे पूछा कि ले लेगा क्या ? मैंने भी हां कह दिया, अब उसने बहुत सारा थूक अपने लंड पर लगाया और थोड़ा मेरी गांड पर भी लगाया और अंदर करने लगा लेकिन अंदर जा ही नहीं रहा था |
फिर उसने मुझे जोर से पकड़ा एक झटका जोर से दिया और उसका लंड का टोपा मेरे गांड को चीरते हुए अंदर समा गया | मैं पानी से बाहर निकाली हुई मछली की तरह तड़पने लगा | इतना मोटा लंड मेरी गांड के अंदर जा रहा था | उसने मुझसे कहा कि “चुपचाप रह , आवाज मत कर |
मैं अपना सर तकिया में घुसा कर मन ही मन में चीखता रहा और उसने एक और दमदार झटके के साथ अपना पूरा लंड मेरी गांड में उतार दिया | मेरी गांड किसी ज्वालामुखी की तरफ फटने लगी | मुझे बेहिसाब दर्द हो रहा था लेकिन मैं बस उसके मजबूत शरीर के नीचे छटपटा ही रहा था | अब उसने लंड को आगे धीरे-धीरे आगे पीछे करना शुरू किया | मुझे अभी भी दर्द हो रहा था|
मैं सातवें आसमान पर था इतना सेक्सी पहलवान टाइप का लड़का मेरे ऊपर चढ़ा हुआ था यह किसी सपने के सच होने जैसा था आशीष मेरी कमर को मजबूती से पकड़ कर अपना लंड अंदर धकाए जा रहा था | मैंने अपने आपको आशीष को सौंप दिया था | मैं मन ही मन उसको पति मान चुका था अपना पूरा शरीर उसके हवाले कर दिया था , उसे जैसे इसका मजा लेना था, ले रहा था |
फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से अपना लंड मेरी गांड में एक बार में घुसा दिया, मैं दर्द से तड़प रहा था पर आशीष मेरे लिए एक आदर्श मर्द था | वह धीरे-धीरे मेरी गांड में अपने लंड को झटके दिए जा रहा था उसका लंड एकदम पत्थर की तरह कड़क हो गया था |
10 मिनट तक उसने मुझे धीरे-धीरे चोदा लेकिन मेरा दर्द ठीक नहीं हुआ | ऐसा लग रहा था जैसे गांड को किसी ने चाकू से चीर दिया हो और 15 मिनट बाद वह हाफने लगा, जोर जोर से चीखने लगा, और उसने अपनी सारी जवानी मेरी गांड में उतार दी उसका लंड में अपने अंदर फूलता हुआ और सिकुड़ता हुआ महसूस कर रहा था |
गे सेक्सी कहानी मेरे जाट दोस्त से चुदाई की
उसका बहुत सारा माल मेरे गांड में गिरा | थोड़ी देर बाद वह बदहवास होकर बिस्तर पर ही सो गया और मैं बाथरूम की ओर दौड़ा | बाथरूम में जाकर जब मैंने अपनी गांड धोई तो वहां पर पानी लाल लाल हो चुका था मुझे फिर से एक बार गांड में से खून निकला था और निकले भी क्यों ना दूसरी ही बार में मैंने इतना बड़ा लंड जो लिया था |
मैंने वापस आकर आशीष को यह बात बताई, उसने मुझसे कहा कि शुरू में ऐसा होता है | उसने मुझे कहा कि तुझे ठीक तो लगाना मैंने कह दिया कि हां मुझे अच्छा लगा |
उसने अपना सामान समेटा और जूते पहन कर चल गया | मैं अब तक दो बार चुद चुका था पर मुझे संतुष्टि ना हेमंत से मिली थी, ना आशीष से हेमंत का लंड छोटा था और उस पर वह जल्दी खत्म हो जाता था और आशीष मुझे हेमंत की तरह प्यार (foreplay) नहीं करता था | मैं सेक्स की आग में जल रहा था लेकिन कोई मुझ को संतुष्ट नहीं कर पा रहा था |
आगे क्या हुआ जाने अगली कहानी मैं! यदि कहानी में किसी तरह के सुधार की आवश्यकता हो तो मुझे बेहिचक ईमेल भेजें vkapil261@gmail.com